तकनीक और कौशल विकास के क्षेत्र में निरंतर हो रही प्रगति से खुद को जोड़ने की जरूरत, खत्म होगी मंदी
मंदी का आर्थिक व सामाजिक दोनों पहलुओं पर असर पड़ता है। हमें खुद को जमाने के हिसाब से बदलना होगा।
हल्द्वानी, जेएनएन : मंदी का आर्थिक व सामाजिक दोनों पहलुओं पर असर पड़ता है। इन दोनों स्तर पर विघटन की स्थिति से बचने के लिए हमें खुद को जमाने के हिसाब से बदलना होगा। तकनीक और कौशल विकास के क्षेत्र में निरंतर हो रही प्रगति से खुद को जोड़ने की जरूरत है। दरअसल, लोगों को दौर के मुताबिक ढलना होगा। तब जाकर हम मंदी की समस्या से पार पा सकेंगे।
दैनिक जागरण कार्यालय में सोमवार को बतौर अतिथि वक्ता पहुंचे एजीएम सहकारिता डॉ. अरविंद जोशी ने 'आर्थिक मंदी से कैसे बचें' विषय के तमाम बिंदुओं पर इसी तरह प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्किल का इस्तेमाल कर हमें खुद में वक्त के मुताबिक बदलाव करना होगा। रोजगार को बचाने के लिए आधुनिक तरीकों का समावेश करना पड़ेगा। जरूरत पड़ने पर रोजगार के संसाधन भी बदलने पड़ेंगे। डॉ. अरविंद के मुताबिक मध्यम वर्ग के लोगों को सरकारी योजनाओं में प्रतिभाग कर निवेश के लिए सुरक्षित करने का कदम उठाना पड़ेगा। इससे पूर्व इनपुट हेड गोविंद सनवाल ने विषय पर प्रकाश डाला। वहीं, धन्यवाद ज्ञापित करते हुए समाचार संपादक आशुतोष सिंह ने कहा कि समय के मुताबिक बदलाव कर मंदी के दौर से निपटा जा सकता है।
अतिथि वक्ता का परिचय
सहकारिता में बतौर सहायक महाप्रबंधक पद पर तैनात डॉ. अरविंद जोशी मूल रूप से बागेश्वर के रहने वाले हैं। इससे पूर्व वह जिला परियोजना प्रबंधक, कृषि विकास निधि में जिला परियोजना प्रबंधक, कैंपा में प्रबंधक समेत अन्य महकमों में भी सेवा दे चुके हैं।
उपभोक्ता को रेपो रेट का सीधा लाभ
डॉ. जोशी के मुताबिक सभी बैंक आरबीआइ से लोन लेते हैं। रिजर्व बैंक ने इस लोन पर ब्याज कम किया है। सरकार की नीति के मुताबिक कम रेपो रेट का सीधा लाभ उपभोक्ता को मिल रहा है। समाज के एक बड़े वर्ग को इस नीति से फायदा पहुंचा है। स्वरोजगार बढ़ाने को टैक्स हटाया अतिथि वक्ता के मुताबिक कौशल विकास योजना के तहत शुरू किए कारोबार पर पहले लगाए गए टैक्स को अब हटा दिया गया है। इस तरह की पॉलिसी के लागू होने पर स्वरोजगार को बढ़ावा मिलता है।
लोन लेने से पहले क्षमताओं का अध्ययन जरूरी
डॉ. अरविंद के मुताबिक कुछ नया काम करने से पहले हमें बाजार की स्थिति को चेक करना होगा। इसके अलावा बैंक में लोन के लिए आवेदन करने से पूर्व अपनी आर्थिक क्षमताओं का अध्ययन करना जरूरी है। ताकि बाद में पैसों के अभाव में सिविल खराब न हो।
जल्दबाजी का निवेश असुरक्षित
मंदी विषय पर बात करते हुए अतिथि वक्ता ने कहा कि निवेश को लेकर जल्दबाजी करना हमेशा नुकसान करता है। पीपीएफ, वरिष्ठ नागरिक सेविंग स्कीम, आरडी, नेशनल सेविंग स्कीम में ब्याजदर 7.8 से 8.55 प्रतिशत तक है। निवेश के सुरक्षित संसाधन मंदी के दौर में बेहद काम आते हैं।