जीटीबी अस्पताल में लगे हैं पुराने अग्निशमन यंत्र
यमुनापार स्थित गुरु तेग बहादुर अस्पताल (जीटीबी) में आग से निपटने के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। अस्पताल परिसर में 85 फीसद अग्निशमन यंत्र पुराने लगे हैं। दो साल में एक बार इनकी जांच की जाती है। सूत्रों ने बताया कि अग्निशमन को दोबारा भरा नहीं जाता है। अस्पताल में अलार्म भी टूटे हुए हैं और परिसर में बालू की बाल्टियां तक नहीं हैं। वहीं अस्पताल के अधिकारी ने दावा किया कि अग्निशमन यंत्र समय-समय पर बदले जाते हैं।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : यमुनापार स्थित गुरु तेग बहादुर अस्पताल (जीटीबी) में आग से निपटने के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। अस्पताल परिसर में 85 फीसद अग्निशमन यंत्र पुराने लगे हैं। दो साल में एक बार इनकी जांच की जाती है। सूत्रों ने बताया कि अग्निशमन को दोबारा भरा नहीं जाता है। अस्पताल में अलार्म भी टूटे हुए हैं और परिसर में बालू की बाल्टियां तक नहीं हैं। वहीं अस्पताल के अधिकारी ने दावा किया कि अग्निशमन यंत्र समय-समय पर बदले जाते हैं।
विभागीय लापरवाही के कारण इस अस्पताल में कभी-भी मुबंई के ईएसआइसी कामगार अस्पताल की तरह हादसा हो सकता है।
अग्निशमन विभाग की माने तो लगभग एक वर्ष तक ही अग्निशमन यंत्र में गैस व्यवस्थित रहती है, उससे ज्यादा समय होने पर गैस बेकार हो जाती है। अग्निशमन यंत्र की स्थिति देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि केवल कागजों पर ही अग्निशमन यंत्र (सिलेंडर) में गैस भरवाई जाती होगी। कुछ अग्निशमन यंत्र तीन-तीन साल पुराने लगे हैं, जिनकी तारीख यंत्र पर अंकित है। कुछ यंत्रों पर गैस भरने की तारीख भी नहीं है। अस्पताल परिसर में कई जगहों पर फायर अलार्म टूटे हुए हैं। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही हादसे को दावत दे रही है। लोगों ने बताया कि कुछ समय पहले अस्पताल परिसर में बाल्टियां रखी हुई थीं, लेकिन अब नहीं है। विभागीय अनदेखी के कारण कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।
इस संबंध में अस्पताल निदेशक के सचिव अजय कुमार ने बताया कि अस्पताल परिसर की देख-रेख लोक निर्माण विभाग करता है। जब इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता पंकज किशन से बात करने की कोशिश की गई तो उनसे फोन पर संपर्क नहीं हो पाया।