फिल्में कहानी से चलती हैं

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में चरित्र अभिनेत्री, खासकर मां या भाभी की भूमिका बहुत अहम होती है। ऐसी भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं रूपा सिंह। वे फिल्म 'शादी वादी' में भाभी बनकर दर्शकों के बीच आ रही हैं। इस नई भूमिका से वे खुद भी उत्साहित हैं और उम्मीद है कि वे अपनी एक अलग पहचान बना पा

By Edited By: Publish:Mon, 07 Oct 2013 11:39 AM (IST) Updated:Mon, 07 Oct 2013 12:05 PM (IST)
फिल्में कहानी से चलती हैं

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में चरित्र अभिनेत्री, खासकर मां या भाभी की भूमिका बहुत अहम होती है। ऐसी भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं रूपा सिंह। वे फिल्म 'शादी वादी' में भाभी बनकर दर्शकों के बीच आ रही हैं। इस नई भूमिका से वे खुद भी उत्साहित हैं और उम्मीद है कि वे अपनी एक अलग पहचान बना पाएंगी। यह फिल्म अगले माह रिलीज हो रही है। हाल में रिलीज निर्देशक जीतेंद्र कुमार सुमन की फिल्म 'खोईछा' में उनकी भूमिका की खूब सराहना हुई है। प्रस्तुत हैं रूपा सिंह से हुई बातचीत के प्रमुख अंश..

अभिनय की दुनिया में आने की प्रेरणा कब और कैसे मिली?

मुझे बचपन से ही टीवी देखने का शौक था। इसी से प्रेरणा मिली। अभिनेत्री रेखा के काम से प्रभावित होकर मैं अभिनय की दुनिया में आई और मौके की तलाश में लग गई।

आखिर वह मौका कब, कैसे और किसके माध्यम से मिला?

सन 2004 में, तब पटना के एक लोकल न्यूज चैनल में मुझे बतौर न्यूज रीडर काम करने का मौका मिला। बिना कुछ ज्यादा सोचे मैं उससे जुड़ गई। इसी दौरान एक रिपोर्टर की मदद से ईटीवी के धारावाहिक 'दास्तान -ए-जुर्म' में अभिनय करने का ऑफर आया, तो बांछें खिल गई।

फिल्मों में कैसे आर्ई और पहली फिल्म कौन थी?

धारावाहिक करने के दौरान ही 2005 में निर्देशक आकाश योगी से 'बीए पास बहुरिया' में बहू के रोल का ऑफर मिला। फिर मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

अब तक कितनी फिल्में आ चुकी हैं और आने वाली कौन-कौन सी फिल्में हैं?

अब तक मेरी 32 फिल्में रिलीज हो चुकी हैं। इसमें 'बीए पास बहुरिया', 'धर्मवीर', 'विदाई', 'दिलेर', 'खोईछा', 'सजन परदेसिया' आदि प्रमुख हैं। जल्द आने वाली फिल्मों में 'सेटिंगबाज', 'सतवीर' और 'शादी वादी' प्रमुख हैं।

इन फिल्मों में आपकी कैसी भूमिका है?

'सेटिंगबाज' और 'सतवीर' में तो मां की भूमिका में हूं, लेकिन 'शादी वादी' में एक आदर्श भाभी का रोल है। यह रोल लोगों पर अलग छाप छोड़ेगा।

आप छोटे पर्दे से भी जुड़ी हुई हैं। प्रमुख धारावाहिकों के बारे में बताएं?

मैंने महुआ चैनल के लिए 'भगवान हो' और 'जय-जय शिवशंकर' तथा एनडीटीवी के लिए 'बाबा ऐसो वर ढूंढो' किया है, जो काफी चर्चित हुआ।

फिल्म और धारावाहिक में से काम करने में ज्यादा मजा किसमें आता है?

फिल्म एक उपन्यास है, जिसको बार-बार पढ़ने का मन करता है, लेकिन धारावाहिक न्यूज पेपर की तरह है, जिसमें हर दिन नया समाचार होता है।

आपने बहुत से कलाकारों के साथ काम किया है। किसके साथ सहज महसूस करती हैं?

वैसे तो सभी कलाकारों के साथ मैं सहज रहती हूं, लेकिन कुणाल जी के साथ काम करने का मजा कुछ अलग होता है। उनसे बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है। वे साथी कलाकारों को सहयोग भी खूब करते हैं।

भोजपुरी फिल्मों में अश्लील आइटम नंबर के बारे में आपकी क्या राय है?

फिल्मकार ऐसा सोचते हैं कि फिल्म में 4-5 आइटम नंबर डाल देने से वह हिट हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं है। वास्तव में फिल्म अच्छी कहानी, पटकथा, गीत-संगीत और अच्छा काम से हिट होती है।

आपको किस तरह के रोल पसंद हैं?

दर्शक मुझे नेगेटिव रोल में देख रहे हैं। मगर इमोशनल रोल करना भी अच्छा लगता है।

परिवार वालों का सहयोग कैसा रहा?

मैं मूल रूप से भागलपुर की हूं। वहीं मेरा जन्म हुआ। शिक्षा रांची में हुई। वहीं से समाजशास्त्र से स्नातक किया। फिर 1989 में पटना आ गई। टीवी एवं फिल्मों से जुड़कर यहां तक पहुंची हूं।

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