Patna Shuklla Review: सतही लेखन से डगमगाई अहम मुद्दे पर बनी 'पटना शुक्ला', वकील के किरदार में जंची रवीना टंडन

Patna Shuklla में रवीना टंडन ने एडवोकेट की भूमिका निभाई है जो एक छात्रा को न्याय दिलवाने के लिए सियासत से लड़ जाती है। हालांकि इसमें उसे व्यक्तगित क्षति भी पहुंचती है मगर अंत में हीरो बनकर निकलती है। फिल्म के निर्माता अरबाज खान हैं। निर्देशन विवेक बुड़ाकोटी ने किया है। उन्होंने फिल्म का सह-लेखन भी किया है। फिल्म ओटीटी पर रिलीज हो गई है।

By Manoj Vashisth Edited By: Manoj Vashisth Publish:Fri, 29 Mar 2024 02:18 PM (IST) Updated:Fri, 29 Mar 2024 02:30 PM (IST)
Patna Shuklla Review: सतही लेखन से डगमगाई अहम मुद्दे पर बनी 'पटना शुक्ला', वकील के किरदार में जंची रवीना टंडन
पटना शुक्ला डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है। फोटो- इंस्टाग्राम

मूवी रिव्यू

नाम: पटना शुक्ला (Patna Shuklla)

  • रेटिंग : 2.5 out of 5 Star
  • कलाकार : रवीना टंडन, अनुष्का कौशिक, सतीश कौशिक, जतिन गोस्वामी, मानव विज, राजू खेर
  • निर्देशक : विवेक बुड़ाकोटी
  • निर्माता : अरबाज खान
  • लेखक : विवेक बुड़ाकोटी, समीर अरोड़ा, फरीद खान
  • रिलीज डेट : Mar 29, 2024
  • प्लेटफॉर्म : डिज्नी प्लस हॉटस्टार
  • भाषा : हिंदी
  • बजट : NA

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। इमरान हाशमी की फिल्म 'व्हाई चीट इंडिया' से लेकर 'व्हिसिल ब्लोअर' वेब सीरीज तक, शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले घपलों-घोटालों पर कई फिल्में और वेब सीरीज आ चुकी हैं। आम जनता से जुड़े होने की वजह से ऐसे विषय एक बड़े वर्ग को प्रभावित करते हैं, मगर दर्शक का जुड़ाव तभी हो पाता है, जब कहानी में गहराई हो। 

डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई रवीना टंडन की फिल्म पटना शुक्ला एक शैक्षिक घोटाले की पृष्ठभूमि पर कोर्टरूम ड्रामा है। अरबाज खान निर्मित फिल्म की कहानी बिहार के एक काल्पनिक विश्वविद्यालय में अंकतालिका घोटाले के खिलाफ एक छात्रा और वकील की लड़ाई पर आधारित है। 

निर्देशक विवेक बुड़ाकोटी ने विषय अच्छा चुना है, मगर कथा-पटकथा में गहराई ना होने की वजह से यह एक दमदार और मारक फिल्म में परिवर्तित नहीं हो पाया। सधी हुई अदाकारी से रवीना ने फिल्म को अपने कंधों पर उठाने की भरपूर कोशिश की है, मगर सतही कहानी ने उनकी कोशिशों को कामयाब नहीं होने दिया। 

क्या है 'पटना शुक्ला' की कहानी?

तन्वी शुक्ला (रवीना टंडन) गृहिणी होने के साथ-साथ पटना जिला न्यायालय में वकील भी है। पति सिद्धार्थ शुक्ला (मानव विज) जल विभाग में सीनियर इंजीनियर है। एक बेटा सोनू है, जो स्कूल में पढ़ता है। तन्वी की जिंदगी अपनी गृहस्थी और पेशे के बीच कट रही है। मगर, विहार विश्वविद्यालय में बीएससी अंतिम वर्ष की छात्रा रिंकी कुमारी (अनुष्का कौशिक) का केस तन्वी की निजी और व्यावसायिक जिंदगी में तूफान मचा देता है।

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रिंकी बीएससी थर्ड ईयर में फेल हो गई है। उसे विश्वास है कि उसे 60-65 फीसदी के बीच मार्क्स मिलने चाहिए, मगर फेल कर दिया गया है। शिकायत करने पर यूनिवर्सिटी ने उसके मार्क्स की रीकाउंटिंग की, मगर नतीजा नहीं बदला। इससे असंतुष्ट रिंकी अपनी परीक्षा कॉपियों की रीचेकिंग की मांग उठाती है, जिसे यूनिवर्सिटी ठुकरा देती है। 

रिक्शाचालक की बेटी रिंकी इसको लेकर यूनिवर्सिटी को अदालत में घसीटती है। तन्वी उसका केस लड़ती है। इस क्रम में एक बड़े घोटाले की परतें खुलती हैं, जिसमें विश्वविद्यालय अधिकारियों और राजनीति के सियासी गठजोड़ से पर्दा उठता है।

रिंकी का रोल नम्बर एक युवा बाहुबली नेता रघुबीर सिंह (जतिन गोस्वामी) के रोल नम्बर से बदलकर उसे पास करवा दिया जाता है, जबकि रिंकी फेल हो जाती है। हालांकि, इस क्रम में तन्वी को भी एक कुर्बानी देनी पड़ती है।

कैसा है 'पटना शुक्ला' का स्क्रीनप्ले?

पटना शुक्ला की कथा, पटकथा और संवाद विवेक बुड़ाकोटी, समीर अरोड़ा और फरीद खान ने लिखे हैं। फिल्म की शुरुआत तन्वी शुक्ला के घर-मोहल्ले से होती है, जहां दो पड़ोसिनें कूड़े को लेकर झगड़ रही हैं। तन्वी के घर में काम करने वाली मेड के जरिए कैमरा तन्वी के घर में दाखित होता है और सामने आती है तन्वी की सुबह की आपाधापी। बच्चे को स्कूल के लिए तैयार करना।

पति को दफ्तर जाने के लिए स्त्री की हुई नीले रंग की शर्ट देना। तन्वी का पटना जिला कोर्ट में अपने 'बिस्तर' (वकील के बैठने की जगह) पर पहुंचना। ये दृश्य दर्शक को जोड़ते हैं और एक दिलचस्प कहानी की उम्मीद जगाते हैं। तन्वी के किरदार की विविधता इन दृश्यों के जरिए देखने को मिलती है।

हाउसवाइफ होने के साथ अपनी प्रोफेशनल जिम्मेदारियों के लिए दौड़ती-भागती तन्वी में एक आम मध्यमवर्गीय महिला की झलक नजर आती है। हलांकि, तन्वी का हाउसवाइफ के तौर पर परिचय जितना दिलचस्प है, वकील के तौर पर उतना ही हल्का रहा है।   

अच्छी बात यह है कि तन्वी की निजी जिंदगी और कोर्ट-कचहरी के दृश्यों से होते हुए फिल्म शुरुआत के कुछ ही मिनटों में मुद्दे पर पहुंच जाती है, जिससे रफ्तार बाधित नहीं होती। कोर्टरूम में तन्वी और यूनिवर्सिटी के वकील नीलकंठ मिश्रा के बीच जिरह के कुछ दृश्य प्रभावशाली हैं।

फिल्म शिक्षा में भ्रष्टाचार और सत्ता के गठजोड़ के मुद्दे को छूकर निकलती है। इसमें गहराई से नहीं उतरती, जिससे वो असर पैदा नहीं कर पाती, जिसके लिए बनाई गई है। बाहुबली युवा नेता रघुबीर सिंह का किरदार उतना वजनदार नहीं बन पाया। 

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यह किरदार शुरुआत में दमदार लगता है, मगर अंत आते-आते बेबस लगने लगता है, जबकि इस बिना पर उसका नॉमिनेशन कैंसिल होने वाला है और वो चुनाव नहीं लड़ पाएगा। कोई कन्फ्रंटेशन ना होने की वजह से क्लाइमैक्स हल्का रह गया है।

रिंकी को न्याय दिलवाने के लिए तन्वी का जूझना और जल निगम में सीनियर इंजीनियर पति के सस्पेंड होने और घर पर बुल्डोजर चलने के बावजूद केस में अंदर तक घुस जाना दृश्यों को रोमांचक बनाता है।

इतने बड़े स्कैम के खुलने के बाद भी अदालत की ओर से किसी के खिलाफ पुलिस रिपोर्ट दर्ज करवाने की पहल  ना करना समझ नहीं आता। यूनिवर्सिटी को एक कमेटी गठित करने का आदेश जरूर दिया जाता है।

किरदारों की भाषा पर लेखक-निर्देशक ने ज्यादा काम नहीं किया है। जिरह के दौरान तन्वी का 'छात्रा' की जगह बार-बार 'छात्र' कहना, 'बालकनी ढहाने' को 'बालकनी कुचलना' बोलना या 'बीकॉम थर्ड ईयर' को 'टीबाई बीकॉम' (मुंबई की बोलचाल) बोलना अखरता है। 

कैसा है कलाकारों का अभिनय?

रिंकी का केस लड़ने के क्रम में तन्वी शुक्ला के किरदार के ट्रांसफॉर्मेशन को रवीना टंडन जीने में सफल रही हैं। पति सिद्धार्थ शुक्ला के किरदार में मानव विज के साथ उनकी कैमिस्ट्री जंचती है। मानव, रवीना के किरदार को फलने-फूलने का पूरा मौका देते हैं।

छात्रा रिंकी कुमारी के किरदार के साथ अनुष्का कौशिक ने न्याय किया है। इस किरदार की फाइटिंग स्पिरिट को उभारने में वो सफल रही हैं। बाहुबली युवा नेता रघुबीर सिंह के रोल को जतिन गोस्वामी ने ठसक देने की पूरी कोशिश की है। हालांकि, यह किरदार कमजोर लेखन का शिकार हो गया। यूनिवर्सिटी के वकील नीलकंठ मिश्रा के किरदार में चंदन रॉय सान्याल ने ठीकठाक टक्कर दी है। 

जज के किरदार में दिवंगत सतीश कौशिक बेहद सहज लगे हैं और साधारण दृश्यों में भी अपने हाव-भाव और संवाद अदायगी से जान डाल देते हैं। जज अरुण की तेजतर्रार पत्नी लता की मेहमान भूमिका में सुष्मिता मुखर्जी असर छोड़ती हैं। तन्वी के पिता की संक्षिप्त भूमिका में राजू खेर ठीक लगे हैं।        

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