न लें अनुचित लाभ

कोई भी योजना तभी सफल होती है जब उसका उचित तरीके से लाभ उठाया जाए। कई लोग इस योजना का अनुचित तरीके से लाभ उठा रहे हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 07 May 2017 01:38 AM (IST) Updated:Sun, 07 May 2017 01:38 AM (IST)
न लें अनुचित लाभ
न लें अनुचित लाभ

जो लोग धोखे से योजनाओं का लाभ ले रहे हैं, उनकी पहचान कर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। बीपीएल सूची में चयन के लिए होने वाले सर्वे में पारदर्शिता बरती जाए।
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कोई भी योजना तभी सफल होती है जब उसका उचित तरीके से लाभ उठाया जाए। यदि लालच में आकर ऐसी योजना का लाभ उठाया जाए जिसके लिए पात्र न हों तो उस सूरत में उन लोगों को नुकसान होगा जो वास्तव में हकदार थे। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के उत्थान के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। बीपीएल श्रेणी में आने वाले लोगों को नौकरी में प्राथमिकता, सस्ता राशन, स्कूलों में छात्रवृत्ति सहित सरकार की ओर से और भी कई सुविधाएं मिलती हैं। इन योजनाओं का लाभ उठाकर कई लोगों के जीवन स्तर में सुधार भी आया है मगर चिंताजनक पहलू यह है कि कई लोग इस योजना का अनुचित तरीके से लाभ उठा रहे हैं। ऐसे लोग जो साधन संपन्न और गरीबी रेखा से ऊपर हैं, उनका बीपीएल सूची में शामिल होना कई सवाल पैदा करता है। हालांकि सरकार की ओर से प्रयास किए जाते हैं कि अपात्र लोग बीपीएल सूची में शामिल न हों मगर इसके बावजूद ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है। ऐसे लोग जो गैरकानूनी तरीके से योजना का लाभ ले रहे हैं, उनकी पहचान करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इसके तहत पंचायती राज विभाग की ओर से घरों के बाहर लिखा जाना था कि संबंधित परिवार बीपीएल सूची में शामिल है। अपने घर के बाहर बीपीएल से संबंधित जानकारी न लिखी जाए, इसके लिए कांगड़ा जिला में कुछ लोगों ने अपने नाम बीपीएल सूची से कटवा लिए थे। इन लोगों द्वारा की गई पहल को दूसरों को भी अपनाना चाहिए। इसी कड़ी में हमीरपुर जिला के भोरंज उपमंडल की छह पंचायतों की ग्रामसभा की बैठक में प्रस्ताव पारित किया जाना सराहनीय है कि बीपीएल परिवारों ने निजी स्कूलों में बच्चे पढ़ाए तो उनका नाम बीपीएल सूची से काट दिया जाएगा। इसी का नतीजा है कि 10 बच्चे निजी स्कूलों से हटकर सरकारी स्कूलों में दाखिल हो गए हैं। सरकार को चाहिए कि जो लोग धोखे से योजनाओं का लाभ ले रहे हैं, उनकी पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। बीपीएल सूची में चयन के लिए होने वाले सर्वे में अधिकारी पारदर्शिता बरतें। जब ग्रामसभा की बैठक हो तो उसमें भाई भतीजावाद को बढ़ावा न मिले, इसके लिए प्रशासनिक अधिकारी तैनात होने चाहिए। बीपीएल सूची में संशोधन हर साल होना चाहिए। जो व्यक्ति एक बार बीपीएल सूची में शामिल हो गया हो, उसकी आर्थिक स्थिति का आकलन हर साल किया जाए।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]

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