करारी हार के बाद सपा के भीतर उठने लगी आवाज, लोहिया वाहिनी सचिव का पत्र वायरल

सोशल मीडिया में वायरल हो रहा समाजवादी लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय सचिव श्रवण कुमार त्यागी द्वारा लिखा पत्र चर्चा में है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sun, 26 May 2019 10:46 PM (IST) Updated:Mon, 27 May 2019 04:32 PM (IST)
करारी हार के बाद सपा के भीतर उठने लगी आवाज, लोहिया वाहिनी सचिव का पत्र वायरल
करारी हार के बाद सपा के भीतर उठने लगी आवाज, लोहिया वाहिनी सचिव का पत्र वायरल

लखनऊ, जेएनएन। लोकसभा चुनाव में गठबंधन करने के बावजूद मिली करारी शिकस्त की समीक्षा से समाजवादी पार्टी नेतृत्व भले ही कतरा रहा हो, लेकिन निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। पार्टी की दुर्दशा के लिए वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ती दूरियों को जिम्मेदार ठहराते हुए अध्यक्ष अखिलेश यादव से सीधे संपर्क-संवाद करने का आग्रह सोशल मीडिया पर खुले पत्रों के जरिए किया जा रहा है।

सोशल मीडिया में वायरल हो रहा समाजवादी लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय सचिव श्रवण कुमार त्यागी द्वारा लिखा पत्र चर्चा में है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को संबोधित पत्र में लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी के मीडिया पैनलिस्ट हटाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा गया है कि इतनी कार्रवाई करना ही पर्याप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पार्टी के उच्च पदों पर आसीन नेताओं पर भी कार्रवाई जरूरी है जो सामान्य कार्यकर्ताओं से बंधुआ मजदूरों जैसा व्यवहार करते है, जबकि निचले स्तर पर ही कार्यकर्ता असली पीड़ा झेलता है और जलील होता है।

जो दस वोट नहीं दिलवा सकते, वो ही कार्यालय में काबिज

पत्र में कहा गया है कि पार्टी को यदि इतिहास नहीं बनाना चाहते हैं तो चारों ओर घेरे रहने वाले चापलूस नेेताओं को तत्काल हटा दें। जो दस वोट नहीं दिला सकते, वे कार्यालय में काबिज हैं और अंदर बैठ कर चाय की चुस्कियां लेते हैं, जबकि दूरदराज से आने वाले कार्यकर्ता धक्के खाते रहते हैं। यह भी आरोप लगाया कि उक्त नेताओं के आवास पर मिलने के लिए कोई कार्यकर्ता जाता है तो घंटों बाहर इंतजार कराते हैं और चाटुकारों से नीचा दिखाने की कोशिश भी करते हैं। कार्यकर्ताओं से हाथ मिलाने में अपनी तौहीन समझते हैं।

खुद को आपसे भी बड़ा नेता मनाते हैं

लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय सचिव ने लिखा है कि कार्यकर्ताओं के साथ होने वाले अशोभनीय व्यवहार को उन्होंने खुद भी महसूस किया है। ऐसे नेता खुद को आपसे भी बड़ा नेता मनाते हैं। कार्यकर्ता उनसे मिलने की कोशिश करता है तो केवल हाथ हिलाकर निकल जाते हैं और मायूस कार्यकर्ता उनकी गाड़ी के पास सेल्फी लेकर ही संतुष्ट हो जाता है। उन्होंने सलाह दी कि पार्टी को फिर ऊंचाई पर पहुंचाना है तो चापलूसों की दीवार गिरा दें वरना ये पहरेदार आप को आम कार्यकर्ताओं से बहुत दूर कर देंगे। इसका नुकसान पार्टी को होगा।

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