वंचित परिवारों के बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए लगातार संघर्ष किया भूपेंद्र कौशिक ने

समाज में आर्थिक रूप से पिछड़े वंचितों अभावग्रस्त परिवारों के बच्चों

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 11:42 AM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 11:42 AM (IST)
वंचित परिवारों के बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए लगातार संघर्ष किया भूपेंद्र कौशिक ने
वंचित परिवारों के बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए लगातार संघर्ष किया भूपेंद्र कौशिक ने

सुरेश गर्ग, चरखी दादरी : समाज में आर्थिक रूप से पिछड़े, वंचितों, अभावग्रस्त परिवारों के बच्चों को संवैधानिक तरीके से शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए पिछले छह वर्षों से दादरी जिले में लगातार मुहिम चला रहे हैं पूर्व नौ सैनिक अधिकारी भूपेंद्र कौशिक। उन्होंने इस अवधि के दौरान सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों छात्र, छात्राओं को न केवल शिक्षा के अधिकार 134ए के तहत निजी शिक्षण संस्थाओं में दाखिले करवाए बल्कि उनकी पढ़ाई को सुचारु रखने के लिए भी सभी प्रकार की व्यवस्थाएं करने का निरंतर प्रयास किया। दादरी शहर के गांधी नगर क्षेत्र के निवासी भूपेंद्र कौशिक 26 साल पहले भारतीय नौ सेना से सेवानिवृत्त होकर अपने घर आए थे। उसके बाद उन्होंने 18 वर्ष तक विदेशों में काम किया। पिछले छह वर्षों से वे दादरी नगर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के उन परिवारों जो आर्थिक कारणों से अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं दे पाते थे उनके लिए लगातार संघर्ष किया। भूपेंद्र कौशिक ने इस दौरान उन्होंने भिवानी निवासी बृजपाल परमार के साथ मिलकर स्वास्थ्य, शिक्षा, सहयोग संगठन संस्था का गठन किया। इस संस्था के भूपेंद्र कौशिक जिला दादरी के अध्यक्ष बने। इस दौरान उन्होंने शिक्षा के अधिकार नियम 134ए के तहत दादरी जिले में मुहिम शुरू की। शुरुआत में उन्होंने उन परिवारों को सूचीबद्ध करना शुरू किया जो आर्थिक कारणों से अपने बच्चों का निजी शिक्षण संस्थानों में दाखिला नहीं करवा पाते। इसके लिए उन्होंने स्थानीय शिक्षा अधिकारियों, स्कूल संचालकों, यहां तक की प्रदेश के पूर्व शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा से भी कई बार मिलकर शिक्षा के अधिकार को व्यवहारिक रूप से लागू करने का प्रयास करवाया। बाक्स :

कागजी कारणों से नहीं मिल पाता था न्याय

भूपेंद्र कौशिक ने बताया कि शिक्षा के अधिकार 134-ए के लागू होने के बाद आमतौर पर यह देखने में आता था कि अधिकतर निजी शिक्षण संस्थान इसे लागू करने में कई प्रकार की कागजी खामियों का बहाना बनाकर बीपीएल परिवारों के बच्चों को दाखिला नहीं देते थे। शिक्षा अधिकारियों का रवैया भी इस बारे में टाल मटोल का बना रहता था। इसे लेकर उन्होंने बाकायदा स्कूलों में आरईटी के तहत खाली सीटों के तमाम आंकड़े एकत्रित किए तथा उन्होंने अधिकारियों तक पहुंचाया। स्वास्थ्य, शिक्षा, सहयोग संगठन संस्था के सदस्यों ने शिक्षा विभाग के दफ्तरों में जाकर मौके पर बाकायदा नियम से दाखिले करवाने का प्रयास किया। बाक्स :

न्यायालय में भी दायर की याचिका

स्वास्थ्य, शिक्षा, सहयोग संगठन संस्था के जिला अध्यक्ष के तौर पर भूपेंद्र कौशिक ने आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों के बच्चों को निजी शिक्षण संस्थानों में दाखिले दिलाने के लिए कई मामलों में जिला एवं सत्र न्यायालय से लेकर उच्च न्यायालय तक में याचिकाएं दायर की। इन याचिकाओं के जवाब में विशेषकर उच्च न्यायालय ने सरकार को शिक्षा के अधिकार नियम 134-ए को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए। इसके साथ-साथ भूपेंद्र कौशिक इन नियम के तहत दाखिला पाने वाले बच्चों को अन्य सभी प्रकार की शैक्षणिक सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत रहे हैं।

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