Smita Patil Death Anniversary: DD नेशनल की न्यूज रीडर स्मिता पाटिल कैसे बनीं पैरेलल सिनेमा की सुपरस्टार? दिलचस्प है कहानी

31 की जिंदगी और 11 साल का फिल्मी करियर फिर भी हिंदी सिनेमा में छोटा अमिट छाप... ये कहानी है पैरेलल सिनेमा का चेहरा स्मिता पाटिल की। 13 दिसंबर 1986 को इस दुनिया को अलविदा कह देने वालीं स्मिता आज भले ही इस दुनिया में न हों लेकिन उन्होंने फिल्म जगत में काम किए हैं उसका जिक्र हमेशा किया जाएगा। सांवली सी स्मिता फिल्मों में कैसे आईं यहां जानिए।

By Rinki TiwariEdited By: Publish:Tue, 12 Dec 2023 04:42 PM (IST) Updated:Tue, 12 Dec 2023 04:42 PM (IST)
Smita Patil Death Anniversary: DD नेशनल की न्यूज रीडर स्मिता पाटिल कैसे बनीं पैरेलल सिनेमा की सुपरस्टार? दिलचस्प है कहानी
स्मिता पाटिल ऐसे बनी थीं न्यूज रीडर से पैरेलल सिनेमा का चेहरा। फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम

HighLights

  • पैरेलल सिनेमा का चेहरा थीं स्मिता पाटिल
  • फिल्मों से पहले डीडी नेशनल में थीं न्यूज रीडर
  • दो बार जीत चुकी हैं नेशनल अवॉर्ड

 एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Smita Patil Death Anniversary: हिंदी सिनेमा के 100 साल से ज्यादा के इतिहास में कई अभिनेत्रियां आईं और गईं, लेकिन कुछ चुनिंदा अदाकारा रहीं, जिन्होंने अपनी ऐसी छाप छोड़ी, जिन्हें युगों-युगों तक भुलाया नहीं जा सकता है। 17 अक्टूबर 1955 को मुंबई में राजनेता शिवाजीराव पाटिल और सामाजिक कार्यकर्ता विद्याताई पाटिल के घर में जन्मीं स्मिता पाटिल (Smita Patil) भी उनमें से एक रहीं।

पैरेलल सिनेमा की जान थीं स्मिता पाटिल

सांवला रंग, आंखों में चमक और चेहरे पर एक आकर्षक आत्मविश्वास से परिपूर्ण स्मिता पाटिल (Smita Patil) हिंदी सिनेमा का वो जगमगाता सितारा थीं, जिन्होंने महज 11 साल के करियर में अपने टैलेंट से हर किसी को हैरान कर दिया था। वह पैरेलल सिनेमा का चेहरा थीं, जिन्होंने मंथन, मंडी, बाजार, अर्थ सत्य, निशांत और भूमिका जैसी फिल्मों में अपनी फाइन एक्टिंग से खुद को बेहतरीन अदाकारा की लिस्ट में शुमार कर लिया था।

डीडी नेशनल में न्यूज रीडर थीं स्मिता पाटिल

स्मिता पाटिल को बचपन से ही अभिनय का शौक था। बचपन में स्कूल में ड्रामा करती थीं और बड़ी होकर थिएटर आर्टिस्ट बन गईं। यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई से लिटरेचर की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह डीडी नेशनल में एक न्यूज रीडर बन गईं। वह डीडी नेशनल में मुंबई की खबरें पढ़ती थीं।

कहा जाता है कि अभिनेत्री को साड़ी पहनना बिल्कुल भी नहीं पसंद था और उस दौर में डीडी नेशनल में न्यूज रीडर को साड़ी पहनना कंपलसरी था। ऐसे में स्मिता जींस के ऊपर ही साड़ी पहन लिया करती थीं।

यह भी पढ़ें- Smita Patil Birth Anniversary: 'आज रपट जाएं' के बाद खूब रोई थीं स्मिता, इस फिल्म ने बदली किस्मत, जानें- किस्से

स्मिता पाटिल थीं श्याम बेनेगल की खोज

जब स्मिता डीडी नेशनल पर न्यूज रीडर के तौर पर काम करती थीं, तब उन पर पैरेलल सिनेमा को दुनियाभर में पहचान दिलाने वाले फिल्ममेकर श्याम बेनेगल (Shyam Benegal) की नजर पड़ी, जिन्होंने बाद में अभिनेत्री को चिल्ड्रन फिल्म 'चरणदास चोर' से लॉन्च किया था। स्मिता को पहचान फिल्म 'मंथन' से मिली थी, जिसने उन्हें घर-घर में मशहूर बना दिया। वह तभी उन्हें फिल्म तीव्र मध्यम (Teevra Madhyam) मिली।

स्मिता पाटिल के सांवले रंग और खूबसूरत बनावट से श्याम बेनेगल इंप्रेस हुए थे। एक इंटरव्यू में डायरेक्टर ने कहा था- 

किसी ने नहीं सोचा होगा कि स्मिता पाटिल हीरोइन बनेंगी, क्योंकि भारत में डार्क स्किन के प्रति लोग बायस्ड हैं। यह बेतुका है, लेकिन सच यही है। मैंने टीवी और खोपकर की फिल्म (तीव्र मध्यम) में जो देखा, उससे मुझे शुरू से ही ऐसा लगा था। मैं कह सकता हूं कि पर्दे पर इसकी शानदार फोटोग्राफ होगी। 

पैरेलल सिनेमा में स्मिता पाटिल ने की ये फिल्में... मंथन भूमिका आक्रोश अर्थ अर्ध्य सत्य बाजार

पैरेलल सिनेमा के लिए ठुकराईं कमर्शियल मूवीज 

स्मिता पाटिल ने कई महिला केंद्रित फिल्मों में काम कर अपनी पहचान बनाई और पैरेलल सिनेमा की सुपरस्टार बन गईं। पैरेलल सिनेमा के अलावा स्मिता ने कमर्शियल फिल्मों में भी सफलता का झंडा लहराया। स्मिता पैरेलल सिनेमा का चेहरा थीं और उन्होंने इन फिल्मों के लिए कई कमर्शियल मूवीज को अंगूठा दिया था। बाद में 80 के दशक में स्मिता ने कई कमर्शियल फिल्में भी कीं। अमिताभ बच्चन के साथ 'नमक हलाल' उनकी हिट फिल्मों में शुमार थी।

21 की उम्र में स्मिता पाटिल ने जीता था नेशनल अवॉर्ड

स्मिता पाटिल एक ऐसी अभिनेत्री थीं, जिन्हें अपनी फिल्मों में कास्ट करने के लिए लोग तरसते थे। अपने जमाने के मशहूर अभिनेता देव आनंद (Dev Anand) ने स्मिता को 'हरे रामा हरे कृष्णा' मूवी में एक रोल भी ऑफर किया, लेकिन अभिनेत्री ने मना कर दिया था। स्मिता, मनोज कुमार की फिल्म 'रोटी कपड़ा और मकान' भी ठुकरा चुकी थीं। श्याम बेनेगल तो स्मिता की तारीफ करते नहीं थकते थे। वह उन्हें गिरगिट बुलाते थे, जो हर किरदार में बड़ी आसानी से ढल जाती थीं। 

अपनी इसी उम्दा अदाकारी के चलते स्मिता पाटिल दो नेशनल अवॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं। मात्र 21 साल की उम्र में स्मिता ने फिल्म भूमिका के लिए पहला नेशनल अवॉर्ड जीता था। कहा जाता है कि इस अवॉर्ड प्राइज मनी को अभिनेत्री ने दान कर दिया था। फिल्म चक्र के लिए स्मिता ने दूसरा नेशनल अवॉर्ड अपने नाम किया था। वह पद्म श्री के अलावा कई फिल्मफेयर अवॉर्ड भी जीत चुकी हैं। 

13 दिसंबर 1986 को चाइल्ड बर्थ कॉम्प्लीकेशंस की वजह से स्मिता पाटिल ने महज 31 साल की उम्र में इस दुनिया से चली गईं। आज भले ही वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपने शानदार काम के लिए वह हमेशा याद की जाएंगी।

यह भी पढ़ें- Smita Patil Death Anniversary: 31 की उम्र में दुनिया छोड़ गईं थीं स्मिता, मौत के बाद रिलीज हुईं 15 फिल्में

chat bot
आपका साथी