Lok Sabha Election 2019: हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को अपने नेताओं पर नहीं भरोसा

Lok Sabha Election 2019 हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को अपने ही कुछ नेताओं पर इस बात का भरोसा नहीं है कि वे प्रत्याशी के खिलाफ भितरघात नहीं करेंगे।

By BabitaEdited By: Publish:Thu, 18 Apr 2019 12:58 PM (IST) Updated:Thu, 18 Apr 2019 02:12 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को अपने नेताओं पर नहीं भरोसा
Lok Sabha Election 2019: हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को अपने नेताओं पर नहीं भरोसा

बिलासपुर, जेएनएन। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को 17 विधानसभा क्षेत्रों में अपने ही कुछ नेताओं पर पूरा भरोसा नहीं है। पार्टी को इस चुनाव में अपने ही नेताओं से भितरघात का खतरा लग रहा है। ऐसे में कांग्रेस इस संसदीय क्षेत्र में संदेह के दायरे में आए नेताओं पर नजर रखने के लिए इस बार खास पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करेगी। माना जा रहा है हाईकमान को दी जाने वाली रिपोर्ट के आधार पर बाद में ऐसे नेताओं पर पार्टी की ओर से कठोर कार्रवाई भी की जा सकती है।

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के प्रभारी गुरकीरत सिंह कोटली का कहना है कि पार्टी की ओर से रूटीन के पर्यवेक्षक लगाए जा रहे हैं। कुछ हलकों में चुनाव के दौरान पार्टी की गतिविधियों को पहले से मजबूत करने के लिए अतिरिक्त पर्यवेक्षकों की नियुक्ति भी की जाएगी। उन्होंने माना कुछ हलकों में नेताओं की हरकतें संदेहास्पद भी हैं। ऐसे में भितरघात के खतरे को टालने के लिए यह रणनीति अपनाई जा रही है। इस तरह के रणनीतिक प्रयोग सभी पार्टियां करती हैं ताकि वोट बैंक में सेंध न हो। 

हमीरपुर संसदीय हलके में 17 विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें धर्मपुर, देहरा व परागपुर विधानसभा क्षेत्र भी शामिल है। सभी हलकों में नेताओं के बीच कई तरह के समीकरण हैं और पार्टी भीतर से कई खेमों में भी बंटी हुई है। नेताओं के हित भी कहीं न कहीं जुडे़ हुए हैं। पार्टी के सूत्र बताते हैं कांग्रेस ने इस बार हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में पार्टी के वोट बैंक को किसी भी प्रकार के नुकसान से बचाने के लिए रणनीति बनाई है। कांग्रेस को अपने ही कुछ नेताओं पर इस बात का भरोसा नहीं है कि वे प्रत्याशी के खिलाफ भितरघात नहीं करेंगे। इन नेताओं की राजनीतिक पृष्ठभूमि भी पार्टी संगठन के लोगों ने खंगाली है। अब ऐसे नेताओं पर नजर रखी जाएगी।

कांग्रेस इसके लिए पुराने अनुभवों को सामने रखकर आगे बढ रही है, क्योंकि पार्टी को अपने ही नेताओं की बजह से डेढ़ हजार के करीब मतों से हार का मुंह देखना पड़ा था। कांग्रेस भितरघात रोकने के लिए जिन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करेगी उनमें से अधिकतर अन्य राज्यों से होंगे। इनका सीधा कनेक्शन हाईकमान के साथ होगा। ये पर्यवेक्षक चुनाव के दौर की फीडबैक हाईकमान को देंगे। 

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