संपत्ति विवाद: गुरुग्राम के संपदा अधिकारी को रात में गिरफ्तार कर सुबह अदालत में पेश करने का आदेश

हाई कोर्ट ने याचिका पर कड़ा रुख अपनाते हुए याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि आदेश का पालन करने में देरी को लेकर याची के पास कोई स्पष्टीकरण नहीं है। न्यायालय के प्रति उदासीन रवैए के कारण कई वर्ष बर्बाद हुए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Mon, 29 May 2023 08:15 PM (IST) Updated:Mon, 29 May 2023 08:15 PM (IST)
संपत्ति विवाद: गुरुग्राम के संपदा अधिकारी को रात में गिरफ्तार कर सुबह अदालत में पेश करने का आदेश
गुरुग्राम के संपदा अधिकारी को रात में गिरफ्तार कर सुबह अदालत में पेश करने का आदेश

चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। संपत्ति विवाद से जुड़े मामले में कोर्ट के आदेश की अनदेखी करना एस्टेट ऑफिसर गुरुग्राम को भारी पड़ गया। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए याची को सोमवार रात 10 बजे तक गिरफ्तार करने व मंगलवार को सुबह 10 बजे तक संबंधित अदालत के सामने पेश करने का गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है।

हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए एचएसवीपी ने संपत्ति विवाद में गुरुग्राम की अदालत के फैसले को चुनौती दी है। याचिका में बताया गया कि गुरुग्राम कोर्ट ने 14 मई को आदेश सुनाते हुए एस्टेट ऑफिसर को हिरासत में लेने का आदेश जारी कर दिया। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पाया कि निचली अदालत के बार-बार आदेश जारी करने के बाद भी एस्टेट ऑफिसर ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।

आदेश का पालन न होने पर गुरुग्राम की अदालत ने एस्टेट ऑफिसर को हाजिर होकर जवाब दाखिल करने को कहा। आदेश के बावजूद वह पेश नहीं हुए जिसके बाद आखिरी मौका दिया गया। आखिरी मौके के बावजूद जवाब नहीं दिया गया तो निचली अदालत ने एस्टेट ऑफिसर को हिरासत में लेने का आदेश जारी कर दिया जिसे इस याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है।

हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार

हाई कोर्ट ने याचिका पर कड़ा रुख अपनाते हुए याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि आदेश का पालन करने में देरी को लेकर याची के पास कोई स्पष्टीकरण नहीं है। न्यायालय के प्रति उदासीन रवैए के कारण कई वर्ष बर्बाद हुए हैं। ऐसे में कोर्ट ने अब गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता को रात दस बजे तक गिरफ्तार किया जाए और मंगलवार को सुबह 10 बजे तक गुरुग्राम की अदालत में पेश किया जाए।

क्या एक्शन लिया, कोर्ट को बताना होगा

साथ ही गुरुग्राम की अदालत को आदेश दिया है कि इस मामले में लिए गए एक्शन के बारे में कोर्ट को सूचित किया जाए। हाई कोर्ट ने कहा कि न्यायालय का आदेश पारित हो जाने के बाद अनुपालन सही प्रकार से करना जरूरी है। अगर सरकारी अधिकारी की ओर से इस प्रकार की ढिलाई को स्वीकार कर लिया जाएगा तो कानून की प्रक्रिया के कोई मायने नहीं रह जाएंगे।

कोर्ट ने कहा कि कानून केवल सामान्य नागरिकों पर ही बाध्य नहीं है बल्कि इसका पालन करने की जिम्मेदारी सरकारी अधिकारियों पर अधिक होती है। सरकारी अधिकारियों के पास न्यायालय के आदेशों का पालन न करने का कोई बहाना नहीं हो सकता। ऐसे में इस मामले में याचिकाकर्ता की न्यायालय के समक्ष उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कठोर आदेशों की आवश्यकता है।

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