Lok Sabha Election 2019: आदिवासियों के लिए सरना धर्मकोड अब सभी दलों के एजेंडे में
Lok Sabha Election 2019. दैनिक जागरण ने सरना धर्मकोड को चुनावी मुद्दा बनाया। जिस पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जनगणना में धर्मकोड के लिए अनुशंसा करने की घोषणा की।
रांची, राज्य ब्यूरो। Lok Sabha Election 2019 - जनगणना कालम में आदिवासियों के लिए अलग से धर्मकोड की मांग काफी पुरानी है। झारखंड में विभिन्न आदिवासी संगठनों ने अलग से सरना धर्मकोड की मांग बुलंद की। राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन अवश्य किया लेकिन कभी यह मुद्दा तूल नहीं पकड़ पाया। अपनी सहूलियत के लिहाज से राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे का इस्तेमाल किया।
लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य के बड़े मुद्दों की तलाश जब दैनिक जागरण ने की तो इसे भी शुमार किया। अब यह प्रमुख राजनीतिक दलों के एजेंडे में है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक कदम आगे बढ़कर घोषणा तक कर डाली है कि वे इसकी अनुशंसा करेंगे। मुख्यमंत्री के एलान से इस मुद्दे को बल मिला है। इसके बाद तमाम दलों में भी इस मुद्दे को लपकने की होड़ मच गई है। इनका मत है कि धर्मकोड की अनुशंसा से एक बड़े तबके को सांस्कृतिक पहचान मिल पाएगी।
सत्ता में आते ही सरना धर्मकोड लागू करेगी कांग्रेस : डा. अजय कुमार
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डा. अजय कुमार ने कहा है कि कांग्रेस सरना धर्म कोड लागू करने को वचनबद्ध है। राज्य में कांग्रेस अथवा महागठबंधन की सरकार बनने की स्थिति में पार्टी सबसे पहले जिन मुद्दों पर पहल करेगी उनमें एक सरना धर्म कोड का मसला है। डा. कुमार ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर पहले भी अपनी बात रख चुकी है लेकिन मुख्यमंत्री रघुवर दास अपनी पुरानी बातों को भूल जाते हैं।
साढ़े चार साल सत्ता में रहते हुए उन्होंने कुछ नहीं किया लेकिन अब जब सरकार जाती दिख रही है तो आदिवासी मतदाताओं को बरगलाने के लिए सीएम जान लगाए हुए हैं। मुख्यमंत्री के बरगलाने से अब आदिवासी मतदाता भ्रमित होनेवाले नहीं हैं। डा. अजय कुमार ने कहा कि इस मसले पर कांग्रेस पार्टी शीघ्र ही संवाददाता सम्मेलन कर सभी बातों को आम लोगों के सामने रखेगी।
झामुमो अरसे से कर रहा मांग
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सरना धर्मकोड का समर्थन किया है। पार्टी का मत है कि इसे जनगणना के कालम में शामिल किया जाना चाहिए। दुर्भाग्य से जो दल सत्ता में रहे उसने इस ओर ध्यान नहीं दिया। महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि यह आदिवासियों की अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान का सवाल है। झारखंड मुक्ति मोर्चा मिïट्टी से जुड़ी पार्टी है। यह लोगों का हक है जिसे नहीं देकर सांस्कृतिक पहचान मिटाने की साजिश अरसे से की जा रही है। भाजपा ने इस मुद्दे पर सिर्फ समाज को बांटने का काम किया है। अगर इस दिशा में वह गंभीर होती तो केंद्र व राज्य में सरकार में रहते हुए वह सिर्फ घोषणा क्यों करती? यह चुनावी स्टंट है। भाजपा आदिवासियों की विरोधी है।
झाविमो सरना धर्मकोड का पक्षधर
झाविमो शुरू से ही इसका पक्षधर रहा है। जहां तक मुख्यमंत्री की बात है, वे चुनाव के नाम पर जुमलेबाजी कर रहे हैं। अगर उनकी नीयत साफ होती तो इसे लागू करने के लिए पांच वर्ष काफी थी। केंद्र से लेकर राज्य तक में उनकी पार्टी की सरकार है, फिर दिक्कत कहां थी। वे जनता को बरगला रहे हैं। योगेंद्र प्रताप सिंह केंद्रीय प्रवक्ता, झाविमो
राजद ने इसे अपने घोषणा पत्र में किया है शामिल
राजद इसकी शुरू से मांग करता रहा है। उसने इसे अपने घोषणापत्र का हिस्सा भी बनाया है। यह भाजपा ही है, जिसने इसे सदन में नकार दिया था और आज मुख्यमंत्री जनता का हितैषी बनने का दिखावा कर रहे हैं। -गौतम सागर राणा प्रदेश अध्यक्ष, राजद