Lok Sabha Election 2019: धर्म-जाति पर नफरत फैलाने वाला बयान दिया तो तीन साल जेल
Lok Sabha Election 2019. आदर्श आचार संहिता के क्रियान्वयन में कानूनी प्रावधान के मुताबिक सभा में उपद्रव करने पर छह माह की सजा जुर्माना या दोनों हो सकता है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Lok Sabha Election 2019 - कोई भी व्यक्ति, नेता या उम्मीदवार चुनाव के दौरान विभिन्न वर्गों के बीच धर्म, मूल वंश, जाति, समुदाय या भाषा के अधार पर शत्रुता को बढ़ावा देनेवाला बयान देता है या शत्रुता को बढ़ावा देने का प्रयास भी करता है तो उसे तीन वर्ष तक कारावास की सजा हो सकती है। उसके विरुद्ध जुर्माना लग सकता है या वह जेल व जुर्माना दोनों का भागी हो सकता है।
अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनय कुमार चौबे के अनुसार, आदर्श आचार संहिता के क्रियान्वयन को लेकर यह कानूनी प्रावधान किया गया है। अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के अनुसार, स्वच्छ, शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए विभिन्न अधिनियमों के अंतर्गत कई प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत, यदि कोई व्यक्ति ऐसी सार्वजनिक सभा में उपद्रव करने या दूसरों को उपद्रव के लिए प्रेरित करता है तो उसे छह माह तक की सजा, जुर्माना या दोनों दंड हो सकता है।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के अनुसार, मतदान की समाप्ति के लिए निर्धारित समय के पूर्व 48 घंटे की अवधि के दौरान किसी भी व्यक्ति या राजनीतिक दल द्वारा सार्वजनिक सभा या जुलूस का आयोजन नहीं किया जाएगा। सिनेमा, टेलीविजन आदि के माध्यम से चुनाव प्रचार नहीं किया जाएगा। मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई संगीत समारोह, नाट्य अभिनय या कोई अन्य मनोरंजन आयोजित कर चुनाव प्रचार नहीं किया जाएगा।
इसी तरह, कोई भी व्यक्ति भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचित अवधि के दौरान एक्जिट पोल का संचालन, एक्जिट पोल सर्वेक्षण के परिणाम का प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रकाशन या प्रचार नहीं करेगा। निर्वाचन पुस्तिका या पोस्टर के मुख्य पेज पर उसके मुद्रक और प्रकाशक का नाम अनिवार्य रूप से लिखना होगा। अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के अनुसार किसी उम्मीदवार की अनुमति के बिना कोई व्यक्ति उसके समर्थन में विज्ञापन या सर्कुलर आदि जारी नहीं कर सकेगा।