कारगर साबित होंगे सरकार के ये कदम, विदेशी निवेश का दिखेगा असर

नोटबंदी और जीएसटी के चलते धीमी हुई आर्थिक विकास की रफ्तार में तेजी लाने के लिए विदेशी निवेश आकर्षित करने को लेकर केंद्र सरकार के कदम मददगार साबित होंगे।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Thu, 25 Jan 2018 11:08 AM (IST) Updated:Thu, 25 Jan 2018 11:37 AM (IST)
कारगर साबित होंगे सरकार के ये कदम, विदेशी निवेश का दिखेगा असर
कारगर साबित होंगे सरकार के ये कदम, विदेशी निवेश का दिखेगा असर

नई दिल्ली, [लल्लन प्रसाद]। भारत विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है। नरेंद्र मोदी सरकार एक के बाद एक क्षेत्र को इनके लिए खोलती जा रही है । इससे संस्थागत और सीधे निवेशकों एफएफआइ व एफडीआइ दोनों के जरिये भारत में पूंजी लगाने के रास्ते खुल रहे हैं। 2013-14 के मुकाबले 2016-17 में विदेशी निवेश 36 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 60 अरब पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब के ऊपर डॉलर हो गया है।

अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी कर्ज की अपेक्षा विदेशी निवेश अच्छा विकल्प माना जाता है। इस लिहाज से सरकार का प्रयत्न सराहनीय है, लेकिन जिस मात्र में विदेशों से पूंजी आई, उस दर से विकास नहीं हुआ। अर्थव्यवस्था में मंदी की स्थिति बनी हुई है। बुनियादी ढांचे, कृषि और सेवा क्षेत्र में विकास की रफ्तार धीमी बनी हुई है। आर्थिक सुधार के पिछले दो बड़े कदमों नोटबंदी और जीएसटी को इसका कारण माना जा रहा है।

हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक बहुत बड़ा अंग है असंगठित क्षेत्र, जो कृषि के साथ रोजगार और निर्यात व्यापार को बढ़ावा देने का आधार रहा है, अभी संकट में है। सरकार इस क्षेत्र के लिए उतना संवेदनशील नहीं दिखती जितनी बड़े उद्योगों और पूंजीपतियों के लिए। जून, 2016 में रक्षा, विमानन, रिटेल, स्टॉक एक्सचेंज और फार्मास्यूटिकल उद्योगों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाई गई थी जिसके परिणाम अच्छे थे। गत 10 जनवरी को सरकार ने जो निर्णय लिए हैं उनका लाभ रिटेल, विमानन, निर्माण, फार्मास्यूटिकल, पावर एक्सचेंज एवं रीयल स्टेट ब्रोकरेज क्षेत्रों में विदेशी निवेशकों को होगा। रिटेल में 49 प्रतिशत की जगह 100 प्रतिशत सीधे निवेश की इजाजत दी गई है। यह सुविधा ‘स्टेट ऑफ आर्ट और ‘कटिंगएज टेक्नोलॉजी’ की एकल बैड रिटेलरों के लिए ऑटोमेटिक रूट से होगी।

निवेश के लिए उन्हें भारत सरकार या रिजर्व बैंक से पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी, जो पहले थी। हालांकि जहां एक ओर सरकार के फैसले का बड़े रिटेलर्स ने स्वागत किया है, वहीं छोटे रिटेलर्स निराश हुए हैं। बड़े पैमाने पर पूंजी आएगी, लेकिन उसका लाभ बड़ी कंपनियों को मिलेगा। रोजगार के अवसर और कम हो जाएंगे। एकल ब्रांड रिटेल निवेशकों को एक और बड़ी सुविधा दी गई है। पहले उन्हें अपने जरूरत का 30 प्रतिशत माल भारत में खरीदना अनिवार्य था, अब यह शर्त तीन वर्षो के लिए हटा ली गई है। इससे छोटे उद्योगों को, जो पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई का काम करते थे, उन्हें भारी नुकसान होगा।

वहीं फैशन, सौंदर्य प्रसाधन, बेबी प्रोडक्ट्स, आइडिया व आइफोन जैसी टेलीकॉम की विदेशी कंपनियों के लिए यह निर्णय फायदेमंद साबित होगा। एकल ब्रांड रिटेल में विदेशी निवेश पूरी तरह से खोल देने का प्रभाव सरकार की बहुचर्चित स्टार्टअप और स्टैंड अप जैसी योजनाओं पर भी पड़ सकता है, जो कटिंगएज टेक्नोलॉजी क्षेत्र में आने का प्रयास कर रही है।

विमानन क्षेत्र में 49 प्रतिशत का विदेशी निवेश निजी क्षेत्र की एयरलाइंस के लिए पहले से है, अब एयर इंडिया को भी इस दायरे में ला दिया गया है, जो अब तक सरकारी पूंजी और अनुदान पर चल रही है। विदेशी निवेशकों को पहली बार एयर इंडिया में निवेश के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। एयर इंडिया भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है जिसके पास बोइंग, एयरबस, एटीआर जैसे बड़े जहाजों के साथ-साथ छोटे जहाजों का भी बेड़े हैं जिनकी कुछ संख्या 228 है। देश और विदेश में अरबों की अचल संपत्ति है, जहाजों के रख-रखाव और मरम्मत के अपने डिपो हैं। इंडियन एयरलाइंस जो पहले अलग कंपनी थी, इसके साथ मिला दी गई है। तीन सहायक कंपनियां भी इसके अंतर्गत हैं। इसकी गिनती विश्व की बड़ी एयरलाइंस में होती है, लेकिन वर्षो से यह घाटे में चल रही है। अब तक कुल अनुमानित घाटा 50,000 करोड़ रुपये का है। इसके ऊपर 55,000 करोड़ रुपये का कर्ज भी है।

वहीं भवन निर्माण क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट से सरकार ने 100 फीसद विदेशी निवेश की अनुमति दे दी है, जो इस क्षेत्र को मंदी से उभारने में मददगार साबित हो सकती है। नोटबंदी की सबसे बड़ी मार इस सेक्टर पर पड़ी थी। इस क्षेत्र में निवेश से जितना लाभ मिलता था, शायद अर्थव्यवस्था के किसी अन्य क्षेत्र में निवेश से नहीं मिलता था। फ्लैटों और व्यावसायिक इमारतों के दाम आसमान छूने लगे थे, जो नोटबंदी के बाद जमीन पर आ गए।

बहरहाल सरकार की नई निवेश नीति इस क्षेत्र में जान फूंकने का काम कर सकती है। 2022 तक सरकार सबको घर देने का वादा कर रही है। यह सपना पूरा तभी हो सकता है, जब पूरे देश में भवन निर्माण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश हो। विदेशी निवेशकों को इस क्षेत्र में आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है। निर्माण में बाहर की बड़ी-बड़ी कंपनियां पूंजी लगा सकती हैं। इससे रोजगार सृजित हो सकते हैं। यह क्षेत्र जीडीपी में 8 प्रतिशत का योगदान करता है। निवेश बढ़ने से यह दर 10 प्रतिशत हो सकती है। उचित कीमत पर अच्छी गुणवत्ता के घर और कमर्शियल इमारत लोगों को उपलब्ध कराए जा सकते हैं।

मगर इस क्षेत्र में काला धन फिर न आने लगे, इसके लिए सरकार को सजग रहना होगा। 1इसी तरह पावर एक्सचेंजों में सरकार ने 49 प्रतिशत सीधा निवेश ऑटोमेटिक रूट से खोल दिया है। पहले इस क्षेत्र में विदेशी निवेश केवल सेकेंडरी मॉर्केट में लगाने की अनुमति थी। सीधा विदेशी निवेश पावर एक्सचेंजों के विकास में सहायक होगा। जिन देशों में निवेश पर नियंत्रण पहले इस आधार पर मना था कि उनसे हमारे संबंध अच्छे नहीं हैं, उनके लिए भी नई नीति में रियायत दी गई है। ऑटोमेटिक रूट से ऐसे देशों से आने वाले निवेश के आवेदन पर विचार अब गृह मंत्रलय की जगह उद्योग विभाग करेगा। तीन वर्षो में विदेशी निवेश में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो रिकॉर्ड है। विश्व के दस देशों में जिनके पास विदेशी मुद्रा का बड़ा भंडार है, भारत आठवें पायदान पर है। नई नीति का समय इस लिहाज से भी अहम है कि मोदी सरकार का अंतिम बजट इस महीने के अंत में आना है। आर्थिक विकास की गति जो धीमी है, उसे बल देने के लिए पूंजी की बढ़ती आवश्यकता पूरी करने में विदेशी निवेश को लेकर सरकार के कदम सहायक होंगे।

(लेखक डीयू के डिपार्टमेंट ऑफ बिजनेस इकॉनोमिक्स के पूर्व प्रमुख हैं)

यह भी पढ़ें: ई-पटाखों का तोहफा देने में जुटी सरकार, जानें- क्या है खास, कैसे करते हैं काम

chat bot
आपका साथी