श्रीदेवी की अस्थियां रामेश्वरम में विसर्जित, बेटियों ने दिया पिता बोनी कपूर का साथ

बोनी कपूर के भांजे मोहित मारवाह की शादी में शामिल होने परिवार के साथ दुबई गयी थीं। 24 फरवरी को श्रीदेवी का दुबई में उनके होटल के कमरे में निधन हो गया था।

By Manoj VashisthEdited By: Publish:Sat, 03 Mar 2018 03:23 PM (IST) Updated:Tue, 06 Mar 2018 07:37 AM (IST)
श्रीदेवी की अस्थियां रामेश्वरम में विसर्जित, बेटियों ने दिया पिता बोनी कपूर का साथ
श्रीदेवी की अस्थियां रामेश्वरम में विसर्जित, बेटियों ने दिया पिता बोनी कपूर का साथ

मुंबई। भारतीय सिनेमा की दिग्गज अदाकारा श्रीदेवी की अस्थियों को आज (3 मार्च) रामेश्वरम में विसर्जित कर दिया गया। श्रीदेवी का निधन 24 फरवरी को मुंबई में हो गया था। 

जानकारी के मुताबिक़, बोनी कपूर श्रीदेवी की अस्थियां स्पेशल एयरक्राफ़्ट में लेकर शुक्रवार को चेन्नई पहुंच गये थे। शनिवार को अस्थियां लेकर वो रामेश्वरम के लिए रवाना हुए, जहां पूरे धार्मिक रीति-रिवाज़ के साथ अस्थियों को रामेश्वरम के समंदर में प्रवाहित कर दिया गया। बोनी की दोनों बेटियां जाह्नवी और ख़ुशी इस दौरान उनके साथ रहीं। बता दें कि श्रीदेवी, बोनी कपूर के भांजे मोहित मारवाह की शादी में शामिल होने परिवार के साथ दुबई गयी थीं। 20 फरवरी को शादी के बाद वो निजी कारणों से वहीं रुकी रहीं। 24 फरवरी को श्रीदेवी का दुबई में उनके होटल के कमरे में निधन हो गया था। पहले उनकी मृत्यु का कारण कार्डिएक अरेस्ट बताया गया था, मगर बाद में पोस्टमॉर्टम और फॉरेंसिक जांच रिपोर्टों में इसकी वजह बाथटब में दुर्घटनावश डूबना बतायी गयी थी।

श्रीदेवी के रक्त में एल्कोहल के अवशेष भी पाये गये थे। ज़रूरी काग़ज़ी प्रक्रियाएं पूरी होने के श्रीदेवी का पार्थिव शरीर 27 फरवरी की रात एक स्पेशल विमान में मुंबई पहुंचा था। 2013 में नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित होने की वजह से 28 फरवरी को पूरे राजकीय सम्मान के साथ श्रीदेवी का अंतिम संस्कार किया गया था। इस दौरान हज़ारों की संख्या में फ़ैंस और इंडस्ट्री के लोगों ने श्रीदेवी को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

श्रीदेवी का जन्म तमिलनाडु के शिवाकाशी में 13 अगस्त 1963 को हुआ था। माता-पिता ने उनका नाम श्री अम्मा अयंगर अयप्पन रखा। श्रीदेवी ने अपना करियर बाल कलाकार के रूप में तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम सिनेमा से शुरू किया था। चार साल की उम्र में श्रीदेवी ने भक्ति फ़िल्म Thunaivan से पर्दे की दुनिया में क़दम रखा था। 12 साल की उम्र में श्रीदेवी ने हिंदी सिनेमा का रुख़ किया। 1975 में आयी फ़िल्म 'जूली' में उन्होंने फीमेल लीड लक्ष्मी की छोटी बहन का किरदार निभाया था।

हिंदी सिनेमा में बतौर लीड एक्ट्रेस उनकी शुरुआत 1979 की फ़िल्म 'सोलवां सावन' से हुई। 1983 में श्रीदेवी की 'सदमा' और 'हिम्मतवाला' रिलीज़ हुईं। दोनों फ़िल्में दक्षिण भारतीय फ़िल्मों का रीमेक थीं। सदमा और हिम्मतवाला, श्रीदेवी के सहज और विविधतापूर्ण अभिनय के उदाहरण हैं। अस्सी के दशक में श्रीदेवी मवाली, इंक़िलाब और तोहफ़ा जैसी कामयाब मसाला फ़िल्मों की हीरोइन बनीं। श्रीदेवी को एक संपूर्ण अभिनेत्री के तौर पर याद रखा जाएगा, जो अदाकारी के साथ नृत्य में भी निपुण थीं। 

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