सावन पर विशेष : आस्था का प्रतीक है यमुना विहार का शिव मंदिर

यह मंदिर उत्तर पूर्वी जिले के यमुना विहार इलाके में स्थित है। यमुना विहार के सी-8 ब्लॉक में स्थित श्री शिव शक्ति मंदिर आसपास के विभिन्न इलाकों में रहने वाले भक्तों के लिए आस्था का प्रतीक है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Sat, 01 Aug 2015 11:13 AM (IST) Updated:Sat, 01 Aug 2015 11:40 AM (IST)
सावन पर विशेष : आस्था का प्रतीक है यमुना विहार का शिव मंदिर

दिल्ली । यह मंदिर उत्तर पूर्वी जिले के यमुना विहार इलाके में स्थित है। यमुना विहार के सी-8 ब्लॉक में स्थित श्री शिव शक्ति मंदिर आसपास के विभिन्न इलाकों में रहने वाले भक्तों के लिए आस्था का प्रतीक है।

इस मंदिर में प्राचीन नर्मदेश्वर महादेव शिवलिंग के रूप में विराजमान है। नर्मदा नदी से प्राप्त होने वाले इस शिव लिंग में प्राकृतिक त्रिपुंड बना होता है। यह दिल्ली का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान महादेव के तेजस्वी शिवलिंग के साक्षात् दर्शन किए जा सकते हैं।

इस मंदिर की स्थापना पंडित प्रभुनाथ पांडेय ने भक्तों के सहयोग से तकरीबन 35 से 40 वर्ष पूर्व की थी। इस मंदिर से श्रद्धालुओं की अटूट आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है।

इसके चारों ओर हरियाली, आसपास में स्कूल और परिसर में गोशाला भी मौजूद है। मंदिर से सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन सीलमपुर का पड़ता है, मगर वह यहां से तकरीबन पांच किलोमीटर की दूरी पर है।

वहीं यह मंदिर वजीराबाद रोड से काफी नजदीक स्थित है। ऐसे में यहां से डीटीसी बसों की सुविधा काफी बेहतर है। यहां वजीराबाद से किसी भी तरह के छोटे सार्वजनिक वाहनों के माध्यम से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

मंदिर में मौजूद शांति के वातावरण, भव्यता और सुंदरता के कारण रोजाना यहां होने वाले सत्संग में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रहती है। श्रावण का पुण्यदायी महीना होने के कारण इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन एवं पूजन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु दूर दराज के इलाकों से भी आते हैं।


श्रद्धालु इस मंदिर में दिल्ली सहित आसपास के राज्यों से भी आकर शिव की कृपा प्राप्त करते हैं। सावन में विशेष रूप से मंदिर को सजाया जाता है और भगवान शिव विशेष आराधना का प्रबंध किया जाता है।

इस दौरान लगातार श्रद्धालुओं को सावन का महत्व एवं पूजा अर्चना की विधियां बताई जाती हैं। सावन में यहां श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हो जाती है और मंदिर परिसर पर श्रद्धालुओं की सुविधाओं का पूरा खयाल रखा जाता है।


शिव¨लग के महात्म्य का वर्णन करते हुए शास्त्रों में कहा गया है कि जो मनुष्य विधि-विधान के साथ नर्मदेश्वर शिव¨लग का दर्शन व पूजन करते हैं, वे अपने कुल सहित मोक्ष की प्राप्ति करते हैं। जिस स्थान पर नर्मदेश्वर शिव¨लग की पूजा होती है, वह तीर्थ न होने पर भी तीर्थ बन जाता है। दो अक्षरों का मंत्र शिव पर ब्रह्मस्वरूप एवं तारक है, इससे अलग दूसरा कोई तारक ब्रह्म नहीं है।
- पंडित प्रभुनाथ पांडेय (ज्योतिषाचार्य), संस्थापक एवं मुख्य पुजारी।

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