गरीब कौन?

गरीबी की गणना वर्तमान में रंगराजन समिति की सिफारिशों से की जाती है। जून, 2014 में इस समिति ने गरीबी का नया पैमाना तैयार किया। इसके अनुसार ग्रामीण इलाकों के लिए प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग खर्च 972 रुपये तय किया गया जबकि शहरी क्षेत्र के लिए यह राशि 1407 रुपये

By Rajesh NiranjanEdited By: Publish:Sun, 18 Jan 2015 11:34 AM (IST) Updated:Sun, 18 Jan 2015 11:35 AM (IST)
गरीब कौन?

गरीबी की गणना वर्तमान में रंगराजन समिति की सिफारिशों से की जाती है। जून, 2014 में इस समिति ने गरीबी का नया पैमाना तैयार किया। इसके अनुसार ग्रामीण इलाकों के लिए प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग खर्च 972 रुपये तय किया गया जबकि शहरी क्षेत्र के लिए यह राशि 1407 रुपये तय है। यानी पांच लोगों के किसी परिवार के लिए मासिक उपभोग खर्च ग्रामीण क्षेत्र के लिए 4860 रुपये और शहरी इलाकों के लिए इसकी सीमा 7035 रुपये निर्धारित है। इस पैमाने के अनुसार देश की 29.5 फीसद आबादी यानी 36.3 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को अभिशप्त हैं।

अलग समिति भिन्न अनुमान

* असंगठित क्षेत्र मेंउद्योगों के लिए गठित राष्ट्रीय आयोग के तत्कालीन चेयरमैन अर्जुन सेनगुप्ता ने 2006 में एक रिपोर्ट पेश की। इसके अनुसार देश की 77 फीसद आबादी रोजाना 20 रुपये से कम पर आश्रित है।

* ग्रामीण विकास मंत्रालय ने गरीबों की संख्या के निर्धारण पर एनसी सक्सेना समिति का गठन किया। 2009 में इस समिति ने अपने रिपोर्ट में कहा कि कैलोरी ग्रहण करने की मात्रा के आधार पर देश की पचास फीसद आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजारा कर रही है

* ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्युमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव द्वारा एक अध्ययन में गरीबों की संख्या करीब 65 करोड़ बताई गई। इस अध्ययन में मल्टी डायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स का उपयोग किया गया था। इसके अनुसार 42.1 करोड़ गरीब केवल आठ उत्तरी भारतीय राज्यों में रहते है। गरीबों की यह संख्या 26 सबसे गरीब अफ्रीकी देशों की आबादी 41 करोड़ से भी अधिक है।

* विश्व बैंक के एक अनुमान के मुताबिक देश की 80 फीसद आबादी दो डॉलर रोजाना से कम पर गुजर-बसर करती है।

* संप्रग सरकार में सुरेश तेंदुलकर समिति ने गरीबी का नया पैमाना पेश किया। हालांकि इसकी खूब आलोचना हुई। इसके अनुसार अगर ग्रामीण इलाके का कोई व्यक्ति रोजाना 27 रुपये 20 पैसे से अधिक कमा रहा है, और किसी शहरी की दिहाड़ी 33 रुपये 30 पैसे से अधिक है तो वे गरीब नहीं हैं। इस मानक के अनुसार 2011-12 के दौरान देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 27 करोड़ या 21.9 फीसद थी। इससे पहले 2011 में योजना आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के अनुसार अगर शहर में रहने वाला कोई व्यक्ति रोजाना 32 रुपये से अधिक या मासिक 965 रुपये से ज्यादा अपने गुजर बसर पर खर्च कर रहा है तो वह गरीब नहीं है। इसी तरह ग्रामीण व्यक्ति के लिए खर्च का यह पैमाना 26 रुपये से अधिक प्रतिदिन या 781 रुपये मासिक निर्धारित किया गया।

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