लोग हंसते थे मेरे सपनों पर - अंकित तिवारी

'आशिकी 2' के गाने ‘सुन रहा है न तू’ और ‘एक विलेन’ के गाने ‘गलियां’ ने अंकित तिवारी को शोहरत दिलाई। इन दोनों के लिए उन्हें कई अवॉर्ड्स से नवाजा गया। कानपुर से ताल्लुक रखने वाले अंकित ने अपने कॅरियर का आगाज जिंगल बनाने से किया था। उन्होंने टीवी कार्यक्रमों

By Monika SharmaEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2015 01:34 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2015 01:51 PM (IST)
लोग हंसते थे मेरे सपनों पर - अंकित तिवारी

कुछ समय पहले ही तो बॉलीवुड में एक बड़े सपने को पूरा करने आए थे अंकित तिवारी और आज उन्होंने पा लिया है संगीत की दुनिया में मुकम्मल मुकाम...

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'आशिकी 2' के गाने ‘सुन रहा है न तू’ और ‘एक विलेन’ के गाने ‘गलियां’ ने अंकित तिवारी को शोहरत दिलाई। इन दोनों के लिए उन्हें कई अवॉर्ड्स से नवाजा गया। कानपुर से ताल्लुक रखने वाले अंकित ने अपने कॅरियर का आगाज जिंगल बनाने से किया था। उन्होंने टीवी कार्यक्रमों के लिए बैकग्राउंड म्यूजिक कंपोज किया।

उसके बाद फिल्म ‘दो दूनी चार’ और ‘साहब, बीवी और गैंगस्टर’ के गानों को संगीतबद्ध किया। अंकित को संगीत विरासत में मिला है। उनके माता-पिता की कानपुर में अपनी संगीत मंडली है। मैलोडी सॉन्ग को वह अपनी स्ट्रेंथ मानते हैं। हालांकि इस मुकाम को पाने के लिए उन्हें सात साल तक संघर्ष करना पड़ा।

सब सपना लगता है

अंकित कहते हैं, ‘संघर्ष के दौरान कई ऐसे मौके आए जब मुंबई से वापसी की सोची। उस समय भाई ने मुझे सबसे ज्यादा संबल दिया। उन्हें यकीन था कि एक न एक दिन सफलता मेरे कदम चूमेगी। उनका सपना बिजनेसमैन बनने का था। करियर के एक मोड़ पर उन्हें लगा कि हमें साथ काम करना चाहिए। आज हमारी म्यूजिक कंपनी ब्रदरहुड इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड उनकी बदौलत ही खड़ी हो पाई। हमें इंडस्ट्री में पांच साल हो गए हैं। पीछे मुड़कर देखने पर सब सपना सा लगता है। कई लोग मेरे सपनों का मजाक उड़ाते थे। मेरे माता-पिता मेरी तरक्की पर गर्व महसूस करते हैं। उनके चेहरे पर संतुष्टि के भाव देखकर मैं खुश होता हूं। महेश भट्ट, मुकेश भट्ट और मोहित सूरी का भी मेरे करियर में अमूल्य योगदान रहा है।’

रहमान को गवाऊं गाना
28 वर्षीय अंकित प्लेबैक सिंगर होने के साथ म्यूजिक कंपोजर भी हैं। हालांकि उनकी पहली पसंद कंपोजिंग है। वह कहते हैं, ‘मैं हमेशा से कंपोजर बनना चाहता था। आज भी पसंद बदली नहीं है। गाने भी मेरे दिल के बेहद करीब हैं। अगर कभी निर्देशक या निर्माता को लगता है कि किसी गाने के लिए मेरी आवाज उपयुक्त है तो मुझे गाने से परहेज नहीं।’ अंकित की ख्वाहिश ए.आर. रहमान को गवाने की है। वह कहते हैं, ‘जब मुझमें म्यूजिक की समझ आ रही थी उस दौर में रहमान छाए हुए थे। उस समय सोते-जागते मुझ पर रहमान का ही प्रभाव था। मैं अपने कंपोजिशन में उन्हें गवाना चाहता हूं। उनके लिए गाना भी चाहता हूं। इसके अलावा लता मंगेशकर और आशा भोंसले के साथ गाने की तमन्ना है। मुझे कभी-कभी लगता है कि मैं दुनिया में देर से आया। पंचम दा, सलिल चौधरी, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और गीतकारों में जावेद अख्तर, साहिर लुधियानवी के साथ काम न कर पाने का मलाल है। वर्तमान में मुझे साहिर और आनंद बख्शी की कमी बहुत महसूस होती है।’

लुक पर ध्यान
वर्तमान में कलाकारों के साथ गायक को भी अपने लुक पर खासा ध्यान देना पड़ता है। इस बात से अंकित भी सहमति जताते हैं। वह कहते हैं, ‘अगर आप गायक है तो परफॉर्मर भी बनना चाहेंगे। स्टेज, म्यूजिक वीडियो, होस्ट या जज सबकुछ आपके लुक पर आकर टिक जाता है। शुरुआत में मुझे लगता था कि सिर्फ अच्छा गाना आना चाहिए। अब तो एक्सरसाइज भी करनी पड़ती है। चाय में चीनी भी कम लेनी होती है। खाने में भी बहुत परहेज करना पड़ता है।’ जल्द ही फिल्म ‘एयरलिफ्ट’, ‘रॉकी हैंडसम’ समेत दर्जनों फिल्मों में उनके संगीतबद्ध गाने सुनने को मिलेंगे। साथ ही उनकी गायकी का लुत्फ मिलेगा।

स्मिता श्रीवास्तव

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