Lok Sabha Election 2019: प्रधानमंत्री पहली चुनावी सभा, नब्ज पर हाथ; दिलों में दस्तक

रुद्रपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा हुई। अपने 35 मिनट के संबोधन में नमो ऐसा कोई भी विषय छूने से नहीं चूके जो उत्तराखंड में जनमत को प्रभावित कर सकता है।

By Edited By: Publish:Thu, 28 Mar 2019 08:20 PM (IST) Updated:Fri, 29 Mar 2019 02:17 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: प्रधानमंत्री पहली चुनावी सभा, नब्ज पर हाथ; दिलों में दस्तक
Lok Sabha Election 2019: प्रधानमंत्री पहली चुनावी सभा, नब्ज पर हाथ; दिलों में दस्तक

देहरादून, विकास धूलिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड को 'सैनिकधाम' का विशेषण भाजपा की पूरी चुनावी रणनीति का संकेत दे गया। अपने 35 मिनट के संबोधन में नमो ऐसा कोई भी विषय छूने से नहीं चूके, जो उत्तराखंड में जनमत को प्रभावित कर सकता है। सैन्य बहुल सूबे में सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक से लेकर राफेल और सैनिकों की सुरक्षा के साजो सामान की खरीद तक को अपनी सरकार की गौरवपूर्ण उपलब्धियों के रूप में उन्होंने जनता के सामने तो रखा ही, साथ ही इन पर विपक्ष कांग्रेस को कठघरे में भी खड़ा कर दिया। लोकसभा चुनाव के एलान के बाद पहली चुनावी सभा के जरिये मोदी राज्यभर के मतदाताओं को रिझाने में सफल रहे।

उत्तराखंड को सैन्य बहुल राज्य कहा जाता है तो इसका बड़ा कारण यह कि यहां का हर बाशिंदा किसी ने किसी रूप में सेना से जुड़ा है। शायद ही ऐसा कोई परिवार हो, जिसका सदस्य सेना में न हो या पहले न रहा हो। यही वजह है कि सेना से उत्तराखंड के अवाम का गहरा भावनात्मक लगाव और नजदीकी रिश्ता है। चुनाव चाहे लोकसभा के हों या फिर विधानसभा, सैन्य पृष्ठभूमि के मतदाताओं की भूमिका हमेशा उत्तराखंड में अहम रहती है। इसीलिए सियासी पार्टियां इन्हें आकर्षित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ती।

यूं तो पूरे राज्य में ही इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन पहाड़ी भूगोल की तीन सीटों पर ये ज्यादा प्रभावी हैं। पौड़ी गढ़वाल, टिहरी और अल्मोड़ा संसदीय सीटों पर 2.20 लाख से अधिक पूर्व सैनिक, वीर नारियां और सर्विस मतदाता हैं। एक परिवार में चार मतदाता भी माने जाएं तो यह संख्या सीधे लगभग नौ लाख बैठती है, जो राज्य की कुल मतदाता संख्या के 12 प्रतिशत के आसपास है। पूर्व सैनिकों और इनके परिवारों का मत व्यवहार स्वाभाविक रूप से राष्ट्रीय मुद्दों से प्रभावित होता है। विशेष तौर पर सेना, सुरक्षा और सामरिक विषयों पर ये खासे मुखर होते हैं।

यही वजह रही कि देवभूमि उत्तराखंड में पहली चुनावी जनसभा में प्रधानमंत्री के संबोधन का बड़ा हिस्सा सेना और इससे जुड़े विषयों पर ही केंद्रित रहा। उन्होंने राज्य के कई महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठानों का जिक्र करते हुए उत्तराखंड के चार धाम के साथ ही इन्हें पांचवें धाम के रूप में सैनिक धाम के विशेषण से नवाज दिया। अपने संबोधन की शुरुआत ही उन्होंने कांग्रेस को सैनिकों का अपमान करने के आरोप के साथ कठघरे में खड़ा कर की। उन्होंने सेनाध्यक्ष व वायु सेनाध्यक्ष पर की गई टिप्पणियों की ओर जनसमूह का ध्यान दिला और सीधे संवाद स्थापित करते हुए कहा कि आतंकियों को घर में घुसकर मारने को सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक को लेकर जवानों की वीरता पर सवाल उठाना क्या सही था। उन्होंने आगे फिर सवाल किया कि क्या पाकिस्तान का हीरो बनने की चाहत में भारत विरोधी बयान देने वालों को जनता माफ करेगी।

सीधे उत्तराखंड की जनता की नब्ज पर हाथ रखते हुए मोदी ने कांग्रेस को कतई नहीं बख्शा। उन्होंने कहा, 'हम डरने वाले नहीं, डटने वाले हैं, डरने का काम कांग्रेस का है। ये वे लोग हैं, जिनका खून तब भी नहीं खौला, जब देश के बीच आतंकी देशवासियों का खून बहा रहे थे। तब जवानों को न हथियार मिलते थे और न बदला लेने की इजाजत। हथियार और जहाज के सौदों पर दलाल भारी पड़ गए।' राफेल खरीद पर कांग्रेस पर पलटवार करते हुए प्रधानमंत्री बोले, 'कांग्रेस ने दस साल तक डील इसलिए नहीं होने दी क्योंकि उन्हें मलाई नहीं मिल रही थी।' यही नहीं, वन रैंक, वन पेंशन पर भी उन्होंने कांग्रेस को यह कहकर आड़े हाथ लिया, 'उन्होंने इसके लिए सिर्फ पांच सौ करोड़ रखे थे, जबकि हमने 35 हजार करोड़ दिए।'

निशाने पर केवल कांग्रेस 

प्रधानमंत्री ने रुद्रपुर में एक लोकसभा सीट पर हो रही जनसभा के जरिये पूरे राज्य और पांचों लोकसभा सीटों के मतदाताओं को संबोधित किया। सेना से जुड़े विषयों के इतर भी उन्होंने अपने हमले के केंद्र में केवल कांग्रेस को ही रखा। गुरुवार दोपहर मेरठ में हुई रैली में उन्होंने कांग्रेस, सपा, बसपा, रालोद समेत तमाम विपक्षी दलों को निशाना बनाया लेकिन उत्तराखंड में केवल कांग्रेस ही निशाने पर रही। शायद यह इसलिए भी, क्योंकि राज्य की पांचों सीटों पर भाजपा का मुकाबला सीधे कांग्रेस से ही है और सपा-बसपा गठबंधन समेत अन्य दल मुख्य मुकाबले का हिस्सा बनते नहीं नजर आ रहे हैं। 

यह भी पढ़ें: भाजपा और कांग्रेस के बीच सिमटा टिहरी सीट पर मुकाबला

Loksabha Election 2019: उत्तराखंड के चुनावी रण में रणबांकुरों की भूमिका है अहम

chat bot
आपका साथी