Lok Sabha Election 2024: बनगांव में जोरों पर है चुनाव प्रचार, ये समुदाय तय करेगा किस्मत, जानिए समीकरण

Lok Sabha Election 2024 Bangaon Seat पश्चिम बंगाल की बनगांव लोकसभा सीट पर भी मुकबला दिलचस्प है। 2009 में अस्तित्व में आने के बाद से एक दशक तक यहां तृणमूल का कब्जा रहा था। हालांकि 2019 में शांतनु ने यहां भाजपा का खाता खोला। इस बार जहां भाजपा की नजर इसमें दोबारा जीत पाने की होगी तो तृणमूल कांग्रेस वापसी करना चाहेगी। जानिए क्या हैं यहां के समीकरण।

By Jagran NewsEdited By: Sachin Pandey Publish:Tue, 16 Apr 2024 10:52 PM (IST) Updated:Tue, 16 Apr 2024 10:52 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: बनगांव में जोरों पर है चुनाव प्रचार, ये समुदाय तय करेगा किस्मत, जानिए समीकरण
Lok Sabha Election 2024: बनगांव लोकसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आई थी।

विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। Lok Sabha Election 2024 Bangaon Seat: बंगाल की बनगांव लोकसभा (लोस) सीट के बारे में कहा जाता है कि यहां मतुआ जो तय करते हैं, वही होता है। हो भी क्यों न, बनगांव के करीब 42 प्रतिशत मतदाता मतुआ समुदाय से हैं।

भारतीय नागरिकता मतुआओं की दीर्घकालीन मांग थी, जिसे केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने लोस चुनाव की घोषणा से ठीक पहले पूरा किया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) प्रभावी होने से यहां भाजपा की राह आसान हो गई है?

देखना यह है कि पिछली बार के सांसद व भाजपा प्रत्याशी शांतनु ठाकुर यहां दोबारा परचम लहराएंगे, तृणमूल कांग्रेस अपने पुराने दुर्ग पर फिर से कब्जा जमाने में सफल होगी या इस बार कांग्रेस-वाममोर्चा गठबंधन बाजी मारेगा। यहां चुनाव प्रचार जोरों पर है।

सीएए को लेकर दुविधा

शांतनु ठाकुर, जो अखिल भारतीय मतुआ महासंघ के अध्यक्ष हैं, ने सीएए लागू कराने के वादे पर पिछला चुनाव जीता था। उन्होंने तृणमूल की ममता बाला ठाकुर को एक लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। ममता बाला भी मतुआ समुदाय का ही प्रतिनिधित्व करती हैं।

जीतने के बाद शांतनु केंद्र में मंत्री भी बने। वे पिछले पांच वर्षों के दौरान लगातार सीएए लागू करने की मांग करते रहे। लागू नहीं होने पर कई बार नाराजगी भी जताई, जिससे भाजपा के शीर्ष नेताओं को उन्हें मनाने बंगाल आना पड़ गया। कारण, शांतनु के जरिए आया महत्वपूर्ण मतुआ वोट भाजपा खोना नहीं चाहती थी।

आवेदन में उलझनें

लोस में 2019 में सीएए संबंधी विधेयक पारित होने के बाद आखिरकार चुनाव की बेला में इसे अधिसूचित कर दिया गया, लेकिन इसका यहां भाजपा को कितना फायदा होगा, यह देखने वाली बात होगी। कारण, सीएए को अचानक से जिन परिस्थितियों में लागू किया गया है, उससे कुछ उलझनें भी पैदा हुई हैं।

ऑनलाइन आवेदन करते वक्त पते के प्रमाण व बांग्लादेश में रहने के दौरान वहां के निवास से संबंधित दस्तावेजों का विवरण मांगा गया तो मतुआ समुदाय के बहुत से सदस्य जमा नहीं कर पाए। पेश आ रहीं दिक्कतों को देखते हुए अखिल भारतीय मतुआ महासंघ को कहना पड़ गया कि केंद्र में अगली सरकार के गठन तक भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन न करें।

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तृणमूल कर रही सीएए का विरोध

दूसरी तरफ तृणमूल इसे भाजपा की मतुआ समुदाय को गुमराह करने की साजिश बता रही है। ममता बनर्जी की पार्टी का कहना है कि मतुआ पहले से ही भारतीय हैं। उनके पास आधार व मतदाता परिचय पत्र हैं। अगर वे इस देश के नागरिक नहीं होते तो इतने वर्षों से वोट कैसे देते आ रहे थे और उनके प्रतिनिधि निर्वाचित होकर संसद व बंगाल विस में कैसे पहुंच रहे थे?

तृणमूल यह भी दावा कर रही है कि सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने वाले समस्त सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि मतुआ मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान के रहने वाले हैं। हिंदुओं का यह वर्ग बांग्लादेश के निर्माण के बाद धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आ गया था।

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विस में भाजपा, पंचायत में तृणमूल

भाजपा ने 2019 के लोस चुनाव के बाद 2021 के विस चुनाव में भी बनगांव में शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए यहां की सात सीटों में से छह पर कब्जा जमाया। एकमात्र स्वरूपनगर सीट तृणमूल जीत पाई, लेकिन लोस व विस चुनावों में करारी हार के बाद तृणमूल तेजी से डैमेज कंट्रोल करने में जुटी और यहां अपने संगठन को दुरुस्त किया। इसका फल भी मिला।

पिछले साल हुए पंचायत चुनाव में तृणमूल ने बनगांव में शानदार प्रदर्शन कर भाजपा को जोरदार झटका दिया। बनगांव संसदीय क्षेत्र नदिया व उत्तर 24 परगना जिलों के अंतर्गत आता है, हालांकि ज्यादातर हिस्सा उत्तर 24 परगना में है। यह सीट 2009 में अस्तित्व में आई थी, तब से एक दशक तक यहां तृणमूल का कब्जा रहा। 2019 में यहां शांतनु ने भाजपा का खाता खोला।

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