एक छोटी सी गलती कर बैठे थे देश के पूर्व PM, चुनाव से पहले ही छोड़ना पड़ा मैदान

चौधरी चरण सिंह ने हस्ताक्षर कर दोनों सेट जिला निर्वाचन अधिकारी के पास जमा करा दिए। उम्र व शिक्षा के कॉलम पर उनका ध्यान नहीं गया और वह खाली ही रह गया।

By JP YadavEdited By: Publish:Tue, 16 Apr 2019 09:09 AM (IST) Updated:Tue, 16 Apr 2019 09:14 AM (IST)
एक छोटी सी गलती कर बैठे थे देश के पूर्व PM, चुनाव से पहले ही छोड़ना पड़ा मैदान
एक छोटी सी गलती कर बैठे थे देश के पूर्व PM, चुनाव से पहले ही छोड़ना पड़ा मैदान

सोनीपत [संजय निधि]। लोकसभा चुनाव जीतकर देश की संसद में पहुंचने का सपना हर नेता का होता है, लेकिन यदि नामांकन ही रद हो जाए तो फिर कुछ न कहिए। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह भी इससे दो- चार हुए थे। वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए इस चुनाव में सोनीपत सीट पर चौधरी चरण सिंह चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव में उनकी उम्र व शिक्षा का कॉलम खाली छूट गया और उनका नामांकन रद हो गया।

गौरतलब है कि वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हो रहे आम चुनाव में हरियाणा में राजनीति के पुरोधा कहे जाने वाले चौधरी देवीलाल ने चौधरी चरण सिंह को सोनीपत से चुनाव लड़ने के लिए आमंत्रित किया।

उस समय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले धर्मपाल सिंह मलिक बताते हैं कि चौधरी चरण सिंह के नामांकन की बात गुप्त रखी गई थी। उनसे पहले यहां से चौधरी देवीलाल ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया था, जो कि चौधरी साहब के कवरिंग कैंडिडेट थे। जिस दिन वे नामांकन दाखिल करने जा रहे थे, उसी दिन चौधरी साहब भी नामांकन करने पहुंचे थे। तब सभी को पता चला कि यहां से पूर्व प्रधानमंत्री भी नामांकन दाखिल कर रहे हैं।

पूर्व सांसद धर्मपाल मलिक बताते हैं कि कोर्ट में उनकी मुलाकात चौधरी चरण सिंह से हो गई। उनके साथ चौधरी देवीलाल और कुछ वकील भी थे। कोर्ट परिसर में कुछ देर के लिए बातचीत भी हुई। बातचीत के दौरान ही अचानक से चौधरी साहब उठकर नामांकन दाखिल करने चले गए। उनके कुछ देर बाद उन्होंने नामांकन दाखिल कर दिया। पूर्व प्रधानमंत्री के नामांकन को लेकर पहले ही दो सेट में नामांकन प्रपत्र तैयार करवा लिया गया था। उसमें केवल उम्र और शिक्षा के कॉलम के साथ-साथ हस्ताक्षर वाले स्थान खाली छोड़े गए थे। हड़बड़ी में चौधरी चरण सिंह ने हस्ताक्षर कर दोनों सेट जिला निर्वाचन अधिकारी के पास जमा करा दिए। उम्र व शिक्षा के कॉलम पर उनका ध्यान नहीं गया और वह खाली ही रह गया।

महाधिवक्ता से भी ली गई थी राय

नामांकन पत्रों की जांच के दौरान जब पूर्व प्रधानमंत्री के नामांकन पत्र में दोनों कॉलम खाली पाए गए तो जिला निर्वाचन अधिकारी सहित अन्य संबंधित अधिकारियों के होश उड़ गए। दूसरे प्रत्याशी उनका नामांकन रद करने पर अड़ गए। इसमें स्वयं कांग्रेस के प्रत्याशी धर्मपाल मलिक भी थे। वे वकील भी थे, इसलिए उन्होंने कानून का हवाला देते हुए नामांकन पत्र रद करने की बात कही।

धर्मपाल मलिक बताते हैं कि तत्कालीन जिला निर्वाचन अधिकारी ने स्थानीय वकीलों के साथ-साथ दिल्ली में उस समय के महाधिवक्ताओं से भी रायशुमारी की लेकिन नियमों के चलते नामांकन पत्र रद करना पड़ा। चौधरी चरण सिंह के स्थान पर चौधरी देवीलाल ने चुनाव लड़ा। देवीलाल के चुनाव प्रचार में चौधरी चरण सिंह ने सोनीपत में जनसभाएं भी की थीं, लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर में दिग्गज देवीलाल के भी पांव उखड़ गए और वे धर्मपाल मलिक से करीब 2900 वोटों से हार गए थे।

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