इलाज नहीं मिलने से पांच साल की बच्ची की मौत, वीआइपी कमरे में सोता रहा डॉक्टर

छावनी के नागरिक अस्पताल में मंगलवार की देर रात इलाज में नहीं मिलने के कारण सड़क हादसे में घायल बची की मौत हो गई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 May 2019 06:10 AM (IST) Updated:Thu, 02 May 2019 06:35 AM (IST)
इलाज नहीं मिलने से पांच साल की बच्ची की मौत, वीआइपी कमरे में सोता रहा डॉक्टर
इलाज नहीं मिलने से पांच साल की बच्ची की मौत, वीआइपी कमरे में सोता रहा डॉक्टर

जागरण संवाददाता, अंबाला : छावनी के नागरिक अस्पताल में मंगलवार की देर रात इलाज में नहीं मिलने के कारण सड़क हादसे में घायल बच्ची की मौत हो गई। उस दौरान इमरजेंसी में दो डॉक्टर ड्यूटी पर मौजूद थे। लेकिन एक डॉक्टर गोली लगने वाले घायल युवक के परिजनों को शांत करवा उसका इलाज कर रहा था जबकि दूसरा डॉक्टर वीआईपी कमरे में नींद फरमा रहा था। मृतक बच्चे की पहचान पांच साल की जानवी निवासी बराड़ा के रूप में हुई। वहीं इस हादसे में उसकी मां व एक अन्य छोटी बहन को भी गंभीर चोटें आई थी जिन्हें इलाज के लिए चंडीगढ़ सेक्टर 32 रेफर कर दिया गया। बुधवार को पुलिस ने मृतक बच्चे का पोस्टमार्टम करवाया और उसके पिता संजय की शिकायत पर अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। साथ ही मृतक बच्ची के परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही करने के आरोप लगाए।

हुआ यूं कि बराड़ा निवासी संजय कुमार अपनी पत्नी वह दो बच्चों के साथ अंबाला शहर से वापस बराड़ा अपने घर जा रहा था। रात को करीब साढे दस बजे जब वह मोटरसाइकिल पर कालपी के नजदीक पहुंचे तो अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। हादसे के बाद वाहन चालक मौके से फरार हो गया और अन्य राहगीरों ने घायलों को छावनी के नागरिक अस्पताल में दाखिल करवाया। जिस दौरान घायलों को अस्पताल में लाया गया, उसी समय यहां गोली लगने से घायल युवक का माइनर ओटी में इलाज चल रहा था। इमरजेंसी में ड्यूटी पर तैनात हड्डी रोग विशेषज्ञ ने गोलियों लगने से घायल युवक का इलाज किया और साथ ही गुस्साए उसके परिजनों को शांत करने का प्रयास किया। इस दौरान हादसे में घायल बच्ची स्ट्रेचर पर पड़ी तड़पती रही और इलाज नहीं मिलने के कारण उसने दम तोड़ दिया। इसके बाद जब डॉक्टर ने बच्ची का ईसीजी किया तो उसकी मौत हो चुकी थी। हालांकि इमरजेंसी में ही उस दौरान एक अन्य अभी ड्यूटी पर था लेकिन वह उस वक्त वीआइपी कमरे में सो रहा था। अस्पताल में हंगामा होने के बावजूद डाक्टर कमरे से बाहर ही नहीं आया और अंदर सोता रहा। यह मामला अस्पताल के अधिकारियों के संज्ञान में भी आ गया है और उन्होंने अपने स्तर पर मामले की जांच भी शुरू कर दी।

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