सीवर का पानी नालों में डालने पर लगेगी रोक, नप सर्वे करके सीवर लाइन में जुड़वाएगी कनेक्शन

जागरण संवाददाता बहादुरगढ़ शहर में सड़क व मुख्य गलियों में बनाए गए बरसाती नालों में घरे

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Mar 2021 07:54 AM (IST) Updated:Fri, 19 Mar 2021 07:54 AM (IST)
सीवर का पानी नालों में डालने पर लगेगी रोक, नप सर्वे करके सीवर लाइन में जुड़वाएगी कनेक्शन
सीवर का पानी नालों में डालने पर लगेगी रोक, नप सर्वे करके सीवर लाइन में जुड़वाएगी कनेक्शन

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: शहर में सड़क व मुख्य गलियों में बनाए गए बरसाती नालों में घरेलू व औद्योगिक क्षेत्र के गंदा पानी डालने पर अब रोक लगाई जाएगी। इसके लिए नगर परिषद की ओर से सर्वे किया जाएगा और गंदे पानी के इन कनेक्शनों को सीवर लाइन में जोड़ने की पहल की जाएगी। सर्वे में नप की ओर से यह पता लगाया जाएगा कि नाला किस विभाग के अंतर्गत आता है और उसमें कितने कनेक्शनों से कितना गंदा पानी हर रोज उसमें डाला जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के निर्देश पर नालों व ड्रेनों से सीवर कनेक्शन हटाने का कार्य चल रहा है। यह गंदा पानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जाएगा, ताकि गंदा पानी प्लांट से साफ होकर ड्रेनों में डाला जा सके। घरेलू व औद्योगिक क्षेत्र का गंदा पानी नालों से ड्रेनों के जरिये नदी में जा रहा है और इससे यमुना नदी में अमोनिया का स्तर बढ़ रहा है। इससे एनजीटी पूरी तरह सख्त है और ड्रेनों व नालों में सीवर का पानी डालने पर पूरी तरह रोक लगाने के आदेश दे दिए हैं। इसी के चलते नप सर्वे करेगी और पूरी रिपोर्ट बनने के बाद गंदे पानी का सीवर लाइन में जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

अमरुत योजना के तहत डाली जा रही सीवर लाइन

फिलहाल तो पूरे शहर में सीवरेज लाइन पहुंचाने और पुरानी लाइनों को बदलने का काम चल रहा है। शहर में अमरुत योजना के तहत 56 करोड़ से लागत से करीब 70 किलोमीटर सीवर लाइन दबाई जा रही है। मगर शहर का 30 फीसद एरिया तो ऐसा है जहां सीवरेज लाइनें शुरू से ही नहीं हैं। जिन कालोनियों में सीवर लाइन 1990 के दशक में डाली गई, वहां पर इसे कम से कम एक दशक पहले बदलने की जरूरत थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ट्रीटमेंट प्लांट 2009 और 2013 में बने। उससे पहले तो सीवरेज का गंदा पानी सीधे ड्रेनों में डाला जाता था। शहर की 335 किलोमीटर लंबी गलियों में फिलहाल 239 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन दबी हुई है।

ये हैं शहर के 24 बरसाती नाले

- दिल्ली रोड बस स्टैंड से बदरों फ्लाईओवर तक दोनों तरफ बना नाला

- झज्जर रोड पर दोनों तरफ के नाले

- बादली रोड पर बना नाला

- शक्ति नगर से छोटूराम पार्क तक बना नाला

- मेला ग्राउंड से बालौर रोड तक बना नाला

- नजफगढ़ रोड वाया बस स्टैंड से शिव चौक तक का नाला

- बालौर रोड पर दोनों तरफ का नाला

- पटेल नगर से सेक्टर 6 तक 16 फीट रोड पर दोनों तरफ का नाला

- सैनिक नगर का नाला

- प्रेम नगर का नाला

- सैनीपुरा में दोनों तरफ बने नाले

- दयानंद नगर में नाला

- बाग वाले मुहल्ला में एक तरफ बना नाला

- बांबे वाली गली में बना नाला

- तबेला स्कूल के पीछे बना नाला

- शक्ति नगर में नहर के साथ बना नाला

- रोहतक रोड पर बना नाला

- महावीर पार्क पर बना नाला

- पुराने नजफगढ़ रोड पर पुरानी कमेटी के पास एक तरफ बना नाला

- लाइनपार 22 फुटा रोड पर बना दोनों तरफ का नाला

- बराही फाटक लाइन पर बने दोनों नाले

- बालोर रोड से नजफगढ़ रोड बाईपास तक के एक तरफ बना नाला

- सैनीपुरा पुराना मंदिर से एक तरफ बना नाला

- नाहरा-नाहरी फ्लाईओवर से मुंगेशपुर ड्रेन के दोनों तरफ बने नाले

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ड्रेनों में डल रहा 16 नालों से हर रोज छह लाख लीटर गंदा पानी, कुछ की हुई टेपिग, कुछ की बाकी

शहर के बीचोंबीच से गुजर रही वेस्ट जुआं ड्रेन और मुंगेशपुर ड्रेन में हर रोज 16 नालों का 6 लाख लीटर गंदा पानी डल रहा है। 21 मई 2019 को जनस्वास्थ्य विभाग, नगर परिषद, सिचाई विभाग व प्रदूषण बोर्ड की ओर से संयुक्त रूप से सर्वे किया गया था, जिसके आधार पर जनस्वास्थ्य विभाग ने इस पानी को सीवर लाइन में जोड़ने की अनुमति दी थी। एनजीटी की ओर से यमुना एक्शन प्लान के तहत ड्रेनों में सीवरेज के पानी को सीधे तौर पर डालने पर रोक लगाने के आदेश दे रखे हैं। इसी के चलते कुछ नालों की तो टेपिग हो गई लेकिन अन्य की अभी बाकी हैं।

किस नाले से कितना गंदा पानी ड्रेन में डल रहा

वेस्ट जुआं ड्रेन:

नाला गंदा पानी किलोलीटर में

कबीर बस्ती के पास 800

नेहरू पार्क कालोनी के पास 500

रेलवे रोड दोनों तरफ 300

नाहरा-नाहरी रोड 400

परनाला रोड 250

छिकारा कालोनी 300

दुर्गा कालोनी 150

इंदिरा मार्केट 300

नई बस्ती 340

अग्रवाल कालोनी 275

विवेकानंद नगर 150

धर्म विहार 130 मुंगेशपुर ड्रेन:

छोटूराम नगर 450

लाइनपार कालोनी 350

एमआइई एरिया 650

वार्ड 9 में रेलवे लाइन के पास 400

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घरेलू सीवर का पानी नालों में डाला जा रहा है। इसे बंद करने के लिए आदेश आए हैं। जल्द ही इसका सर्वे करके एक रिपोर्ट बनाई जाएगी। सर्वे में यह पता लगाया जाएगा कि शहर में कितने नाले हैं और वे किस विभाग के अंतर्गत आते हैं। साथ ही इन नालों में सीवर के कितने कनेक्शन हैं। रिपोर्ट के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी।

-राजेश मलिक, सिटी टीम लीडर, स्वच्छ भारत मिशन, झज्जर।

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