रोहित शेट्टी की फिल्मों में 50 लोगों को क्यों मारता है अकेला हीरो, जानें कहानी

रोहित को इसका जो जवाब मिला, उसने उनके करियर का रूख मोड़ दिया, और इसी जवाब से उन्होंने तय किया, कि वो बड़े होकर क्या करने वाले हैं।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Mon, 22 Aug 2016 01:10 PM (IST) Updated:Mon, 22 Aug 2016 01:41 PM (IST)
रोहित शेट्टी की फिल्मों में 50 लोगों को क्यों मारता है अकेला हीरो, जानें कहानी

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। रोहित शेट्टी कॉमर्शियल फिल्में बनाने में हमेशा माहिर रहे हैं, लेकिन उन्हें मसाला फिल्में बनाने का चस्का कैसे लगा, ये कहानी बड़ी दिलचस्प है।

कॉमर्शियल फिल्म मेकर्स में रोहित का नाम अव्वल नंबर पर आता है, इसमें कोई शक नहीं है, लेकिन उन्होंने कॉमर्शियल फिल्मों का ही रास्ता क्यों चुना, इसके पीछे वजह रोहित के पिता एमबी शेट्टी हैं, जिन्हें लोग शेट्टी के नाम से जानते हैं। शेट्टी हिंदी फिल्मों के सुपरविलेन और स्टंट मास्टर के रूप में जाने जाते थे। रोहित बताते है, कि वो हमेशा उनके साथ सेट पर जाया करते थे।

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एक दिन जब वो पिता के साथ सेट से वापस घर आ रहे थे तो उनके और उनके पिता शेट्टी के बीच कुछ ऐसी बातें हुई थीं, जो रोहित के जहन में जिंदा रह गयी थीं। जब वो पापा के साथ उस दिन रात में लौट रहे थे, तो मैंने डरते-डरते पूछा, कि ऐसे कैसे अमित अंकल एक साथ उन लोगों को मार रहे थे। ऐसा हो सकता है क्या?

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रोहित बताते हैं- "मैं पापा के साथ काफी सेट पर जाता था। उन दिनों पापा अमित जी (अमिताभ बच्चन) की किसी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। मुझे फिल्म का नाम याद नहीं है। मैं शायद उस वक्त सेकेंड स्टैंडर्ड में था। बस इतना याद है, कि अमित अंकल एक साथ 12-15 लोगों को मार रहे होते हैं, तो मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा था, कि कोई एक व्यक्ति कैसे इतने लोगों को मार सकता है।"

...और प्रीति जिंटा को भूल गए शाह रूख खान रोहित को इसका जो जवाब मिला, उसने उनके करियर का रूख मोड़ दिया, और इसी जवाब से उन्होंने तय किया, कि वो बड़े होकर क्या करने वाले हैं। रोहित ने बताया- "पापा का जवाब था कि वो हीरो हैं। हीरो कुछ भी कर सकता है, और वो बात शायद दिमाग में रह गयी कि हीरो ही फिल्मों में सबकुछ होता है, और वो कुछ भी कर सकता है। यही वजह है कि मैं कॉमर्शियल फिल्में ही बनाने लगा। पहले हीरो 15 को मारते थे, और अब तो मेरी फिल्मों के हीरो 50 गुंडों को मारने लगे। कॉमर्शियल फिल्मों के हीरो तो हीरो ही होते हैं।

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