बाजवा ने फेंके पासे में उलझी पंजाब कांग्रेस, पार्टी में खींचतान का पुराना दौर आने लगा याद

पंजाब कांग्रेस प्रताप सिंह बाजवा द्वारा फेंके गए पासे में उलझ गई है। बाजवा ने लोकसभा चुनाव में टिकट के लिए राज्‍यसभा की सदस्‍यता से इस्‍तीफे की पेशकश की है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 13 Mar 2019 10:29 AM (IST) Updated:Wed, 13 Mar 2019 10:29 AM (IST)
बाजवा ने फेंके पासे में उलझी पंजाब कांग्रेस, पार्टी में खींचतान का पुराना दौर आने लगा याद
बाजवा ने फेंके पासे में उलझी पंजाब कांग्रेस, पार्टी में खींचतान का पुराना दौर आने लगा याद

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा के फेंके पासे में पंजाब कांग्रेस उलझ गई है। बाजवा ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के लिए अपनी राज्यसभा सीट छोड़ने का प्रस्ताव पार्टी को दिया है। बाजवा के इस प्रस्ताव को पंजाब कांग्रेस एक ऐसे दाव के रूप में देख रही है, जिस पर कई परतें चढ़ी हुई हैं। दरअसल बाजवा गुरदासपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस टिकट चाहते हैं। यहां से अभी पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष सुनील जाखड़ सांसद हैं।

डॉ. मनमोहन सिंह के लिए सीट छोड़ पंजाब की सक्रिय राजनीति में एंट्री की कवायद

कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथों प्रदेश अध्यक्ष की कमान गंवाने के बाद बाजवा ने भले ही राज्यसभा में जाने का फैसला किया था, लेकिन उनके इस फैसले से वह पंजाब की राजनीति से बिल्कुल ही कट गए हैं। बाजवा डॉ. मनमोहन सिंह के लिए 'कुर्बानी' देकर पंजाब की राजनीति में एंट्री चाह रहे हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ के बाजवा के संबंध अच्छे नहीं हैं।

वहीं, बाजवा गुरदासपुर से चुनाव लड़ते रहे हैं। यहां से अब सुनील जाखड़ सांसद हैं। जाखड़ के कारण बाजवा की इस सीट पर दावेदारी कमजोर हो गई है। इसी वजह से बाजवा कह रहे हैं कि गुरदासपुर सीट के टिकट का फैसला पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी करेंगे।

सुनील जाखड़ के कारण बाजवा की गुरदासपुर सीट पर कमजोर हुई दावेदारी

डॉ. मनमोहन सिंह की राज्यसभा की सदस्यता जून में खत्म हो रही है। कांग्रेस उनके लिए सुरक्षित सीट की तलाश कर रही है। ऐसे में बाजवा ने डॉ. मनमोहन सिंह के लिए राज्यसभा की सीट छोडऩे का प्रस्ताव रख कर पंजाब कांग्रेस की रणनीति को गड़बड़ा दिया है। क्योंकि सीट छोड़ने के बदले बाजवा लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं, जबकि जाखड़ गुरदासपुर से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में बाजवा अमृतसर सीट पर दावेदारी पेश कर सकते हैं।

कांग्रेस की परेशानी बढ़ी

डॉ. मनमोहन सिंह की ओर से अमृतसर से चुनाव लड़ने से अनिच्छा जाहिर करने से प्रदेश कांग्र्रेस की परेशानी और अधिक बढ़ गई है। क्योंकि डॉ. मनमोहन सिंह चुनाव लड़ते तो बाजवा को राज्यसभा सीट छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी अच्छी तरह से समझ रहे हैं कि बाजवा डॉ. मनमोहन सिंह के लिए क्यों कुर्बानी देना चाहते हैं। अब देखना यह है कि इस हाई प्रोफाइल राजनीति का क्या अंत होता है।

बाजवा ने 2009 में विनोद खन्ना को हराया था

बाजवा ने 2009 के लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विनोद खन्ना को हराया था। 1976 में स्टूडेंट पॉलीटिक्स से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले बाजवा 1982 में यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 1992, 2002 और 2007 में वह काहनूवान विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे और मंत्री बने। उनके पिता सतनाम सिंह बाजवा भी पांच बार विधायक रह चुके हैं।

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