राज़ी के बाद भी सरहद और सेना से रहेगा मेघना गुलज़ार का रिश्ता, ये है वजह

मेघना गुलज़ार ने कहा कि अभी कहानी लिखने का कार्य चल रहा है और बायोपिक को पर्दे पर लाने के लिए काफ़ी रिसर्च किया जाना है l

By Manoj KhadilkarEdited By: Publish:Wed, 06 Jun 2018 04:24 PM (IST) Updated:Wed, 06 Jun 2018 04:24 PM (IST)
राज़ी के बाद भी सरहद और सेना से रहेगा मेघना गुलज़ार का रिश्ता, ये है वजह
राज़ी के बाद भी सरहद और सेना से रहेगा मेघना गुलज़ार का रिश्ता, ये है वजह

रुपेशकुमार गुप्ता, मुंबई l गुलज़ार की डायरेक्टर बेटी मेघना गुलज़ार हमेशा अपनी फिल्मों में अलग विषय ले कर आती हैं l हाल ही में आई फिल्म राज़ी में उन्होंने ऐसी लड़की की कहानी को बयान किया था जो पाकिस्तानी सेना अधिकारी से शादी कर अपने देश के लिए जासूसी करती है l राज़ी के बाद भी मेघना का सेना से लगाव ख़त्म नहीं होगा l

मेघना अब भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध के नायक सैम मानेकशॉ के जीवन पर फिल्म बनाने वाली हैं l इस फिल्म के बारे में बताते हुए मेघना गुलज़ार ने कहा कि इस फिल्म को बनाने का विचार उनके मन में तब आयाl जब वह फिल्म निर्माता रॉनी स्क्रूवाला के साथ बैठकर बात कर रही थी और रॉनी ने उन्हें उनके साथ काम करने का प्रस्ताव दियाl जिसके बाद उनके मन में विचार आया कि क्यों न सैम मानेकशॉ पर फिल्म बनाई जाएl जिसके बाद दोनों इस बात के लिए तैयार हो गएl इस फिल्म के बारे में मेघना गुलज़ार ने कहा कि अभी कहानी लिखने का कार्य चल रहा है और बायोपिक को पर्दे पर लाने के लिए काफ़ी रिसर्च किया जाना है l इसके पीछे उन्होंने कारण दिया कि मानेक शॉ का जीवन बहुत ही विस्तृत और उनके जीवन से जुड़ी बहुत सी कहानियां हैl ऐसे में उन्हें 2 घंटे की फिल्म में समेटना कोई सरल कार्य नहीं हैl इस मौके पर उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म का एक बड़ा भाग 1971 में हुए भारत और पाकिस्तान के युद्ध की कहानी पर फिल्माया जाएगा l इसके साथ ही मेघना गुलज़ार ने यह भी कहा कि उन्होंने अभी हाल ही में फिल्म राज़ी का निर्देशन किया है, जोकि 1971 की लड़ाई पर ही आधारित है l

सैम मानेकशॉ को 1969 में सेनाध्यक्ष बनाया गया था और उन्हें उनके अदम्य साहस के लिए 1973 में फील्ड मार्शल की पदवी से सम्मानित किया गया l सेना से सेवानिवृत होने के बाद वह तमिलनाडु में बस गए और 2008 में उनका स्वर्गवास हो गया l सैम मानेकशॉ को पाकिस्तान को दो भागों में बाटने और बांग्लादेश का निर्माण करने में अहम योगदान माना जाता है l

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