यही है असहिष्णुता

आयकर विभाग को शक है कि लालू प्रसाद के परिवार ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 19 May 2017 03:23 AM (IST) Updated:Fri, 19 May 2017 03:23 AM (IST)
यही है असहिष्णुता
यही है असहिष्णुता

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके करीबियों के ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी के अगले दिन पटना में भाजपा कार्यालय के सामने जो कुछ हुआ, उस पर सिर्फ शर्मिंदा हुआ जा सकता है। सभ्य समाज या लोकतंत्र में ऐसी प्रतिक्रिया के लिए कोई स्थान नहीं। कुछ महीने पहले जो दल और नेता असहिष्णुता पर लंबे-चौड़े भाषण दे रहे थे, उन्हें इस घटना के आईने में अपने चेहरे देखने चाहिए। इस घटना के लिए दोनों दलों को दोषी मानकर विधिसम्मत कार्रवाई की जानी चाहिए। जो लोग इस घटना में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल थे, उन्हें कानूनी कार्रवाई के दायरे में लाया जाना चाहिए। आयकर विभाग को शक है कि लालू प्रसाद के परिवार ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है। इस शक का आधार बेशक वे तमाम आरोप हैं जो भाजपा नेता सुशील मोदी ने पिछले दिनों सार्वजनिक रूप से लालू प्रसाद के परिवार पर लगाए। वैसे आयकर विभाग ने सिर्फ इन आरोपों के आधार पर छापेमारी नहीं की होगी। उसने प्रारंभिक साक्ष्य जुटाने के बाद ही लालू प्रसाद और उनके करीबियों के ठिकानों का रुख किया होगा। इसके बावजूद यदि किसी को लगता है कि ये आरोप निराधार हैं और लालू प्रसाद को फंसाने की राजनीतिक साजिश हो रही है तो यह आपत्ति दर्ज कराने के लिए पुलिस, न्यायालय और संसद जैसे फोरम उपलब्ध हैं। इसके विपरीत आपा खोकर पथराव, तोडफ़ोड़ और ङ्क्षहसा जैसे नितांत अनुचित एवं असंवैधानिक तौर-तरीके अख्तियार कर लेना न तो उचित है, न जरूरी। राज्य के मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री जैसे पदों पर रह चुके लालू प्रसाद इस बात को बेहतर तरीके से समझते होंगे। उन्हें अपने कार्यकर्ताओं को यह सीख देनी चाहिए। इस घटना के लिए भाजपा नेतृत्व को भी 'क्लीन चिटÓ नहीं दी जा सकती। ईंट का जवाब पत्थर से वाला फॉर्मूला भारतीय समाज या कानून व्यवस्था में स्वीकार्य नहीं है। भाजपा कार्यकर्ता संयत रहकर विधिसम्मत ढंग से राजद कार्यकर्ताओं के उपद्रव का प्रतिकार कर सकते थे। दुखद है कि इस घटना के संदर्भं में कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने भी उत्तेजक बयान जारी किए। इसकी आवश्यकता नहीं थी। जवाबी कार्रवाई के बाद भाजपा कार्यकर्ता इस घटना के लिए उतने ही दोषी माने जाने चाहिए, जितने राजद कार्यकर्ता। गेंद अब राज्य सरकार के पाले में है। इस घटना के आरोपित लोग यदि कानूनी कार्रवाई के जद में नहीं लाए गए तो उपद्रवी तत्वों का मनोबल बढ़ेगा और ऐसी घटनाओं का अंतहीन सिलसिला चल पड़ेगा।
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यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि राजद-भाजपा कार्यकर्ताओं में भिड़ंत जैसी घटना दोबारा न हो। यह तब संभव होगा जब इस घटना के आरोपितों को राजनीतिक हद से बाहर रखकर कड़ी कानूनी कार्रवाई के घेरे में लाया जाए। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में ऐसी असहिष्णुता के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]

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