विधानसभा जीतने के बाद भी मुश्किल में कांग्रेस, क्या भाजपा Lok Sabha चुनावों में देगी मात?

भाजपा को बेशक विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन वर्तमान सरकार में तबादलों और चौपट कानून व्यवस्था ने भाजपा को जल्द अपनी साख दोबारा बनाने का अच्छा मौका दे दिया है।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Tue, 12 Mar 2019 02:15 PM (IST) Updated:Tue, 12 Mar 2019 02:15 PM (IST)
विधानसभा जीतने के बाद भी मुश्किल में कांग्रेस, क्या भाजपा Lok Sabha चुनावों में देगी मात?
विधानसभा जीतने के बाद भी मुश्किल में कांग्रेस, क्या भाजपा Lok Sabha चुनावों में देगी मात?

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। देश में कोई भी अहम चुनाव हो उम्मीदवार हर एक वोट के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देते हैं। चुनाव से पहले हर उम्मीदवार अपने क्षेत्र में हर कदम बड़े फूंक-फूंककर रखता है। वहीं, अगर बात किसानों की हो तो चुनाव से पहले उन्हें लुभाने में हर किसी को काफी महनत करनी पड़ती है।

किसानों का मुद्दा महज एक राज्य भर तक सीमित नहीं है बल्कि ये पूरे देश में अहम मुद्दा है। हिंदी बेल्ट में एक महत्तवर्पूण राज्य मध्य प्रदेश की सियासत भी किसानों पर ही निर्भर है। राज्य सरकार इन दिनों किसान और ओबीसी वोट बैंक के बीच झूल रही है। विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस की राह लोकसभा चुनाव में आसान नहीं होने वाली है। लिहाजा मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ओबीसी कार्ड खेल दिया है। बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण दे दिया है, जो अब से पहले 14 ही था।

बावजूद इसके राजनीतिक पंडितों की मानें तो कांग्रेस के ये दोनों दांव लोकसभा चुनाव में उसके लिए ज्यादा असरदारी नहीं रहेंगे। ना सिर्फ ओबीसी कार्ड यहां तक की विधानसभा चुनाव में किसानों से किए वादे भी इस समय सरकार को खूब खल रहे हैं। कमलनाथ सरकार बनने के 77 दिन बाद भी कांग्रेस के दावे के मुताबिक सारे किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ नहीं हो पाया है, न ही युवाओं और कर्मचारियों सहित अन्य से किए वादे जमीन पर उतर पाए हैं।

भाजपा को बेशक विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन वर्तमान सरकार में तबादलों और चौपट कानून व्यवस्था ने भाजपा को जल्द अपनी साख दोबारा बनाने का एक अच्छा मौका दे दिया है। विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत तो बढ़ा लेकिन सीटें घटी थीं और पार्टी इस समय हर मौके को भुनाने की ताक में है।

ज्ञात हो कि शपथ लेने के तुरंत बाद ही अपने वादे के मुताबिक मध्यप्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राजधानी भोपाल में किसानों के कर्ज़ माफ करने वाली फाइल पर दस्तखत कर दिए थे। बता दें कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ लेने से पहले ही कहा कि था कि वे 10 दिनों से पहले ही किसानों का कर्ज माफ करेंगे। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में 2 लाख रुपये तक के कर्जमाफी की घोषणा की थी।

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