सिस्टम पर सवाल उठाती फिल्म

कहने वाले कह गए हैं कि जो जैसा करेगा, वह वैसा भरेगा..। पान सिंह के परिवार के लोगों ने जो किया, उन्हें उसका फल मिला और जो पान सिंह ने किया उन्हें भी उसका फल मिला। यानी दोनों को ही मौत नसीब हुई, वह भी गोली खाकर..।

By Edited By: Publish:Sat, 03 Mar 2012 12:53 PM (IST) Updated:Sat, 03 Mar 2012 12:53 PM (IST)
सिस्टम पर सवाल उठाती फिल्म

कहने वाले कह गए हैं कि जो जैसा करेगा, वह वैसा भरेगा..। पान सिंह के परिवार के लोगों ने जो किया, उन्हें उसका फल मिला और जो पान सिंह ने किया उन्हें भी उसका फल मिला। यानी दोनों को ही मौत नसीब हुई, वह भी गोली खाकर..। तिग्मांशु धूलिया की फिल्म पान सिंह तोमर की कहानी यही है, लेकिन उन्होंने एक और सवाल इसके जरिए उठाया है कि आखिर हमारा सिस्टम कब सही होगा? जब जिले का अधिकारी कलक्टर और गांव का अधिकारी थानेदार ही अपने दायित्व से मुंह मोड़ लें, तो वक्त के साथ न जाने कितने पान सिंह तोमर पैदा होते रहेंगे और उन्हीं की तरह मर जाएंगे।

फिल्म की कहानी एक फौजी पान सिंह तोमर की है, जो सच्चा देशभक्त है। उसे सच बोलने से डर नहीं लगता और देश को अपनी मां की तरह पूजता है, लेकिन सेना की नौकरी में अनुशासन की बहुत अहमियत है। वह एथलीट बनता है और धावक के रूप में देश के लिए मेडल जीतता है। नौकरी खत्म करने के बाद जब वह गांव आता है, तो परिवार के लोगों द्वारा ही सताया जाता है और एक दिन वह हथियार उठा लेता है। फिर पुलिस से मुठभेड़ और अंत में मौत..।

इरफान खान अच्छे अभिनेता हैं। पान सिंह की भूमिका को उन्होंने जीवंत किया है। पान सिंह की पत्नी के किरदार में माही गिल ने भी अपनी अभिनय क्षमता का परिचय दिया है। मुरैना की बोली पूरी फिल्म में है, जो वास्तविक तो लगती ही हैं, माहौल को भी पूरा रंग देती है। विषय के हिसाब से गीत-संगीत को ज्यादा तरजीह नहीं मिली है, फिर भी गीत देखो हवा जोर से भड़की.. कैलाश खेर की आवाज में अच्छा बना है।

-रतन

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