मूल्य संवर्धन है समय की मांग : डॉ. एसके झा
कृषि उत्पाद में मूल्य संवर्धन करना अभी समय की मांग है। ऐसा करके किसान अपनी आय को दोगुना से अधिक कर सकते हैं। कड़ी मेहनत से तैयार फसल को सीधे बेचने के बजाय जहां तक संभव हो उसमें मूल्य संवर्धन करना चाहिए ताकि उपज का मुनाफे के साथ अधिकतम मूल्य किसान को मिल सके। पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में फूड साइंस एंड पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी में प्रधान वैज्ञानिक एसके झा बताते हैं कि किसान अपने उत्पाद में मूल्य संवर्धन बड़ी आसानी से कर सकते हैं। बस इसके लिए जागरुक होने की आवश्यकता है। इसके अलावा कोविड महामारी को देखते हुए किसानों को कुछ ऐसी तकनीक अपनाने पर ध्यान देना होगा जिसमें मानवीय श्रम की आवश्यकता कम हो।
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : कृषि उत्पाद में मूल्य संवर्धन करना अभी समय की मांग है। ऐसा करके किसान अपनी आय को दोगुना से अधिक कर सकते हैं। कड़ी मेहनत से तैयार फसल को सीधे बेचने के बजाय जहां तक संभव हो, उसमें मूल्य संवर्धन करना चाहिए ताकि उपज का मुनाफे के साथ अधिकतम मूल्य किसान को मिल सके। पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में फूड साइंस एंड पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी में प्रधान वैज्ञानिक एसके झा बताते हैं कि किसान अपने उत्पाद में मूल्य संवर्धन बड़ी आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए जागरूक होने की आवश्यकता है। इसके अलावा कोरोना महामारी को देखते हुए किसानों को कुछ ऐसी तकनीक अपनाने पर ध्यान देना होगा, जिसमें मानवीय श्रम की आवश्यकता कम हो।
एसके झा बताते हैं कि इसे आप दूध के उदाहरण से समझ सकते हैं। एक लीटर दूध की कीमत करीब 40 रुपये है। लेकिन इसी दूध से आप यदि मक्खन व छाछ को अलग कर दें तो आपको करीब 100 रुपये मिल सकते हैं। ऐसे में यदि बाजार आपके पास उपलब्ध है तो आपको यह कार्य करना चाहिए। दूध से कई तरह के उत्पाद बनाए जा सकते हैं। सोयाबीन के साथ भी ऐसा ही है। सोयाबीन से आप दूध व इस दूध से पनीर बना सकते हैं। आजकल सोयाबीन से बने दूध व पनीर की मांग भी बाजार में खूब होती है। बाजरा से आजकल पास्ता व पफ बनाए जा रहे हैं। आलू से बने चिप्स की कीमत आलू की तुलना में कई गुणा अधिक होती है। ये सभी बातें तब संभव हैं जब किसान जागरूक होगा। किसानों को बाजार की मांग व प्रचलन के अनुसार खुद को बदलना होगा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से ऐसी कई तकनीकें विकसित की गई हैं जिनका इस्तेमाल कर किसान अपने उत्पादों में आसानी से मूल्य संवर्धन कर सकता है।
डॉ. एसके झा बताते हैं कोरोना काल को देखते हुए आजकल कुछ तकनीकों की उपयोगिता बढ़ गई है। मसलन फल या सब्जी को खेत से मंडी या ग्राहक के पास तक पहुंचाने के लिए ऐसी तकनीक की आवश्यकता है जिसमें इंसान का हाथ का इस्तेमाल कम से कम हो। इस मॉडल पर देश के कई संस्थान कार्य कर रहे हैं। इसी तरह आजकल बाजार में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले उत्पादों की मांग काफी अधिक हो चुकी है। अच्छी बात यह है कि हमारे पारंपरिक खानपान में ऐसे मसाले शामिल हैं जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में काफी सहायक है। इस दिशा में किसानों को सोचने की आवश्यकता है।