Coronavirus Vaccine Trial: 20 सवालों से AIIMS में वैक्सीन के ट्रायल को उलझाने की थी कोशिश

Coronavirus Vaccine Trial इन सवालों के पीछे संस्थान के डॉक्टरों की आपसी सियासत बताई जा रही है। आचार समिति की तीन जून की बैठक में तो सदस्यों ने कुछ ही सवाल उठाए थे।

By JP YadavEdited By: Publish:Mon, 27 Jul 2020 02:19 PM (IST) Updated:Mon, 27 Jul 2020 07:28 PM (IST)
Coronavirus Vaccine Trial: 20 सवालों से AIIMS में वैक्सीन के ट्रायल को उलझाने की थी कोशिश
Coronavirus Vaccine Trial: 20 सवालों से AIIMS में वैक्सीन के ट्रायल को उलझाने की थी कोशिश

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। Coronavirus Vaccine Trial: आखिरकार एम्स में कोरोना के स्वदेशी टीके का ट्रायल शुरू हो गया है। हालांकि चर्चा है कि टीके के ट्रायल को संस्थान की आचार समिति में उलझाने की बहुत कोशिश की गई। इसके पीछे संस्थान के डॉक्टरों की आपसी सियासत बताई जा रही है। आचार समिति की तीन जून की बैठक में तो सदस्यों ने कुछ ही सवाल उठाए थे। उसका जवाब मिलने के बाद 17 जुलाई की फिर हुई बैठक में समिति के सदस्यों ने आपत्तियों व सवालों की झड़ी लगा दी। दो-चार नहीं बल्कि 20 सवाल दाग दिए गए। जिसके बाद मंशा पर ही सवाल उठाए जाने लगे। कई डॉक्टर तो कहने लगे कि सदस्यों ने पहली बैठक में ही वह तमाम आपत्तियां क्यों नहीं उठाई, जो अब उठा रहे हैं। क्या सदस्यों ने इस ट्रायल के प्रस्ताव को पहली बार ठीक से पढ़ा भी नहीं था? चर्चा है कि शीर्ष एजेंसियों ने हस्तक्षेप किया तब जाकर बात बनी और ट्रायल को मंजूरी मिली।

अब तो डर से इम्यून हो गए हैं

कोरोना से बचने व इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए लोगों ने कई जतन किए। घर-घर काढे़ का सेवन किया जाने लगा। विटामिन के कैप्सूल से लेकर होम्योपैथी की मीठी गोली तक लेने के लिए होड़ मच गई। यह सब उपाय कोरोना से बचे रहने में कितना काम आया अभी यह तो नहीं मालूम, लेकिन इम्यून सिस्टम मजबूत होने से डर जरूर दूर हो गया। कोरोना से लोगों ने अब काफी हद तक डरना छोड़ दिया है। इसलिए अब चहल- पहल धीरे-धीरे बढ़ रही है। 19 जुलाई को एम्स में प्लाज्मा दान के लिए पहुंचे पुलिसकर्मियों, डॉक्टरों व कर्मचारियों की संख्या देखकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन यह कहने से नहीं चूके कि कुछ समय पहले तक मन में इतना डर था कि इस तरह के कार्यक्रमों में बैठने के लिए कोई तैयार नहीं होता, लेकिन अब डर से इम्यून हो गए हैं। वैसे भी यदि किसी को लगातार डराने की कोशिश की जाए तो वह धीरे-धीरे डरना छोड़ ही देता है।

मंत्री जी बोले, मास्क तो पहन लीजिए डॉक्टर साहब

बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, रोजगार व कारोबार हर चीज को कोरोना ने अपने आगोश में ले लिया है। खुलकर सांस लेने की आजादी भी छिन गई है। उमस भरी गर्मी में पसीने या घुटन के कारण कोई अपना मास्क अगर नाक से सरका भी ले तो उससे ज्यादा तो उसके सामने वाले को ही कोरोना का डर सताने लगता है। यह वाजिब भी है। पिछले दिनों एम्स में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन अत्याधुनिक ओपीडी का उद्घाटन करने पहुंचे थे। इसमें सभी विभागों के विभागाध्यक्ष भी पहुंचे थे। मंत्री जी के पहुंचते ही डॉक्टर उनके अभिवादन के लिए पहुंचने लगे। मंत्री जी ने भी उनसे बातचीत शुरू कर दी। इस बीच एक डॉक्टर का मास्क नाक से नीचे सरक गया, लेकिन उन्होंने अपनी बात जारी रखी। तभी मंत्री जी बोल पड़े, मास्क तो पहन लीजिए नहीं तो दूसरों को बीमार कर देंगे। खैर, यह सीख सबके लिए है कि बाहर कोई बगैर मास्क के दिखे तो उसे जरूर टोकें।

एक गलती से शुरू हो गई कानाफूसी

लंबे इंतजार के बाद एम्स में आठ मंजिला ओपीडी ब्लॉक के उद्घाटन की तिथि 16 जुलाई तय हुई। चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय से छह सेंटर के प्रमुख व 39 विभागों के विभागाध्यक्षों को इसमें शामिल होने का निमंत्रण भेजा गया। अस्पताल प्रशासन विभाग के सभी फैकल्टी आमंत्रित किए गए, लेकिन डॉ. राजेश मल्होत्रा का नाम छूट गया। वह एम्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख हैं और ऑर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष भी हैं। निमंत्रण में न तो ट्रॉमा सेंटर का जिक्र था और ना ही ऑर्थोपेडिक विभाग का। सूची पर कुछ डॉक्टरों व कर्मचारियों की जब नजर गई तो कानाफूसी तेज हो गई। क्योंकि इसके कुछ दिन पहले ही ट्रॉमा सेंटर में व्यवस्था में खामी का हवाला देकर यहां के चिकित्सा अधीक्षक को हटाया गया था। इस वजह से कई तरह के कयास लगाए जाने लगे। हालांकि बाद में बताया गया कि उस सूची में उनका नाम गलती से छूट गया था।

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