मोबाइल और लैपटॉप एेसे पहुंचा रहे बच्चों को नुकसान, इन बातों को रखें ध्यान
आजकल मां-बाप बच्चों को व्यस्त रखने के लिए उन्हें मोबाइल या लैपटॉप पकड़ा देते हैं। लेकिन यह कितना नुकसानदायक है इसके बारे में अभिभावकों को पता नहीं है।
अंबाला शहर [अवतार चहल]। आजकल मां-बाप बच्चों को व्यस्त रखने के लिए उन्हें मोबाइल या लैपटॉप पकड़ा देते हैं। इन गैजेट्स में व्यस्त होकर उन्हें परेशान नहीं करते और न ही रोते हैं। इस तरीके से मां-बाप अपना काम कर पाते हैं, लेकिन उनकी ये ट्रिक बच्चों की आंखों के लिए हानिकारक साबित हो रही है। इसका खुलासा एकम न्यास संस्था के नेत्र जांच शिविरों से हुआ है। संस्था के मीडिया प्रभारी विपिन आनंद ने बताया कि संस्था ने 24 निःशुल्क जांच शिविर लगाए, जिनमें से 22 शिविर स्कूल में लगाए गए। इन शिविरों में 4397 बच्चों की जांच की गई, जिनमें से 598 बच्चों की आंखों की नजर कमजोर पाई गई।
इन जगहों पर शिविर लगा की गई जांच
बीते साल 6 सितंबर को राधालाल गीता विद्या मंदिर में 89 बच्चों की जांच की गई, जिनमें से 38 बच्चों की आंखों में कमी पाई गई। इसी तरह 15 सितंबर को जीएमएस देवी नगर में 165 में से 12 की, GPS नंबर पांच में 28 में से 7 की, 3 अक्टूबर को GPS नंबर छह में 66 में 10 की, 4 अक्टूबर GPS नंबर तीन में 95 में 6 की, 23 अगस्त GSSS नंबर सात में 289 में से 23 की, 9 अक्टूबर को जीएमएस काकरू में 78 में से 5 की, 16 अक्टूबर GSSS सुलतानपुर में 470 में से 81 की, 23 अक्टूबर को GPS मोती नगर में 99 में से तीन की, 26 अक्टूबर को मार्केट एसोसिएशन जीटी रोड में 178 में से 9 की, 2 नवंबर को GSSS घेल में 269 में से 42 की आंखे कमजोर पाई गई।
20 नवंबर को केपीएके स्कूल में 645 में से 119 की, 30 नवंबर को जीएमएस डडियाना में 155 में से 13 की, 4 दिसंबर को GPS नंबर आठ में 83 में से 3 की, 7 दिसंबर को हिमशिखा स्कूल छावनी में 243 में से 44, GPS छोटी घेल में 40 में से 4 की, 14 दिसंबर को लहारसा में 87 में से 5 की, 16 दिसंबर को अग्रवाल भवन में 30 में से 12 की, 17 दिसंबर को वात्सल्या स्कूल में 43 में से 9 की, इस साल 7 जनवरी को आब्जर्वेशन होम में 33 में से 12 की, 19 जनवरी को GSSS नग्गल में 179 में से 20 की, 23 जनवरी को तुलसी स्कूल में 388 में से 42 की, 24 जनवरी को सूर्या स्कूल में 321 में से 47 की, 16 फरवरी को जलबेहड़ा में 324 में से 32 की आंखें कमजोर पाई गई।
इस उम्र में जरूर करवाएं आंखों की जांच
आमतौर पर अगर बच्चा किसी अस्पताल में पैदा हुआ है, तो जन्म के समय ही डॉक्टर उसके आंखों की जांच करते हैं। लेकिन फिर भी आपको समय-समय पर बच्चों के आंखों की जांच करवाते रहना चाहिए। 3-4 साल की उम्र में जब बच्चा स्कूल जाना शुरू करे। 5 साल की उम्र में, अगर बच्चे की नजर ठीक है, फिर भी हर 2 साल में बच्चों की आंखों की जांच जरूरी, अगर बच्चे की नजर कमजोर है, तो 14 साल की उम्र तक हर 6 महीने में जरूरी है।
इन उपायों से बचाएं आंखें
बच्चों को पालक, गाजर और चुकंदर खिलाएं। साथ पीले फल जैसे पपीता और आम भी खिलाएं। तय समय के बाद कम्प्यूटर के आगे ना बैठने दें। बच्चा टीवी देखने का शौकीन हो तो उसे भी दूरी पर लगाएं। बच्चों की आंखों पर बाजार से मिलने वाले सस्ते काजल ना लगाएं।
बच्चों में आंखों की समस्या के ये लक्षण एक आंख का घूमना या किसी और दिशा में देखना। बच्चों की आंख बार-बार झपकना, टीवी देखते वक्त या फिर किताब पढ़ते समय आंख मसलते रहना। सही न देख पाना या हाथ से वस्तुओं का बार-बार गिर जाना आदि पर। चीजों को बहुत नजदीक लाकर देखना या चीज को देखने के लिए सिर को बहुत अधिक झुकाना। बिना कारण सिरदर्द, आंखों में पानी आना या एक वस्तु का दो-दो दिखाई देना। फोटो में आंखों में सफेद निशान नजर आना।