दिव्यांग बच्चों को घर पर ही मिले जीवन कौशल प्रशिक्षण: कालड़ा

दिव्यांग बचों को उनके घर पर जाकर ही दैनिक जीवन में उपयोगी कौशल का प्रशिक्षण दें। समग्र शिक्षा अंबाला के जिला परियोजना समन्वयक डीपीसी सुधीर कालड़ा गृह आधारित समग्र शिक्षा के अंतर्गत दिव्यांग विद्यार्थियों को दी जा रही सुविधाओं के बारे में डीपीसी कार्यालय में आयोजित एक समीक्षा बैठक में संसाधन एवं विशेष शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 06:45 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 06:45 AM (IST)
दिव्यांग बच्चों को घर पर ही मिले जीवन कौशल प्रशिक्षण: कालड़ा
दिव्यांग बच्चों को घर पर ही मिले जीवन कौशल प्रशिक्षण: कालड़ा

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : दिव्यांग बच्चों को उनके घर पर जाकर ही दैनिक जीवन में उपयोगी कौशल का प्रशिक्षण दें। समग्र शिक्षा अंबाला के जिला परियोजना समन्वयक डीपीसी सुधीर कालड़ा गृह आधारित समग्र शिक्षा के अंतर्गत दिव्यांग विद्यार्थियों को दी जा रही सुविधाओं के बारे में डीपीसी कार्यालय में आयोजित एक समीक्षा बैठक में संसाधन एवं विशेष शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। बैठक में सभी 16 संसाधन एवं विशेष शिक्षक बैठक में मौजूद थे।

डीपीसी ने कहा कि दिव्यांग बच्चों को प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता, चिकित्सा एवं रेलवे/परिवहन रियायती प्रमाण पत्र समय पर उपलब्ध हो पाएं। इसके लिए आवश्यक है कि प्रत्येक दिव्यांग बच्चा किसी सरकारी विद्यालय में नामांकित हो। ऐसे बच्चों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक खंड में न केवल बीआरसी-आइईडी केंद्र की स्थापना की गई है बल्कि प्रत्येक बीआरसी-आईईडी केंद्र पर संसाधन एवं विशेष शिक्षकों की तैनाती भी की है। बैठक का संचालन करते हुए एपीसी सूर्यकांत ने बताया कि जुलाई में सभी विशेष शिक्षकों की ओर से निर्धारित शेड्यूल के अनुरूप गृह आधारित दिव्यांग विद्यार्थियों को उनके घर जाकर विभागीय निर्देशानुसार जीवन कौशल का प्रशिक्षण दिया गया है। अगस्त का विजिट शेड्यूल भी डीपीसी कार्यालय को उपलब्ध करा दिया है।

कालड़ा ने कहा कि सभी विशेष शिक्षक अपना विजिट शेड्यूल गृह आधारित दिव्यांग बच्चे के माता पिता और कक्षा अध्यापक से भी साझा करें और जीवन कौशल प्रशिक्षण के दौरान बच्चे के माता-पिता या बड़े भाई-बहन को भी मौजूद रहने के लिए कहें। विशेष अध्यापकों प्रवीन कुमार, मीनाक्षी, सरिता, कुमुद और सुषमा ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि दिव्यांग बच्चों को जो एक्टिविटी वे सिखाकर आते हैं बाद में कुछ अभिभावक उसका अभ्यास बच्चों से नहीं करवाते, इस कारण बच्चों की दिव्यांगता बढ़ती जाती है।

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