रईसी का कहर

मर्सिडीज और ऑडी जैसी महंगी कारों पर सवार रईसजादों को रात में सड़कें फॉर्मूला वन ट्रैक सी नजर आती हैं और उसमें मासूम कुचले जाते हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 07 Apr 2017 01:30 AM (IST) Updated:Fri, 07 Apr 2017 01:34 AM (IST)
रईसी का कहर
रईसी का कहर

मर्सिडीज और ऑडी जैसी महंगी कारों पर सवार रईसजादों को रात में सड़कें फॉर्मूला वन ट्रैक सी नजर आती हैं और उसमें मासूम कुचले जाते हैं।
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दिल्ली में दिन में जिस तरह गाड़ी चलाई जाती हैं वही अपने आप में खतरनाक है। रात में यह और खतरनाक हो जाती है। ट्रैफिक और लाल बत्ती के कारण सुबह तो फिर भी कार की रफ्तार पर नियंत्रण रहता है लेकिन रात होते होते दिल्ली की खुली सड़कों पर अधिकतर कारें जानलेवा रफ्तार से दौड़ती हैं। खासकर मर्सिडीज और ऑडी जैसी महंगी कारों पर सवार रईसजादों को रात में सड़कें फॉर्मूला वन ट्रैक सी नजर आती हैं और उसमें मासूम कुचले जाते हैं। कुछ ऐसा ही मामला सिविल लाइंस इलाके में तेज रफ्तार मर्सिडीज कार से कुचले गए छात्र का है। समय पर उपचार होने पर वह छात्र भले ही बच गया हो लेकिन यह रईसी की रफ्तार आए दिन कई लोगों की जिंदगियां लीलती हंै। इस पर रोक लगाने की सख्त दरकार है।
पिछले साल चार अप्रैल को एक नाबालिग ने अपने पिता की मर्सिडीज कार से सिविल लाइंस इलाके में ही मार्केटिंग एग्जिक्यूटिव सिद्धार्थ शर्मा को टक्कर मारी दी थी जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए नाबालिग पर बालिग की तरह ट्रायल चलाने का आदेश दिया था। कुछ दिन पहले ही दक्षिणी दिल्ली के कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया में बाइक पर स्टंट दिखाने व रेस लगाने के जुनून में एक युवक की मौत और दो युवकों के गंभीर रूप से घायल होने की घटना सामने आई थी। इसके बावजूद दिल्लीवासी पिछली घटनाओं से कोई सीख नहीं लेते। यही वजह है कि ऐसे हादसे बार-बार हो रहे हैं।
दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार को भी इस बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। यातायात पुलिस समय-समय पर एक्शन लेती है, अभियान चलाती है लेकिन यह खानापूर्ति से ज्यादा नहीं होता। यातायात पुलिस को चालान काटने से इतर इस बारे में गंभीरता से विचार करने की जरूरत है कि रात में होने वाली दुर्घटनाओं को कैसे रोका जाए। क्योंकि जब तक ऐसा नहीं होगा इनकी पुनरावृत्ति होती रहेंगी और किसी न किसी परिवार का चिराग बुझता रहेगा। कुल मिलाकर यह दिल्ली की इस सबसे बड़ी समस्या का पुख्ता और सख्त इलाज होना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]

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