नीरज-फिरोज: ऐसी दोस्ती तो फिल्मों में भी नहीं दिखती

जिस मुंबई में मतलब के लिए दोस्ती का चलन है वहां फिरोज नाडियाडवाला ने एक मिसाल कायम की। नीरज के दोस्त उनके जाने के गम के बावजूद फिरोज के दोस्ताना की दाद दे रहे हैं ।

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Thu, 14 Dec 2017 04:46 PM (IST) Updated:Thu, 14 Dec 2017 04:46 PM (IST)
नीरज-फिरोज: ऐसी दोस्ती तो फिल्मों में भी नहीं दिखती
नीरज-फिरोज: ऐसी दोस्ती तो फिल्मों में भी नहीं दिखती

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली: बॉलीवुड फिल्मों के निर्माता, लेखक और अभिनेता नीरज वोरा 54 साल की आयु में ही चल बसे। उन्हें लोग उनके नाम से ज्यादा उनके काम से जानते थे। उन्होंने बतौर हास्य अभिनेता कई फिल्मों में तो अपनी छाप छोड़ी ही, फिर हेराफेरी जैसी सुपर हिट फिल्म के निर्देशक के तौर पर भी खासा नाम कमाया। उन्होंने गुरुवार को सुबह चार बजे मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। अस्पताल से उनके पार्थिव शरीर को पहले फिल्म निर्माता फिरोज नाडियाडवाला के घर ले जाया गया। इसकी वजह जानकर लोग पहले हैरान हुए और फिर बरबस बोल पड़े, दोस्त हो तो फिरोज जैसा।

नीरज वोरा बीते लगभग एक साल से कोमा में थे। जब हार्ट अटैक और ब्रेन हैमरेज के चलते उनकी हालत बिगड़ गई और दिल्ली के एम्स में उनका इलाज कर रहे डाक्टरों ने यह कह दिया कि वह कुछ ही दिनों के मेहमान हैं तो फिरोज नाडियाडवाला उनका सहारा बने और उन्होंने डाक्टरों से कहा कि वह अपने दोस्त को इस तरह नहीं जाने दे सकते। उनकी फिरोज से 12 साल पुरानी दोस्ती थी। वह नीरज को मुंबई स्थित अपने घर बरकत विला ले आए और एक वहां के कमरे को आईसीयू में बदल दिया। उन्होंने नीरज को करीब 10 माह तक वहां रखा और उनकी पूरी देखभाल की। उन्होंने नीरज की सेवा के लिए एक नर्स और वार्डब्वाय का भी इंतजाम किया। बीच-बीच में डाक्टर उन्हें देखने आते रहते। इस सबका सारा खर्च उन्होंने अपनी जेब से दिया और बिना किसी से कुछ कहे। फिरोज ने नीरज के लिए वह सब कुछ किया जो अपने सगे भी मुश्किल से करते हैं। ज्ञात हो कि नीरज की पत्नी का निधन पहले ही चुका था और उनके कोई संतान भी नहीं थी।

जब नीरज की हालत में कुछ सुधार आया तो फिरोज नाडियाडवाला को यह उम्मीद जगी कि वह नीरज को बचा लेंगे, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था। चार दिन पहले उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। जिस मुंबई में मतलब के लिए दोस्ती का चलन है वहां फिरोज नाडियाडवाला ने एक मिसाल कायम की। नीरज के दोस्त उनके जाने के गम के बावजूद फिरोज के दोस्ताना की दाद दे रहे हैं । फिरोज के मुताबिक उन्होंने अपने दोस्त को मौत के जबड़े से बाहर निकालने के लिए वह सब कुछ किया जो संभव था। 

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