Rajesh Khanna के स्टारडम ने जब नेत्रदान पर बनी इस फिल्म को दिया था जीवनदान, कैमियो से ही फिल्म हो गयी सुपरहिट

50 Years Of Rajesh Khannas Anuraag राजेश खन्ना की 80वीं जयंती मनायी जा रही है। उन्हें हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार कहा जाता है। राजेश खन्ना ने अपने दौर के फिल्मकारों की मदद की थी ताकि उनकी फिल्मों को रिलीज किया जा सके।

By Manoj VashisthEdited By: Publish:Mon, 05 Dec 2022 01:11 PM (IST) Updated:Thu, 29 Dec 2022 12:35 PM (IST)
Rajesh Khanna के स्टारडम ने जब नेत्रदान पर बनी इस फिल्म को दिया था जीवनदान, कैमियो से ही फिल्म हो गयी सुपरहिट
Rajesh Khanna's completes Anuraag 50 Years. Photo- Instagram

नई दिल्ली, जेएनएन। राजेश खन्ना को हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार कहा जाता है। उनके दौर को करीब से देखने वाले कहते हैं कि राजेश खन्ना के स्टारडम की कल्पना करना भी आज मुश्किल है। कहा जाता है कि जिस वक्त वो कामयाबी के शिखर पर विराजमान थे, उनके आगे फिल्मों के ऑफर लिये हुए निर्माताओं की लाइन लगी रहती थी। ऐसी तमाम कहानियां हिंदी सिनेमा में प्रचलित हैं।

कुछ सच हैं तो कुछ ऐसी भी हैं, जिनमें काल्पनिकता और अतिरंजना के रंग घोले गये हैं, ताकि वो चटपटी लगें। कहानी चाहे जैसी हों, मगर राजेश खन्ना के सुपर स्टारडम को लेकर किसी को कई शक नहीं रहा। इस स्टारडम ने कुछ ऐसी फिल्मों को सांसें दीं, जिनका पर्दे तक पहुंचने से पहले दम तोड़ने वाली थीं। 

राजेश खन्ना के छूते ही इन फिल्मों को ना सिर्फ सफलता मिली, बल्कि बाद में क्लासिक का दर्जा पाया। राजेश खन्ना का कैमियो ही फिल्म के लिए सफलता की गारंटी बन जाता था। इंडस्ट्री में काका के नाम से लोकप्रिय राजेश खन्ना के 80वीं जयंती पर ऐसी ही एक फिल्म अनुराग की कहानी, जिसे काका के मिडास टच ने जिंदगी बख्शी थी।

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अनुराग की कहानी सुनकर ठुकरायी फिल्म

अनुराग ने इस साल 5 दिसम्बर को 50 साल का सफर पूरा किया। फिल्म में विनोद मेहरा, मौसमी चटर्जी और नूतन ने मुख्य भूमिकाएं निभायी थीं, जबकि निर्देशन शक्ति सामंत ने किया था। इस फिल्म को बचाने का क्रेडिट राजेश खन्ना को जाता है, अगर वो ना होते तो अनुराग स्क्रीन पर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ चुकी थी। 

बात उस दौर की है, जब राजेश खन्ना ने बॉक्स ऑफिस पर हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी थी। उनकी इस पारी की शुरुआत शक्ति सामंत निर्देशित फिल्म आराधना से हुई थी, जो 1969 में आयी थी। इसके बाद इस जोड़ी की कटी पतंग और अमर प्रेम भी सुपर हिट रही थीं। शक्ति सामंत ने इसके बाद अनुराग पर काम करना शुरू किया, मगर कहानी सुनकर हर कोई उन्हें फिल्म ना बनाने के लिए हतोत्साहित करता था।

राजेश खन्ना अनुराग के लिए बने संकट मोचक

एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि जब उन्होंने इसकी कहानी राजेश खन्ना को सुनायी तो उन्होंने फौरन इसे शुरू करने को कहा। इस पर शक्ति सामंत ने उन्हें बताया कि फिल्म मे उनका रोल तो होगा नहीं, क्योंकि कहानी के केंद्र में भाई और बहन की बॉन्डिंग है। मगर, जब राजेश नहीं माने तो उनके लिए मेहमान भूमिका लिखी गयी। फिल्म की रिलीज को सपोर्ट करने के लिए राजेश खन्ना डिस्ट्रीब्यूटर भी बने और शक्ति सामंत के साथ शक्ति राज नाम से फिल्म वितरण कम्पनी बनायी। फिल्म के लीड एक्टर विनोद मेहरा के किरदार का नाम भी राजेश रखा गया था।

आखिरकार, अनुराग रिलीज हुई और बॉक्स ऑफिस पर हिट रही इतना ही नहीं इसे कई बेस्ट फिल्म के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला और राजेश खन्ना को स्पेशल अवॉर्ड से नवाजा गया था। 

Rajesh Khanna with director Shakti Samanta #BehindTheScenes of Ajanabee (1974). The two collaborated on classics such as Aradhana (1969), Kati Patang (1970) and Amar Prem (1971). pic.twitter.com/TKJCzq2fsZ— NFAI (@NFAIOfficial) December 29, 2017

नेत्रदान की अहमियत पर आधारित है फिल्म

कहानी नेत्रहीन लड़की शिवानी (मौसमी चटर्जी) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक आश्रम में रहती है। उसे राजेश (विनोद मेहरा) से प्यार हो जाता है। शिवानी की दोस्ती एक छोटे से लड़के से है, जिसे कैंसर है। शादी के लिए राजेश, शिवानी को अपने माता-पिता से मिलवाता है। मां तैयार हो जाती है, मगर पिता इनकार कर देते हैं। नेत्र सर्जन आइ रिप्लेसमेंट करवाने की सलाह देते हैं, मगर इसके लिए डोनर चाहिए। बाद में आश्रम में रहने वाला बच्चा अपनी आखिर इच्छा के तौर पर शिवानी को अपनी आंखें दान कर जाता है। 

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