खास मुलाकात: क्षेत्रवाद और टोपियों की सियासत खत्म करना मेरी उपलब्धि- जयराम ठाकुर

चुनावी रणनीतियों की गहमागहमी के बीच मुख्यमंत्री ने दैनिक जागरण के राज्य संपादक नवनीत शर्मा के नेतृत्व में समाचार संपादक नीरज आजाद व मुख्य संवाददाता दिनेश कटोच के साथ खास बातचीत...

By BabitaEdited By: Publish:Wed, 01 May 2019 10:48 AM (IST) Updated:Wed, 01 May 2019 10:48 AM (IST)
खास मुलाकात: क्षेत्रवाद और टोपियों की सियासत खत्म करना मेरी उपलब्धि- जयराम ठाकुर
खास मुलाकात: क्षेत्रवाद और टोपियों की सियासत खत्म करना मेरी उपलब्धि- जयराम ठाकुर

धर्मशाला, जेएनएन। पहाड़ पर बढ़ी सियासी तपिश के बीच हिमाचल की चार सीटों पर दिलचस्प मुकाबले की शुरुआत हो चुकी है। भाजपा चारों सीटों पर कब्जा बरकरार रखने के लिए जुटी है तो कांग्रेस खोया जनाधार पाने की जुगत में है। इस वातावरण में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सिरमौर से भरमौर और किन्नौर से लेकर कांगड़ा तक सक्रिय हैं। ऊपर के हिमाचल और नीचे के हिमाचल में पसरी खाई को पाटने को जयराम अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। इसी के साथ टोपी संस्कृति से खिंचती रेखाएं भी वे मिटा चुके हैं। वह इसे भी गर्व से बताते हैं कि सवा साल पुरानी भाजपा सरकार के खिलाफ विरोधियों के पास कहने को कुछ नहीं है।

प्रदेश के बड़े भाजपा नेता अपने-अपने हलकों में व्यस्त हैं जबकि जयराम की नजर पूरे प्रदेश पर है। इसी क्रम में पैर की सूजन उनके रास्ते का रोड़ा नहीं बनती...सुबह से लेकर शाम तक चार कमल खिलाने के लिए कसरत जारी है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर केंद्र सरकार की नीतियों के अलावा अपनी सरकार के सवा साल की उपलब्धियां लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। अब तक 36 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर चुके जयराम का मानना है कि इस समय पहाड़ की चोटियों पर राष्ट्रवाद को साफ पढ़ा जा सकता है... मोदी के निर्णायक नेतृत्व को देखा जा सकता है... उन्हें जनता के लिए हर वक्त उपलब्ध मुख्यमंत्री एवं सरकार के प्रति भरोसे पर भरोसा है। देश में सुरक्षा व स्वाभिमान बढ़ा है। चुनावी रणनीतियों की गहमागहमी के बीच मुख्यमंत्री ने दैनिक जागरण के राज्य संपादक नवनीत शर्मा के नेतृत्व में समाचार संपादक नीरज आजादमुख्य संवाददाता दिनेश कटोच के साथ जो बातचीत की, उसके कुछ अंश आपके लिए...

लगभग पूरे प्रदेश का दौरा कर लिया है आपने...क्या महसूस किया अब तक?

-मैंने प्रचार के दौरान प्रदेशभर के 36 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा पूरा कर लिया है। देखिए... साफ है कि किसी भी क्षेत्र में भाजपा को समर्थन की कमी नहीं है। इस बार परिवर्तन यह है कि भाजपा के कार्यक्रमों में मातृ शक्ति व युवा शक्ति खुलकर आ रही है। ये दोनों वर्ग महत्वपूर्ण हैं। पार्टी प्रदेश की चारों सीटें जीत रही है। प्रदेश व केंद्र सरकार के खिलाफ कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है। प्रदेश सरकार ने अपने सवा साल के अल्पकाल में हर क्षेत्र का विकास किया है। मैंने सवा साल में प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया है। लोगों की जरूरत उनके पास जाकर समझी है। केंद्र सरकार ने पांच साल में विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को देशभर के सभी मुख्यमंत्रियों में दूसरे स्थान पर आंके जाने से साबित होता है कि हम काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के खिलाफ लोगों के पास कहने को कुछ नहीं है। सरकार के कामकाज से जनता खुश है।

 

 मुख्यमंत्री के तौर पर आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या रही?

-पूरे प्रदेश को भावनात्मक स्तर पर जोड़ना मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है। मैंने क्षेत्रवाद की खाई को पाटा है...मैंने हिमाचलियों की दृष्टि को टोपी की कैद से मुक्त किया..ऊपर नीचे की दूरी मिटाई। हंसते हुए.. देखिए...आजतक कोई कहीं से मुख्यमंत्री रहा तो कोई कहीं से...मेरे साथ संयोग यह है कि मैं ऐसे स्थान से

हूं जो हिमाचल के मध्य या केंद्र में है। इसलिए मैं सबका हूं। हर मुख्यमंत्री सबका होता है। लेकिन जो प्रतिक्रियाएं लोगों की मिलती हैं...लोग मिलते हैं, उसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि मैं सबको आसानी से उपलब्ध हूं। कोई तो कारण होगा कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री से लोगों को सर्वेक्षण में प्रसन्न बताया गया है। वह सर्वेक्षण न किसी चलती फिरती एजेंसी का था और न सरकार का था। निष्पक्ष सर्वेक्षण था जिसमें हमें दूसरा स्थान मिला।

सबसे सेफ सीट कौन सी है और सबसे मुश्किल सीट कौन सी?

(हंसते हुए) प्रदेश की चारों सीटें सेफ हैं। चारों सीटों पर हम जीत रहे हैं। हमने योजना बनाकर हर क्षेत्र में काम किया है। यही कारण है कि हम किसी भी सीट पर कमजोर नहीं हैं। प्रदेशभर के लोगों का खुलकर समर्थन मिल रहा है। प्रदेश का मतदाता नरेंद्र मोदी की नीतियों से प्रभावित है।

हिमाचल प्रदेश में चुनाव कुछ मुद्दों पर लड़ा जा रहा है या प्रधानमंत्री मोदी ही पर्याप्त आकर्षण हैं?

-सोचते हुए ....यह लोकसभा का चुनाव है। देश की सरकार चुनी जानी है। प्रधानमंत्री मतदाताओं के दिल और दिमाग पर पूरी तरह छा चुके हैं। कोई असमंजस नहीं। मोदी जी के नेतृत्व में देश का सम्मान और स्वाभिमान बढ़ा है। पांच साल के कार्यकाल में हुए विकास का यह प्रभाव है कि लोग खुलकर प्रधानमंत्री के साथ खड़े हैं। एयर स्ट्राइक के बाद तो देश में जो बूम आया, वह साफ है। लोगों को लगा कि अब फैसला लेने वाला व्यक्तित्व हमारे देश में है जो सही समय पर सही निर्णय लेने में सक्षम है। रक्षा और सुरक्षा के मामले में निर्णय लिए जा रहे हैं। लोग खुद को सुरक्षित समझ रहे हैं। दुश्मन को घर में जाकर मात दी जा रही है। इससे देशवासियों में एक विश्वास जगा है। यही कारण है कि देशवासी नरेंद्र मोदी को फिर प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं।

 हिमालयन रेजीमेंट, रेल विस्तार व अन्य राज्यों से हिमाचल के हक (प्रोजेक्टों से संबंधित) आदि पर क्या नजरिया है?

-प्रदेश सरकार हिमालयन रेजीमेंट के लिए गंभीर है। इसके लिए शुरू से प्रयास किए जाते रहे हैं। अब प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हमने प्रधानमंत्री से बात की है। रक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के पास मामला भेजा है। अब जल्द  ही सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद है। रेल विस्तार के संबंध में भी कई बार बातचीत हुई है। हिमाचल में रेलविस्तार किया जाना काफी महंगा है। यही कारण है कि दोनों छोटी रेललाइनों पठानकोट-जोगेंद्रनगर व कालका-शिमला रेललाइन पर चलने वाली गाड़ियों की गति बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। पर्यटन की दृष्टि से जोगेंद्रनगर-पठानकोट ट्रैक पर चलने वाली रेलगड़ियों में विस्टाडोम कोच लगाए जाएंगे। कालका-शिमला रेलट्रैक पर तो विस्टाडोम कोच लगाए जा चुके हैं, जल्द ही जोगेंद्रनगर-पठानकोट रेललाइन पर भी यही कोच उतरेंगे ताकि लोग प्रकृति का आनंद ले सकें। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मनाली-लेह ट्रैक के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण हो चुका है। उम्मीद की जा सकती है कि केंद्र इस ट्रैक का निर्माण करेगा। इसके अलावा बिलासपुर के बैरी तक रेललाइन बिछाने के लिए तेजी से कार्य हो रहा है। जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है। इसके बाद रेललाइन बिछाने का कार्य शुरू हो जाएगा।

हिमाचल प्रदेश में स्थित शानन पावर प्रोजेक्ट पर पंजाब का मालिकाना हक है। यह पूर्व में हुए समझौते के तहत वर्ष 2026 तक है। इसके बाद इसके संबंध में आगामी प्रक्रिया शुरू होगी जो हिमाचल के हित में ही होगी। बीबीएमबी के अन्य प्रॉजेक्टों पर भी हिमाचल का पक्ष मजबूती से रखा है। इसमें भी सुप्रीम अदालत में पक्ष रखा गया है। उम्मीद है कि इस पर भी जल्द ही प्रदेश हित में फैसला आएगा।

 चुनाव के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल की बात आपने कही है  क्या चुनाव में लीड ही मुद्दा होगी या जिलों का संतुलन भी देखा जाएगा? आपने कहा था कि बेहतर करने वालों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा क्या जिन मंत्रियों के क्षेत्र में विपक्ष लीड लेता है तो उस मंत्री को हटाया भी जाएगा? 

-संसदीय चुनाव में सभी की कारगुजारी देखी जाएगी। निसंदेह बेहतर करने वालों को इनाम मिलेगा। चुनाव से पूर्व मंत्रिमंडल में सभी पद भरे थे। चुनाव के दौरान एक पद खाली हुआ है। एक चुनाव जीतने के बाद खाली हो जाएगा।  चुनाव बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल व विस्तार अवश्य होगा। विस्तार के दौरान लीड को तो देखा ही जाएगा लेकिन जिलों में संतुलन भी अहम रहेगा। चुनाव में जिस मंत्री या विधायक का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं होगा उसके बारे में पार्टी निर्णय लेगी। विधायकों को भी अगली बार लीड के आधार पर ही टिकट तय होंगे। जहां पर पार्टी विधायक नहीं हैं वहां पर भी नजर रखी जाएगी कि किस नेता का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट का यह पैमाना भी रहेगा।

सुरेश चंदेल के कांग्रेस में जाने पर आपने कहा था कि कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन धूमल जी कहते हैं कि नुकसान हुआ?

-चंदेल जी के जाने का दु:ख हुआ था लेकिन सच यह भी है कि पार्टी से बड़ा कोई नहीं। किसी एक व्यक्ति के  पार्टी छोड़ने से संगठन को कोई फर्क नहीं पड़ता। संगठन चलता है। सुरेश चंदेल हमारे पुराने साथी हैं, उनके कांग्रेस में जाने का अफसोस है। लेकिन यह स्थिति नहीं है कि उनके जाने से कुछ ढह जाएगा .....उनका जाना बुरा लगा। कांग्रेस सुरेश चंदेल को आगे कर वोट हासिल करना चाहती है लेकिन यह चाल उसकी कामयाब नहीं होगी। चंदेल इस्तेमाल हो कर रह जाएंगे। कार्यकर्ता संगठन से जुड़े होते हैं, किसी व्यक्ति से नहीं।

राजन सुशांत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पुन: प्रधानमंत्री बनाने की मुहिम चला रहे हैं, वह उस संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं जो इस मुहिम को चलाए है। क्या उनकी पार्टी में वापसी हो रही है?

-राजन सुशांत का पार्टी में आने के लिए कोई आग्रह नहीं आया है। यदि आग्रह आता है तो उस पर पार्टी फैसला करेगी। वह अपने स्तर पर जो कर रहे हैं वह उनका अपना फैसला है। अन्य पार्टियों के कई लोग भाजपा में आने के इच्छुक हैं। अभी कुछ लोग भाजपा में शामिल हो चुके हैं, आने वाले समय में और लोग भी पार्टी में शामिल होंगे। 

सिंघी राम को भाजपा में शामिल किया जाना राजनीति है या रणनीति? क्या उन पर लगे आरोप खत्म हो गए हैं?

-सिंघी राम कई बार विधायक रहे हैं। मंत्री भी रहे हैं। वह बिना किसी शर्त के पार्टी में शामिल हुए हैं। काफी समय से वह प्रयासरत थे। पार्टी ने काफी विचार विमर्श के बाद ही उन्हें पार्टी में शामिल किया था। जो मामले उनसे संबंधित थे उनमें से अधिकतर सैटल हो गए हैं। दूसरी बात यह भी है कि ऐसे फैसले सही स्तर पर चर्चा के बाद ही लिए जाते हैं। 

अनिल शर्मा ने मंत्री पद छोड़ दिया है लेकिन क्या उन्हें पार्टी में बरकरार रखा जाएगा। क्या इससे पार्टी की गोपनीयता भंग नहीं होगी?

-अनिल शर्मा भाजपा के विधायक हैं। वह कांग्रेस का प्रचार नहीं कर सकते हैं। हमारे पास सूचना है कि रात के अंधेरे में वह पार्टी के खिलाफ व बेटे के समर्थन में काम कर रहे हैं। कई लोगों से उन्होंने संपर्क किया है। कई को अपने पास बुलाया व उन्हें बेटे के लिए काम करने के लिए कहा। ऐसे लोग हमारे पास भी आए थे व उन्होंने सारी बातें बताई हैं। चुनाव के बाद इस पर कोई फैसला लिया जाएगा। अनिल शर्मा को मंत्रिमंडल से नहीं हटाया गया था उन्होंने खुद त्यागपत्र दिया जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद अनिल शर्मा ने पार्टी के खिलाफ बयानबाजी भी की...  अपनी पार्टी के सांसद से हिसाब मांगने लगे...मेरे खिलाफ भी बयानबाजी की।  संगठन के खिलाफ बयानबाजी किसी भी सूरत में बर्दाश्त योग्य नहीं है।

 सेवा विस्तार का भाजपा विरोध करती रही है लेकिन अब भाजपा सरकार भी इसी राह पर है? इससे संबंधित फाइलें चुनाव आयोग को मंजूरी के लिए भेजी जा रही हैं?

भाजपा शुरू से ही सेवा विस्तार के खिलाफ रही है। कांग्रेस ने हजारों में सेवा विस्तार दिया था। भाजपा सरकार ने सिर्फ कुछ अधिकारियों को चुनाव आचार संहिता के दौरान सेवा विस्तार दिया है यह सेवा विस्तार भी कुछ माह के लिए है। इसका प्रमुख कारण यह है कि चुनाव का कार्यक्रम काफी लंबा है। यदि अधिकारी सेवानिवृत्त हो जाते हैं तो काफी कार्य बाधित होते। कार्यों को सुचारू चलाने के लिए ही सेवाविस्तार दिया है। यह फैसला भी जनहित में लिया गया है। हमने कुछ समय के लिए वहीं सेवाविस्तार दिया जहां कार्य प्रभावित होता था।

 क्या प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती की बयानबाजी से आप सहमत हैं? क्या यह किसी रणनीति के तहत की जा रही है?

-(मुस्कराते हुए) प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती स्वयं मान चुके हैं कि वह ऐसे क्षेत्र से आते हैं जहां की बोली ही ऐसी है। मेरा मानना है कि सभी को अपनी भाषा पर संयम रखना चाहिए। भाषा ऐसी होना चाहिए कि हम शालीन तरीके से अपनी बात कह सकें। चुनाव के दिनों में तो तिल का ताड़ बनाया ही जाता है, इसलिए पार्टी के सभी नेताओं व कार्यकर्ताओं को भाषा पर संयम रखने की हिदायत दी गई है।

लेकिन तस्वीर का दूसरा रुख यह भी है कि सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया यानी प्रधानमंत्री को कोई अपशब्द कहे तो वह उनसे भी सहन नहीं हुआ, नतीजतन गुस्से में उनसे इस तरह की बातें मुंह से निकल गई हैं। चुनाव में वह किसी के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, वह अपनी जिम्मेदारी समझते हैं।

वरिष्ठ भाजपा नेता शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल अगर प्रत्याशियों के नामांकन को छोड़ दें तो अभी तक अपने-अपने ही क्षेत्रों तक सीमित हैं। ऐसा क्यों?

-ऐसा नहीं है। यह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। पार्टी ही तय करती है कि किस नेता को कहां पर जाना है। इन्हें भी जल्द ही अन्य क्षेत्रों में प्रचार के लिए भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री प्रदेश को देख रहे हैं, उन्हें जिम्मेदारी भी अधिक है। उनके सारे कार्यक्रम पार्टी ही तय करती है कि कब किस क्षेत्र में जाना है। सभी को इसी के अनुरूप कार्य करना पड़ता है। 

 शिमला में ट्रैफिक की समस्या गंभीर हो रही है, इसके लिए क्या योजना है?

-सच यह है कि शिमला में जमीन पर जगह नहीं बची है। यह समस्या गंभीर है लेकिन सरकार इससे निपटने के लिए योजना बना रही है। मोनो रेल का मॉडल विचार में है। इस संबंध में संबंधित कंपनी ने अपना डेमो दिया है। इस पर विचार किया जाएगा कि शिमला में लोगों को भी समस्या न हो और बेहतर सुविधा मिल सके।

क्या बीबीएन से उद्योगों का पलायन हो रहा है? इसे रोकने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?

-बद्दी-बरोटावाला-नालागढ़ से उद्योगों का पलायन तो नहीं हो रहा लेकिन नया निवेश अवश्य कम हुआ है। पड़ोसी राज्यों ने अपने वहां उद्योगों को कुछ रियायतें दी हैं। उन्होंने औद्योगिक निवेश बढ़ाने की दिशा में कुछ रियायतें दी हैं। हमारा प्रयास है कि प्रदेश में औद्योगिक निवेश बढ़े, इसके लिए सरकार पड़ोसी राज्यों की औद्योगिक नीति का अध्ययन कर रही है। देखा जाएगा कि वहां पर उद्योगों को क्या रियायतें दी जा रही हैं, हम उनसे अधिक रियायतें देकर औद्योगिक घरानों को आमंत्रित करेंगे। रेल कनेक्टीविटी न होने के कारण इस क्षेत्र में उद्योगों को समस्याएं आती रही हैं। हमारा प्रयास है कि इस दिशा में कदम उचित कदम उठाए जाएंगे। 

पहले जंजैहली, फिर कसौली, फिर शिमला का जल संकट... इन सबसे निपटने में आपने क्या सीखा?

-कसौली में जो हुआ वह दुखद था। हिमाचल में इस तरह की घटना अप्रत्याशित है। इस तरह की वारदात पहले कभी भी नहीं हुई। किसी ने ऐसा सोचा तक नहीं था कि गोली चला दी जाएगी लेकिन पुलिस प्रशासन ने आरोपी को पकड़ा और आवश्यक कार्रवाई की। जंजैहली का मामले को कुछ लोगों ने बेवजह तूल दिया जबकि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से मामला सुलझ गया। पानी का संकट भी प्राकृतिक था...कुछ लोग अस्थिर करने में लगे थे लेकिन वे भी समझ गए हैं कि जब व्यक्ति नेकनीयत के साथ चलता है तो उसका आत्मबल उसे रास्ता दिखाता है। आज का जयराम सवा साल पहले वाला जयराम नहीं है। लगातार सीख रहा हूं। 

प्रदेश में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए क्या किया जा रहा है?

-हम इस अहम क्षेत्र को हट कर देख रहे हैं। इससे रोजगार के अवसर भी सृजित होते हैं। सरकार पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विशेष योजना बनाकर कार्य कर रही है। इससे पहले पर्यटन के लिए कोई योजना नहीं बनाई जाती रही है। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के अलावा अन्य पर्यटन केंद्रों को विकसित ही नहीं किया गया। विख्यात पर्यटन स्थलों पर भी सुविधाएं विकसित नहीं की गई हैं। वर्तमान सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। प्रदेश में रेल नेटवर्क नहीं है।

इस कारण सड़कों पर विशेष ध्यान दिया गया है। एक-दो साल के बीच प्रदेश में कई फोरलेन बन जाएंगे। इससे ट्रैफिक की समस्या का काफी हद तक हल हो जाएगा। नए पर्यटन स्थल भी विकसित किए जा रहे हैं। इसके लिए भी योजना बनाई गई है। शिमला में पिछले साल पानी की किल्लत हो गई थी। इस गंभीर समस्या को सरकार ने सात दिन में सुलझा लिया। यह समस्या प्राकृतिक थी। बरसात कम होने के कारण पेयजल स्नोत में पानी की कमी हो गई थी। अब शिमला में पेयजल के लिए 80 करोड़ की योजना मंजर कर दी गई है। आने वाले समय में यहां पर पानी की किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी।

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एडीबी से मिले 1600 करोड़ को योजना के तहत पर्यटन को विकसित किया जाएगा। इसके तहत रोहड़ू की चांशल घाटी में स्कीइंग को प्रोत्साहित किया जाएगा। पैराग्लाइडिंग मशहूर बीड़ बिलिंग और सुविधाएं जुटाई जाएंगी। ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा पौंग बांध व भाखड़ा बांध में वाटर स्पोट्र्स के इंतजाम किए जाएंगे। चंडीगढ़ से मनाली तक के सफर में पर्यटक थक जाते हैं। रास्ते में उनके लिए कोई ऐसा स्थल विकसित नही किया गया है कि वे वहां पर रुक कर अपनी थकान भी मिटा सकें। इस दिशा में सरकार प्रयास कर रही है।

मंडी को छोटी काशी के रूप में जाना जाता है लेकिन यहां पर पर्यटकों को आकर्षित करने के प्रयास नहीं किए गए थे। सरकार का प्रयास है कि यहां पर शिवधाम स्थापित किया जाएगा। मंडी में कई मंदिर हैं। लेकिन वे पर्यटकों की नजर से ओझल रहे हैं। एक योजना बनाकर इन्हें विकसित किया जाएगा ताकि यहां पर पर्यटक रुकें। 

अनिल शर्मा के ‘धर्मसंकट’ के बारे में क्या कहेंगे?

धर्मसंकट अनिल शर्मा ने खुद पैदा किया है। इसमें किसी का कोई दोष नहीं है। बेटे के लिए टिकट मांगना गलत नहीं है। पंडित सुखराम ने भी अनिल शर्मा के बेटे आश्रय शर्मा के लिए भी टिकट मांगा था। इसके लिए उन्होंने किसी को विश्वास में नहीं लिया। अपने स्वभाव के अनुरूप उन्होंने प्रदेश इकाई को छोड़ सीधे आलाकमान से बात की। इसी दौरान वे सुबह भाजपा से टिकट की मांग करते थे और शाम को कांग्रेस में गणित भिड़ा रहे थे। भाजपा ने जब टिकट के लिए इन्कार किया तो वे खुलकर कांग्रेस के पास टिकट की मांग करने लगे। इनके लिए देश नहीं परिवार सर्वोपरि है। धर्मसंकट तो इन्होंने खुद ही पैदा किया है हमने तय किया था कि अनिल शर्मा से त्यागपत्र नहीं मांगेंगे लेकिन हालात ऐसे बन गए कि उन्हें देना पड़ा।

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