जॉन क्यों बनाते हैं मद्रास कैफे और परमाणु जैसी फिल्में, उनसे ही जानिये

जॉन की फिल्म परमाणु- द स्टोरी ऑफ पोखरण 25 मई को रिलीज होने वाली है।

By Manoj KhadilkarEdited By: Publish:Fri, 18 May 2018 04:38 PM (IST) Updated:Fri, 18 May 2018 04:38 PM (IST)
जॉन क्यों बनाते हैं मद्रास कैफे और परमाणु जैसी फिल्में, उनसे ही जानिये
जॉन क्यों बनाते हैं मद्रास कैफे और परमाणु जैसी फिल्में, उनसे ही जानिये

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। जॉन अब्राहम अपनी फिल्म परमाणु को लेकर काफी उत्साहित हैं। उनका मानना है कि परमाणु जैसे विषय पर फिल्म बननी ही चाहिए। जॉन बताते हैं कि उन्हें लगता है कि 1998 के पोखरण टेस्ट ने इंडिया को रिडिफाइन किया था। पूरी दुनिया में इस मोमेंट के बाद भारत का नाम एक बड़ी ताकत के रूप में उभरा।

जॉन का मानना है कि इस कहानी पर फिल्म बननी इसलिए भी जरूरी थी कि आधे से ज्यादा भारत आज भी परमाणु का मतलब नहीं जानता। यह भी नहीं जानता कि पोखरण में क्या हुआ था। सिर्फ युवा ही नहीं 30 से 35 साल के लोगों को भी इसकी जानकारी नहीं हैं। जॉन ने आगे बताया कि जब पोखरण टेस्ट 2 हुआ था उस वक्त वो मैनेजमेंट के स्टूडेंट थे और मैनेजमेंट में उनका वह पहला साल था। उन्हें जब परमाणु परीक्षण के बारे में मालूम हुआ तो उन्होंने अटल बिहारी बाजपाई की स्पीच सुनी थी। जॉन का कहना है कि वह उन सारे विषयों पर फिल्म बनाते रहना चाहते हैं, जिन विषयों ने उन्हें निज़ी जिंदगी तौर पर काफी प्रभावित किया है। उन्होंने उस विषयों पर फिल्में बनाने की सोच रखी है। वह बताते हैं कि उनकी मॉम उस वक़्त बहुत रोई थीं, जब राजीव गाँधी का देहान्त हुआ था और उस घटना का जॉन पर लंबे समय तक असर रहा था। यही वजह थी कि उन्होंने तय किया था कि वह मद्रास कैफे जैसी फिल्में बनायेंगे।

जॉन ने यह भी बताया कि किस तरह मद्रास कैफे के अच्छे इम्प्रेशन की वजह से भी उन्हें फिल्म को लेकर रिसर्च करने में दिक्कत नहीं हुई। उन्होंने बताया कि उन्हें इस विषय को लेकर इससे जुड़े आधिकारिक से काफी मदद मिली। उन लोगों ने भी जॉन को कॉम्प्लीमेंट दिया कि वे लोग इस बात से वाकिफ हैं कि जॉन की कंपनी नाच गाने वाली फिल्में नहीं बनाती, इसलिए उन लोगों ने उन्हें पूरी तरह से सपोर्ट किया। बता दें कि जॉन की फिल्म परमाणु- द स्टोरी ऑफ पोखरण 25 मई को रिलीज होने वाली है।

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