Chunavi Kissa: क्रिकेट में धूम मचाने वाले पूर्व कप्तान की नहीं जम पाई थी सियासी पारी, काम नहीं आया था सितारों का प्रचार

Lok Sabha Election 2024 Special क्रिकेट की पिच पर सफल और धमाकेदार पारी खेलने वाले मंसूर अली खान पटौदी ने राजनीति की पिच पर भी हाथ आजमाया था। हालांकि इसमें उनका स्कोर ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाया। जानिए भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों में से एक मंसूर अली खान का राजनीतिक करियर कैसा रहा और उन्होंने कहां से लड़ा था चुनाव।

By Susheel Bhatia Edited By: Sachin Pandey Publish:Fri, 19 Apr 2024 11:35 AM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2024 11:35 AM (IST)
Chunavi Kissa: क्रिकेट में धूम मचाने वाले पूर्व कप्तान की नहीं जम पाई थी सियासी पारी, काम नहीं आया था सितारों का प्रचार
Lok Sabha Election: मंसूर अली खान पटौदी ने दो बार अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा।

सुशील भाटिया, फरीदाबाद। मात्र 21 वर्ष 77 दिन की उम्र में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने मंसूर अली खान पटौदी ने अपनी बल्लेबाजी से क्रिकेट प्रेमियों को मुरीद बनाया था। पटौदी ने सियासी पारी भी शुरू की, पर दो बार अलग-अलग चुनावी मैदान में बल्लेबाजी के लिए उतरे पटौदी अपनी पारी को सजा-संवार नहीं सके।

उनकी पत्नी शर्मिला टैगोर का स्टारडम और कपिल देव का प्रचार करना भी उनकी चुनावी नैया को पार लगवा कर उन्हें संसद नहीं भेज पाया। सैफ अली खान व सोहा अली खान के पिता मंसूर अली खान पटौदी ने पहली बार 1971 में पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली विशाल हरियाणा पार्टी के टिकट पर गुड़गांव संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था।

दूसरी बार भोपाल से लड़े चुनाव

उनके प्रतिद्वंद्वी थे कांग्रेस के टिकट पर उतरे प्रत्याशी तैयब हुसैन और निर्दलीय के नरेंद्र। इस चुनाव में तैयब हुसैन ने सर्वाधिक 199333 वोट लिए। दूसरे नंबर पर रहे निर्दलीय के नरेंद्र, जिन्होंने 131391 वोट लिए। टाइगर पटौदी को 22979 वोट मिले। 1991 में वह मध्य प्रदेश के भोपाल से कांग्रेस के टिकट पर उतरे थे। भाजपा के सुशील चंद्र वर्मा से हार गए थे।

ये भी पढ़ें- मतदाताओं का जोश हाई, पोलिंग बूथ पर वोट डालने पहुंचे दूल्हा-दुल्हन; लोकतंत्र के महापर्व की खूबसूरत तस्वीरें देख लीजिए

नवाब पटौदी के बारे में

मंसूर अली खान ने एक आंख की रोशनी के बावजूद टेस्ट क्रिकेट में पांच शतक लगाए थे। कप्तान के रूप में दिल्ली में इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 203 रन की पारी खेली थी। 46 टेस्टों में से 40 में भारत का नेतृत्व किया था और नौ में जीत दिलाई थी, जबकि 19 में हार मिली। उस समय वह सबसे सफल कप्तानों में थे। वर्ष 1975 तक उनका क्रिकेट करियर चला और अपने जीवन में 46 टेस्ट मैचों में 2793 रन बनाए, इसमें छह शतक और 16 अर्धशतक शामिल रहे।

ये भी पढ़ें- 'किसी का हाथ तो किसी का काट दिया अंगूठा', जब वोट न डालने के फरमान को इन बहादुर मतदाताओं ने कह दिया था ना

chat bot
आपका साथी