महाराष्‍ट्र: चह्वाण की धमकी का ऑडियो वायरल का असर, पार्टी ने बदला चंद्रपुर का प्रत्याशी

कांग्रेस ने चंद्रपुर लोकसभा सीट से पूर्व घोषित प्रत्याशी बदल दिया है। माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष चह्वाण की पद छोड़ने की धमकी का ऑडियो वायरल होने के बाद यह कदम उठाया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 24 Mar 2019 08:28 PM (IST) Updated:Mon, 25 Mar 2019 12:56 AM (IST)
महाराष्‍ट्र: चह्वाण की धमकी का ऑडियो वायरल का असर, पार्टी ने बदला चंद्रपुर का प्रत्याशी
महाराष्‍ट्र: चह्वाण की धमकी का ऑडियो वायरल का असर, पार्टी ने बदला चंद्रपुर का प्रत्याशी

राज्य ब्यूरो, मुंबई। कांग्रेस ने चंद्रपुर लोकसभा सीट से अपना पूर्वघोषित प्रत्याशी बदल दिया है। माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष अशोक चह्वाण की पद छोड़ने की धमकी का ऑडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस ने यह कदम उठाया है, लेकिन कांग्रेस को एक और बड़ा झटका देते हुए युवा नेता प्रतीक पाटिल ने रविवार को कांग्रेस छोड़ने की घोषणा की है।

दो दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चह्वाण की एक कांग्रेस कार्यकर्ता से टेलीफोन पर हुई बातचीत वायरल हो गई थी, जिसमें चह्वाण यह कहते सुने गए कि पार्टी में उनकी कोई सुनता ही नहीं है। अशोक चह्वाण इस परिस्थिति से तंग आकर अपना पद छोड़ने की धमकी देते सुनाई दिए थे।

अशोक चह्वाण ने शनिवार शाम हुए एक संवाददाता सम्मेलन में भी स्वीकार किया था कि चंद्रपुर में प्रत्याशी चयन को लेकर समस्याएं हैं। लेकिन वह अपनी इस्तीफे की धमकी की बात टाल गए थे। आज कांग्रेस द्वारा जारी उम्मीदवारों की नई सूची में चंद्रपुर से पूर्वघोषित प्रत्याशी विनायक बांगड़े की जगह सुरेश धानोरकर का नाम घोषित किया गया है। यह परिवर्तन अशोक चह्वाण की पद छोड़ने की धमकी का परिणाम माना जा रहा है।

चह्वाण की उक्त धमकी सिर्फ चंद्रपुर के गलत प्रत्याशी के चयन का ही परिणाम नहीं मानी जा रही है। इसके और भी कई कारण हैं। इनमें से एक कारण स्वयं उन्हें नांदेड़ से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए बाध्य किया जाना भी है। नांदेड़ से कांग्रेस द्वारा 2014 में जीती गई महाराष्ट्र की दो सीटों में से एक है।

पिछला चुनाव अशोक चह्वाण न सिर्फ स्वयं इस सीट से जीते थे बल्कि नांदेड़ से सटी हिंगोली सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी राजीव सातव को भी जितवाने में भी बड़ी भूमिका निभाई थी। लेकिन इस बार वह नांदेड़ सीट से खुद लड़ने के बजाय पत्नी अमिता चह्वाण को लोकसभा चुनाव लड़वाना चाहते थे।

वह स्वयं छह माह बाद होनेवाले विधानसभा चुनाव में नांदेड़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आनेवाली भोकर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, ताकि भावी मुख्यमंत्री के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर सकें। लेकिन कांग्रेस आलाकमान के दबाव में उन्हें पुनः लोकसभा चुनाव लड़ना पड़ रहा है।

यदि अशोक चह्वाण पार्टी आलाकमान का निर्देश ठुकराकर अपना पद छोड़ने पर अड़ते, तो कांग्रेस के लिए दोहरी मुसीबत खड़ी हो सकती थी। क्योंकि महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल का परिवार पहले ही कांग्रेस से विमुख हो चुका है। पाटिल के पुत्र सुजय विखे पाटिल भाजपा में आ चुके हैं। वह भाजपा के टिकट पर अहमदनगर से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

राधाकृष्ण विखे पाटिल घोषित तौर पर तो कांग्रेस के साथ हैं। लेकिन परोक्ष रूप से उनका पूरा तंत्र उनके पुत्र को जिताने के लिए काम करता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस को एक और बड़ा झटका कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे पद्मभूषम वसंतदादा पाटिल के पौत्र प्रतीक पाटिल ने दिया है। पश्चिम महाराष्ट्र के सांगली क्षेत्र से सांसद एवं मनमोहन सरकार में राज्यमंत्री रहे पाटिल ने कांग्रेस छोड़ने की घोषणा की है।  

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