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Lok Sabha Chunav 2024: 2019 के मुकाबले एक तिहाई सीट पर पांच प्रतिशत घटा मतदान, चुनाव आयोग ने दो चरणों का वोटिंग डेटा जारी किया

लोकसभा चुनाव में घटे मतदान प्रतिशत को लेकर राजनीतिक दलों की बढ़ी हुई हैं। हर दल अपने अपने पक्ष में इसे परिभाषित कर आगे के चरणों के लिए माहौल बनाने में जुटे हैं। पहले दो चरणों में एक तिहाई सीटों पर मतफीसद में 5 फीसद से ज्यादा की कमी दिखी है। यह उन सीटों पर बड़ा बदलाव ला सकता है जहां पिछली बार जीत हार का अंतर कम था।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Published: Wed, 01 May 2024 11:45 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2024 11:45 PM (IST)
लोकसभा चुनाव में घटे मतदान प्रतिशत को लेकर राजनीतिक दलों की बढ़ी हुई हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में घटे मतदान प्रतिशत को लेकर राजनीतिक दलों की बढ़ी हुई हैं। हर दल अपने अपने पक्ष में इसे परिभाषित कर आगे के चरणों के लिए माहौल बनाने में जुटे हैं। पहले दो चरणों में एक तिहाई सीटों पर मतफीसद में 5 फीसद से ज्यादा की कमी दिखी है। यह उन सीटों पर बड़ा बदलाव ला सकता है, जहां पिछली बार जीत हार का अंतर कम था।

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उत्तर प्रदेश के मेरठ, मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा जैसी सीटों पर तो असमंजस ही खड़ा हो सकता है, क्योंकि वहां पिछली बार अंतर बहुत कम था। केरल की भी दो से तीन सीटों पर जीत हार का अंतर कुछ हजार में ही था। लेकिन उत्तर प्रदेश के परिप्रेक्ष्य में एक बात बहुत रोचक है इनमें से कई सीटों पर 2019 में 20 से 43 प्रतिशत तक के वोटों के अंतर से जीत हुई थी।

चुनाव आयोग की ओर से दो चरणों के मतदान के अंतिम आंकड़ों में जिन एक तिहाई सीटों पर मतदान का पांच फीसद या उससे अधिक घटा है, उसमें उत्तर प्रदेश की 16 में 12 सीटें है। केरल की 20 में से करीब 17 सीटें शामिल है। वहीं राजस्थान की सभी 25 सीटों पर वैसे तो इस बार कम मतदान हुआ है लेकिन इनमें से 14 सीटों पर यह अंतर पांच प्रतिशत या उससे अधिक है।

मध्य प्रदेश की 29 सीटों में 13 सीटों के हो चुके चुनाव में भी सभी सीटों पर 2019 के मुकाबले इस बार कम मतदान हुआ है, इनमें से करीब 10 सीटों पर मतदान का अंतर पांच प्रतिशत या उससे अधिक का है। छिंदवाडा में भी 2019 की तुलना में इस बार करीब तीन प्रतिशत कम मतदान हुआ है। पिछली बार इस सीट पर कांग्रेस की जीत भी सिर्फ करीब तीन प्रतिशत वोटों के अंतर से हुई थी। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की कुल 80 सीटों में से 16 सीटों के लिए हुए चुनाव में भी अब तक सभी सीटों पर 2019 के मुकाबले कम मतदान हुआ है।

वहीं इनमें से 12 सीटों पर पांच प्रतिशत या उससे अधिक गिरावट दर्ज हुई है। जबिक मेरठ में छह फीसद वोटिंग घटा है। पिछली बार यहां जीत सिर्फ 5000 से कम वोट से हुई थी। दो चरणों के चुनाव में अब तक जिन राज्यों में मतदान की सबसे बेहतर स्थिति रही है, उनमें तमिलनाडु, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल है। जिनकी कई सीटों पर मतदान प्रतिशत बढ़ा भी है। साथ ही जिन सीटों पर गिरावट भी है वह दो से तीन प्रतिशत की है।

इस सब के बीच असम में मतदान प्रतिशत सबसे बेहतर रहा है, जहां कुल 14 में से दस सीटों के लिए हो चुके मतदान में लगभग सभी सीटों पर मतदान 2019 के आसपास ही रहा है। बिहार में भी नवादा की एक सीट को छोड़ दें अब तक नौ सीटों के लिए हुए चुनाव में बाकी की आठ सीटों पर मतदान प्रतिशत 2019 के आसपास ही रहा है।

इन सीटों पर बढ़ा मतदान प्रतिशत

दो चरणों के चुनाव में जिन सीटों पर मतदान 2019 के मुकाबले अधिक हुआ है, उनमें कर्नाटक का चामराजनगर, चिक्कबल्लापुर, चित्रदुर्गा, मांड्या व महाराष्ट्र की अमरावती सीट शामिल है।


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