ट्रॉमा सेंटर पर नहीं मिलता स्ट्रेचर, मरीजों को कंधे पर उठाने को मजबूर परिजन

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : सोमवार सुबह 11 बजकर 55 मिनट। पुलिस की एक टवेरा कार जि

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Aug 2018 06:27 PM (IST) Updated:Mon, 20 Aug 2018 06:27 PM (IST)
ट्रॉमा सेंटर पर नहीं मिलता स्ट्रेचर, मरीजों को कंधे पर उठाने को मजबूर परिजन
ट्रॉमा सेंटर पर नहीं मिलता स्ट्रेचर, मरीजों को कंधे पर उठाने को मजबूर परिजन

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : सोमवार सुबह 11 बजकर 55 मिनट। पुलिस की एक टवेरा कार जिला नागरिक अस्पताल स्थित ट्रॉमा सेंटर के मुख्यद्वार पर ब्रेक लगाती है। खिड़की खोलते ही पुलिस कर्मी लगभग कूदते हुए नीचे उतरता है। कार में बेसुध हुई महिला को साथ आए कुछ युवकों ने संभाला हुआ है। घायल महिला के साथ आए लोग व पुलिस कर्मी आवाज लगाते हैं, स्ट्रेचर ले आओ, स्ट्रेचर लाओ। जब इनकी आवाज पर कोई प्रति उत्तर नहीं देता तो पुलिस कर्मी दौड़ कर ट्रॉमा सेंटर के अंदर आ जाता है और इधर उधर स्ट्रेचर तलाशता है लेकिन स्ट्रेचर कहीं नजर नहीं आता। इसके बाद साथ आए युवक व पुलिस कर्मी बेसुध महिला को हाथों व पैरों से पकड़ कर ट्रॉमा सेंटर के भीतर लेकर चले जाते हैं। ठीक इसी वक्त अस्पताल की एक चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मी एक स्ट्रेचर के साथ दायीं ओर से आती है जिस पर दवाइयां व फाइलें लदी हुई थीं। साफ नजर आ रहा था कि मरीजों के लिए आए बजट का फायदा कैसे मरीजों को मिल रहा है। यह नजारा सिर्फ एक दिन का नहीं है बल्कि स्वास्थ्य मंत्री के गृह क्षेत्र के ट्रॉमा सेंटर में यह आम हो गया है।

सुरक्षा कर्मियों के साथ डॉक्टर भी गैर जिम्मेदार

ट्रॉमा सेंटर में सुरक्षा कर्मी अकसर यहां आने वाले मरीजों की मदद करने के बजाय हीलाहवाली कर रहे हैं। घायलों के साथ आए लोग जब इनसे मदद मांगते हैं तब भी ये आगे नहीं आते हैं। बस ड्यूटी डॉक्टर व माइनर ऑप्रेशन थियेटर के बाहर ही खड़े रहते हैं। सोमवार को भी ठीक ऐसा ही हुआ। जब एक सुरक्षा कर्मी से स्ट्रेचर के बारे में पूछा गया तो कोई जवाब नहीं दिया। वहीं, जब मामला ड्यूटी डॉक्टर के संज्ञान में लाया गया तो वह स्ट्रेचर नहीं होने को बड़े हल्के में लेते दिखे। महत्वपूर्ण यह है कि तीमारदार अकसर डॉक्टरों के आगे से मरीजों को हाथों में उठाकर पहुंचते हैं।

मामला संज्ञान में लाया गया तो चेता अस्पताल प्रशासन

ट्रॉमा सेंटर के बाहर स्ट्रेचर नहीं होने का मामला आरएमओ डॉ. सीमा के संज्ञान में लाया गया। उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत एसएमओ डॉ. मलकीत ¨सह और एक अन्य डॉक्टर को भेजा। संवाददाता से पूरा मामला जानने के बाद इस मामले में सुरक्षा कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करने की बात कही।

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