Lok Sabha Election 2019 : न अधिकारी और न ही कर्मचारी फिर भी चल रही मंडी

चुनावी माहौल में किसानों के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण समस्‍या है ओसा स्थित नवीन मंडी में अपने उत्‍पाद बेचने की। फल और सब्‍जी प्रयागराज ले जाकर बेचना पड़ता है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 23 Apr 2019 12:29 PM (IST) Updated:Tue, 23 Apr 2019 12:29 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019 : न अधिकारी और न ही कर्मचारी फिर भी चल रही मंडी
Lok Sabha Election 2019 : न अधिकारी और न ही कर्मचारी फिर भी चल रही मंडी

कौशांबी : इसे व्यवस्था की कमी कहें या राजनीति को दोष दें कि किसानों की सुविधा के लिए 73 करोड़ रुपये की लागत से ओसा में बनी नवीन मंडी शोपीस बनकर रह गई है। वर्ष 2013 में इसका उदघाटन भी हुआ। इसके बाद भी मंडी में पर्याप्त अधिकारी व कर्मचारियों की तैनाती नहीं हुई। इसलिए किसानों को अपेक्षित सुविधा नहीं मिल पा रही है। यहां अभी तक न सब्जी बिकती है और न ही फल की दुकान लगती है। फिलहाल यह सिर्फ गल्ले की मंडी बनकर रह गई है।

फल व सब्‍जी के किसानों को उपज बिक्री को प्रयागराज जाना पड़ता है

सब्जी के लिए 54 आढ़तियों को 2014 में यहां नीलामी के आधार पर दुकानें आवंटित हुईं जरूर लेकिन अपेक्षित व्यापार न होने से उनका पैसा डूब सा गया। फल और सब्जी उत्पादक किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए प्रयागराज की मुंडेरा मंडी जाना पड़ता है। इससे उन्हें परेशानी होती है। समस्या की शिकायत जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से की, लेकिन हुआ कुछ नहीं। इस बार लोकसभा चुनाव में मंडी की बदहाली मुद्दा बनती है अथवा नहीं, यह समय के गर्भ में है पर 70 फीसद कृषि आधारित आबादी वाले जनपद में मंडी का सुचारू संचालन न होना दुखद है। 

बसपा शासनकाल में ओसा में बनी थी नवीन सब्जी मंडी

कौशांबी जनपद में धान-गेहूं के साथ साथ फल व सब्जी की अच्छी उपज होती है। किसानों को आलू व केले की खेती से खासी आय होती है। उपज बेचने के लिए किसानों को दूसरे जनपद न जाना पड़े, इसके मद्देनजर बसपा शासनकाल में ओसा में 73 करोड़ रुपये की लागत से नवीन मंडी बनवाई गई। वर्ष 2013 में इसका उदघाटन भी हुआ। इसके बाद भी मंडी में पर्याप्त अधिकारी व कर्मचारियों की तैनाती नहीं हुई। सो किसानों को अपेक्षित सुविधा नहीं मिल रही है। सिर्फ गल्ले की बिक्री हो रही है लेकिन फल व सब्जी की बिक्री अब तक नहीं शुरू की गई। 

नहीं हुआ पद सृजन

मंडी के संचालन के लिए शासन स्तर से अधिकारियों व कर्मचारियों की तैनाती के लिए पद का सृजन नहीं किया गया है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत भरवारी मंडी के सचिव सीएल चौधरी को ओसा मंडी का प्रभार दिया गया है। यहां एक इंस्पेक्टर व दो सहायक की तैनाती की गई है जबकि इस मंडी में एक सचिव 3 इंस्पेक्टर, आठ सहायक व तीन दर्जन से अधिक कर्मचारियों की तैनाती होनी चाहिए। अधिकारी व कर्मचारियों की कमी की वजह से मंडी का संचालन सही तरीके से नहीं हो रहा है।

बढ़ रहा प्रयागराज का राजस्व

वैसे नवीन मंडी का संचालन तो किया जा रहा है। यहां से गल्ले की बिक्री भी की जा रही है, लेकिन सब्जी व फल खरीद की खरीदारी के लिए व्यापारी नहीं आ रहे हैं। उत्पादकों को मजबूरी में आलू, बैगन, मिर्च, केला, अमरूद, मटर आदि  बेचने के लिए प्रयागराज जनपद जाना पड़ता है। इससे काफी असुविधा होती है। फल व सब्जी की बिक्री मुडेरा मंडी में होने के कारण प्रयागराज का राजस्व भी बढ़ रहा है। यदि ओसा से ही इसकी बिक्री होने लगे तो किसानों को आसानी होगी साथ ही कौशांबी का राजस्व भी बढ़ेगा।

अझुवा मंडी में अवैध कब्जा

किसानों की सुविधा के लिए नगर पंचायत अझुवा में तीन दशक पूर्व गल्लामंडी बनाई गई है। इस मंडी परिसर में निर्मित 10 दुकानों की नीलामी अभी तक नहीं कराई जा सकी है। आरोपित है कि इन दुकानों पर विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध तरीके से कब्जा कर लिया है। शिकायत मंडी इंस्पेक्टर व सचिव से की गई थी। फिर भी कुछ हुआ नहीं। 

विधानसभा में यह मामला उठाया : विधायक लाल बहादुर

 विधायक मंझनपुर लाल बहादुर चौधरी का कहना है कि नवीन मंडी ओसा में पद सृजन व कर्मचारियों की तैनाती का मसला पूर्व में विधानसभा में उठाया गया है। उम्मीद है कि चुनाव आधार संहिता खत्म होने के बाद इस दिशा में सार्थक पहल की जाएगी।

कहते हैं जिम्मेदार 

नवीन मंडी ओसा में गल्ले की बिक्री हो रही है। इससे किसानों को काफी सुविधा मिल रही है। अच्छा खासा राजस्व भी मिल रहा है। मंडी में सब्जी व फल की बिक्री हो, इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे । अगले सीजन में आलू की बिक्री कराई जाएगी।

सीएल चौधरी, मंडी प्रभारी मंडी सचिव ओसा

chat bot
आपका साथी