Lok Sabha Elections: मतदाताओं से सीधी बात... इन मुद्दों पर सरकार चुनेंगे Voters

दैनिक जागरण के संवाददाताओं ने पंजाब में 1009 किलोमीटर यात्रा कर चुनावी माहौल को परखा। पेश है इसी पर आधारित खबर।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 22 Apr 2019 09:03 AM (IST) Updated:Tue, 23 Apr 2019 05:37 PM (IST)
Lok Sabha Elections: मतदाताओं से सीधी बात... इन मुद्दों पर सरकार चुनेंगे Voters
Lok Sabha Elections: मतदाताओं से सीधी बात... इन मुद्दों पर सरकार चुनेंगे Voters

जेएनएन, जालंधर। पंजाब में लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ज्यादातर पार्टियों ने अपने उम्मीदवार तय कर लिए हैं। प्रचार भी जोर पकड़ने लगा है। इस बार प्रदेश के 2,03,74,375 मतदाता अपने सांसद चुनेंगे। वहीं लोगों ने मन बना लिया है कि वे किन मुद्दों पर किसे वोट देंगे। लोगों के मूड का आकलन करने के लिए दैनिक जागरण के सात संवाददाताओं की विशेष टीम ने राज्य के सभी 13 लोकसभा क्षेत्रों का दौरा किया।

दौरे में 22 जिलों को कवर किया गया। 1009 किलोमीटर की इस यात्रा में हमारे संवाददाताओं ने अलग-अलग आयु वर्ग व विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से बात कर उनकी राय जानी। इस राय से जो निष्कर्ष निकला उसके बाद कहा जा सकता है कि राज्य के लोग इस बार नोटबंदी, बेरोजगारी और नशे के मुद्दे पर केंद्र की सरकार चुनेंगे। राष्ट्रीय मुद्दों में नोटबंदी, जीएसटी व राष्ट्रीय सुरक्षा मुख्य हैं, जबकि राज्यस्तरीय मुद्दों में बेरोजगारी, नशा और कृषि संकट मतदाताओं की राय को प्रभावित करेंगे।

स्थानीय मुद्दों की यूं तो भरमार है, लेकिन मुख्य तौर पर कृषि मंडियों की खराब हालत, विकास कार्यों की धीमी रफ्तार व खराब स्वास्थ्य सुविधाओं से आम लोग काफी दुखी हैं। रोजगार की बात करें तो नौकरियों की कमी के साथ-साथ युवा विदेश या अन्य राज्यों में पलायन से भी परेशान हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में शिअद को भारी नुकसान पहुंचाने वाला धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी का मुद्दा सिर्फ बठिंडा, फरीदकोट और खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्रों में ही चर्चा में है। अन्य जगह इसकी खास चर्चा नहीं है।

कैप्टन की कर्ज माफी योजना की भी इस चुनाव में परीक्षा होगी। फसलों की सही कीमत न मिलने और पूर्ण कर्ज माफी न होने से किसान वर्ग नाराज है। औद्योगिक प्रभाव वाले लुधियाना, जालंधर और अमृतसर में जीएसटी व नोटबंदी अहम मुद्दा है। हालांकि नोटबंदी की चर्चा पूरे राज्य में ही है। महंगाई और भ्रष्टाचार अब कोई बड़ा मुद्दा नहीं रह गए हैं। लोग इनकी ज्यादा बात भी नहीं करते हैं। केंद्रीय योजनाओं में पारदर्शिता से लोगों को राहत जरूर मिली है, लेकिन अभी इनके लाभार्थियों की संख्या काफी कम है। पढ़े-लिखे शहरी मतदाताओं ने राष्ट्रीय मुद्दों पर खुल कर अपनी राय रखी। वहीं ग्रामीण इलाकों के लोग छोटी-छोटी योजनाओं तक ही सीमित हैं।

13 लोकसभा सीटों में क्या है लोगों की राय...

लुधियाना, फतेहगढ़ साहिब, पटियाला...

नोटबंदी से परेशानी हुई, लेकिन विदेश नीति मजबूत हुई

एशिया की सबसे बड़ी दाना मंडी खन्ना में गांव कुंभ के किसान गुरजीत सिंह व किसान जगदीप सिंह मानते हैं कि प्रदेश व केंद्र सरकार कृषि के मुद्दे सुलझाने में नाकाम रही हैं। लुधियाना शहर के अवतार मौर्या के अनुसार नोटबंदी से परेशानी हुई, लेकिन विदेश नीति के मामले में देश मजबूत हुआ है। सरहिंद की बहनें मीना और कोमल सांसद के काम से संतुष्ट नहीं दिखीं। यहीं के लखबीर सिंह इस बात से नाराज हैं कि केंद्रीय योजनाओं का लाभ नहीं मिला। किसान हरिंदर सिंह ने कहा कि कृषि घाटे का सौदा हो गई है। पटियाला के बसंतपुरा के गुरमीत सिंह, प्यारा सिंह, मलकीत सिंह, बहादुर सिंह व जगदीप सिंह नोटबंदी से नाराज दिखे, जबकि राजवीर सिंह, सोनू शेरपुर व मनीष कुमार ने राय रखी कि वे स्थानीय मुद्दों पर ही वोट डालेंगे।

गुरदासपुर... धर्म व जातपात ने देश का बेड़ा गर्क कर दिया 

गुरदासपुर के जसपाल सिंह कहते हैं कि गुरदासपुर की बदकिस्मती है कि हमें बाहर का एमपी मिलता है। राजनीतिक दल किसी भी स्थानीय व्यक्ति को टिकट के काबिल नहीं समझते। पठानकोट के रणजीत बाग के अमरजीत सिंह ने बताया कि वह सऊदी अरब में ड्राइवर हैं और इन दिनों घर पर आए हैं। नौ साल पहले रोजगार की तलाश में बाहरी देश चले गए थे। अपने यहां पर कोई नौकरी नहीं है। करें भी क्या, जब तक युवाओं की बेकद्री होगी तो कैसे देश तरक्की करेगा।

उनके पास बैठे इलेक्ट्रीशियन रमेश बोल उठे कि रोजगार की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। जसपाल सिंह ने राय रखी कि धर्म व जातपात ने देश का बेड़ा गर्क कर दिया है। भ्रष्टाचार ने विकास और नौकरियां खत्म कर दी हैं। विजय कुमार भी पेशे से ड्राइवर हैं। उन्हें मलाल है कि सरकार यहां को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं कर पाई, ताकि हमारा काम भी चल सके। किसान अशोक भ्रष्टाचार को मुद्दा मानते हैं। दीनानगर में निजी कंपनी में काम करने वाले नीरज व मुनीष का कहना है कि सरकारी क्षेत्र में रोजगार तो पहले ही नहीं था, अब उद्योगों में भी नौकरियां नहीं हैं।

फिरोजपुर, फरीदकोट... फसल बेचकर पैसे लाते हैं, मोदी पूछते हैं-कहां से आए इतने पैसे

मोगा व फिरोजपुर जिले की सीमा पर डगरू फाटक के पार चर्चा में बैठे 72 साल के नछत्तर सिंह, अमर सिंह, गुरनाम ने बताया कि यहां लोग सरकार के साथ चलते हैं। किसान कहते हैं कि फसल बेचकर पैसे लाते हैं, मोदी पूछते हैं कहां से आए इतने पैसे। फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र के गांव घल्ल खुर्द से राजस्थान फीडर व सरङ्क्षहद फीडर दो बड़ी नहरें गुजरती हैं। यहां ढाबा चला रहे मंजीत सिंह कहते हैं, सरकार के पास देने को रोजगार नहीं है, उजाडऩे के लिए कानून है। किसान गुरविंदर कौर मानती हैं कि बेरोजगारी से युवा परेशान हैं। फिरोजपुर के गांव लोहाम में 74 साल के मेजर सिंह ने कहा, बच्चों को पढ़ा-लिखाकर विदेश भेज देते हैं, क्योंकि यहां पर तो नौकरी मिलती नहीं है।

अमृतसर, खडूर साहिब.... सरकार! युवा बेरोजगार हैं और किसान कर्जदार

खडूर साहिब संसदीय क्षेत्र के गांव उधोनंगल के सतनाम सिंह के अनुसार युवाओं का ब्रेन-ड्रेन हो गया है। वे सरकारी सिस्टम से हार चुके हैं। न सरकारी नौकरी मिलती है और न ही सरकारी विभागों में कोई सुनवाई होती है। गांव में ज्यादातर परिवार कर्जदार हैं और युवा बेरोजगार। अपनी बेरोजगारी और परिवार की कर्जदारी दूर करने के लिए वे विदेश चले गए। कस्बा बाबा बकाला के किसान शमशेर सिंह का कहना है कि किसानों को फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता। यह पूरे देश की समस्या है।

गांव छापेयांवाली के लोग बताते हैं कि नशा अब सरेआम तो नहीं बिकता, लेकिन इसकी आपूर्ति में कहीं कोई कमी नहीं आई। सरकार की सख्ती से नशा महंगा जरूर हो गया है। वहीं अमृतसर संसदीय सीट के गांव वेरका के अजीत सिंह कहते हैं कि बच्चों को शिक्षित बनाना अब आसान नहीं रहा। सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहद नीचे जा चुका है। गांव वल्ला निवासी भजन सिंह कहते हैं कि 15 लाख नहीं मिले। रोजगार भी नहीं दिया। गांव डेरीवाल निवासी बलविंदर सिंह के अनुसार वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या नशा है। कोई घर होगा जहां नशा न पहुंचा हो।

गांव तंदेल पुराना के 71 वर्षीय सुच्चा सिंह के अनुसार सड़कों की हालत ठीक नहीं है। जीटी रोड स्थित ढाबे पर खाना खा रहे राकेश चोपड़ा के अनुसार नोटबंदी और जीएसटी ने देश को रसातल की ओर धकेल दिया है। आज कारोबार का मंदा हाल है। कारखानों में मजदूरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। राजीव कुमार कहते हैं कि महंगाई तो आतंकवाद से भी खतरनाक है।

बठिंडा, संगरूर... वोटों के समय कहते थे घर-घर नौकरी देंगे, अब पूछते भी नहीं

यहां बेरोजगारी व नशा बड़ा मुद्दा है। बठिंडा के मलकाणा गांव में एक चौपाल में बैठे गुरतेज सिंह का कहना है कि इस बार जब नेता गांव में आएंगे तो उनसे पूछेंगे कि वोट मांगने तो आ गए, पूरे क्षेत्र के युवाओं को नशे में लगा दिया, उसका क्या? नशा तो बंद हुआ नहीं। वहीं बैठे हुए करतार सिंह ने कहा-असली बात तो यह है कि राजनेता नशा रोकना ही नहीं चाहते।

गुरदेव ने कहा-वोटों के समय कहते थे घर-घर नौकरी देंगे, अब पूछते भी नहीं। बरनाला के टांडियां ढाबे पर बैठे रछपाल सिंह सिर्फ इतना कहते हैं कि वोट फेर आ गए। किया किसी ने कुछ नहीं। संगरूर अनाज मंडी में गेहंू सूखने के इंतजार में बैठे 83 वर्षीय बुजुर्ग दीवान सिंह कहते हैं, किन्नी माड़ी गल्ल ऐ कि सड़कां आला मंत्री साडा ऐ पर सड़क इक वी नहीं बणी।

आनंदपुर साहिब व होशियारपुर... मुद्दे नहीं जनाब, चेहरों की राजनीति है

विधानसभा क्षेत्र बलाचौर के गांव सुधा माजरा में हाईवे किनारे बैठे लोगों में बेरोजगारी पर चर्चा छिड़ी थी। गुरदीप सिंह, जसविंदर सिंह, कश्मीर सिंह व सुखदेव सिंह ने कहा कि बेट क्षेत्र में सिर्फ धान व गेहूं की ही फसल होती है। युवा पढ़े-लिखे हैं, मगर उनके पास रोजगार नहीं है। कुछ अरब देशों में चले गए हैं। कश्मीर सिंह ने सरकार पर तंज कसा कि वादा किया था कि हर घर को नौकरी मिलेगी, लेकिन कुछ नहीं मिला।

व्यापारी गुरप्रताप ने कहा कि नोटबंदी तो लोग भूल गए हैं, लेकिन जीएसटी ने व्यापारियों को उलझन में डाल रखा है। सिमरजीत सिंह ने चुटीले अंदाज में कहा-मुद्दे नहीं जनाब, चेहरों की राजनीति है। गढ़शंकर विधानसभा क्षेत्र में चाय की दुकान पर बैठे विजय कुमार, जगदीप, राज कुमार, सुच्चा राम व केसर सिंह ने कहा कि सरकार चार हफ्ते में नशा खत्म करने का दावा करती थी, लेकिन कुछ नहीं कर पाई। होशियारपुर के गांव जेजों में मनोज कुमार, दीपक कुमार, सतवीर सिंह, राकेश कुमार व अमनदीप ने कहा कि बेरोजगारी ने कहीं का नहीं छोड़ा।

जालंधर... सानू आटा-दाल नई चंगे स्कूल चाहिदे ने

जालंधर से लुधियाना जाते समय गोराया से लिंक रोड पर 17 किलोमीटर दूर बसा अपरा गांव आज भी विकास की राह देख रहा है। अपरा में धनाढ्य लोगों की कमी नहीं है, लेकिन विकास के नाम पर यहां कुछ खास नहीं हुआ। अपरा, छोकरा, आरा, मोरो व मंडी गांव के खेतों में पक कर तैयार गेहूं के खेतों से रौनक गायब है।

छोकरां गांव के बिंदर, चरणजीत, भूपिंदर व पंडित विपन कुमार ने बताया  कि विकास के लिए केंद्र ने करोड़ों रुपये भेजे, लेकिन कहां गए। हमें आटा-दाल नहीं चाहिए, हमें अच्छे स्कूलों की सुविधा मिल जाए वही बहुत है। जीत राम, स्वरूप सिंह, जोगिंदर सिंह व कैलाश कहते हैं कि साडे पिंड दी सड़क अज्ज तक नई बणी। कैप्टन ने जदों सरकार बणाई ते वादा कीता सी कर्ज माफ करांगे। अज्ज तक साड्डा कर्ज ते माफ नई होया।

[इनपुट: मनोज त्रिपाठी (जालंधर), भूपेंदर सिंह भाटिया (लुधियाना), नितिन धीमान (अमृतसर), गुरप्रेम लहरी (बठिंडा), हजारी लाल (होशियारपुर), सत्येन ओझा (मोगा), वीरेन पराशर (पठानकोट)]

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