सही समय पर उचित फैसला, आर्थिक सुस्ती को दूर भगाने के लिए सरकार ने कसी कमर

जिन्हें भी रिजर्व बैंक का यह फैसला रास नहीं आ रहा है उन्हें इस पर गौर करना चाहिए कि भारत सरकार को जो धन मिलने जा रहा है वह देश का पैसा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Wed, 28 Aug 2019 01:06 AM (IST) Updated:Wed, 28 Aug 2019 01:09 AM (IST)
सही समय पर उचित फैसला, आर्थिक सुस्ती को दूर भगाने के लिए सरकार ने कसी कमर
सही समय पर उचित फैसला, आर्थिक सुस्ती को दूर भगाने के लिए सरकार ने कसी कमर

केंद्र सरकार को करीब पौने दो लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करने के रिजर्व बैंक बोर्ड के फैसले को लेकर कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों की ओर से जैसा शोर मचाया जा रहा है उससे ऐसा लगता है कि कोई अनर्थ होने जा रहा है। यह आश्चर्यजनक है कि कुछ अर्थशास्त्री भी रिजर्व बैंक के फैसले को सही संदर्भ में देखने से इन्कार कर रहे हैं। इससे इन्कार नहीं कि रिजर्व बैंक एक बड़ी धनराशि सरकार को हस्तांतरित करने जा रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है कि यह काम पहली बार हो रहा है। रिजर्व बैंक की ओर से पहले भी ऐसा किया जाता रहा है।

अंतर बस इतना है कि पहले उसकी ओर से सरकार को हस्तांतरित की जाने वाली राशि इतनी अधिक नहीं होती थी। इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को कितनी राशि दी जा सकती है, इसकी सिफारिश बकायदा एक समिति ने की है और उसके प्रमुख इसी बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल कुमार जालान हैं।

इसी के साथ यह भी ध्यान रखा जाए तो बेहतर कि रिजर्व बैंक ने जालान समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि उसने यह पाया कि उसकी वित्तीय स्थिति बेहतर है।

जिन्हें भी रिजर्व बैंक का यह फैसला रास नहीं आ रहा है उन्हें इस पर गौर करना चाहिए कि भारत सरकार को जो धन मिलने जा रहा है वह देश का पैसा है। आखिर इसमें क्या हर्ज है कि देश का पैसा देश के काम आए? नि:संदेह ऐसा भी नहीं है कि रिजर्व बैंक ने अपना सारा खजाना खाली करने का फैसला किया हो।

चूंकि फिलहाल अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है और मंदी का अंदेशा उभर आया है इसलिए रिजर्व बैंक की ओर से वित्तीय रूप से सरकार के हाथ मजबूत करने की पहल को उपयुक्त समय पर उठाया गया कदम ही कहा जाएगा।

यदि अर्थव्यवस्था की सुस्ती और गहराने के बाद रिजर्व बैंक की ओर से सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपये हस्तांतरित करने का फैसला किया जाता तो शायद अनुकूल नतीजे हासिल करने में मुश्किल होती। रिजर्व बैंक के फैसले के बाद कारोबार जगत के साथ आम जनता के बीच तो एक अच्छा संदेश जाएगा ही, वैश्विक निवेशकों को भी इसका अहसास होगा कि भारत ने आर्थिक सुस्ती को दूर भगाने के लिए कमर कस ली है।

रिजर्व बैंक से उम्मीद से अधिक राशि मिलने से केंद्र सरकार को केवल खर्च बढ़ाने में ही मदद नहीं मिलेगी, बल्कि चालू वित्त वर्ष के शेष समय में बुनियादी ढांचे से लेकर सामाजिक क्षेत्र तक में खर्च बढ़ाकर मांग को बल देने में सहायता मिलेगी।

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