मुंबई 26/11 हमला: कमांडो ने कहा- 'बड़ा काम करने का समय आ गया है, जा रहा हूं'

ईश्वर सिंह जाखड़ बताते हैं कि जैसे ही अनिल को सूचना मिली, उसने हम सभी से कहा कि देश के लिए बड़ा काम करने का समय आ गया है। मैं जा रहा हूं। आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देकर ही लौटूंगा।

By Amit MishraEdited By: Publish:Sun, 26 Nov 2017 05:16 PM (IST) Updated:Mon, 27 Nov 2017 07:19 AM (IST)
मुंबई 26/11 हमला: कमांडो ने कहा- 'बड़ा काम करने का समय आ गया है, जा रहा हूं'
मुंबई 26/11 हमला: कमांडो ने कहा- 'बड़ा काम करने का समय आ गया है, जा रहा हूं'

गुरुग्राम [आदित्य राज]। मुंबई पर हुए 26 नवंबर 2008 के आतंकी हमले को भला कौन भूल सकता है? किस तरह 10 हमलावरों ने मुंबई को ख़ून से रंग दिया था, इसके प्रमाण मौजूद हैं। इन हमलों से पूरी मुंबई दहल उठी थी। उस समय पूरा देश रो रहा था। आतकी हमला लश्कर-ए-तोएबा ने किया था।

मुंबई के होटल ताज में घुसे आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन का नेतृत्व गुरुग्राम के लाल के कंधों पर था। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के शहीद होने के बाद कैप्टन अनिल जाखड़ ने मोर्चा संभाला। नौ आतंकवादियों को देश की सुरक्षा एजेंसियों ने मार गिराया था, एक आतंकी अजमल आमिर कसाब जिन्दा गिरफ्तार किया गया था।

मुंहतोड़ जवाब देकर ही आऊंगा

मुंबई पहुंचने से पहले कैप्टन जाखड़ ने परिजनों से कहा था कि आतंकियों का सीना छलनी करके ही लौटेंगे। ये मुंबई पर नहीं, देश की आबरू पर हमला है। होटल में जिस समय हमला हुआ था, उस समय काफी लोग अपने परिजनों के साथ डिनर कर रहे थे। कई को आतंकियों ने बंधक बना लिया था।

इस हालात में मुंहतोड़ जवाब देने की जिम्मेदारी एनएसजी को दी गई थी। इसके बाद मानेसर स्थित ट्रेनिंग सेंटर से मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के नेतृत्व में टीम रवाना हुई थी। उस समय कैप्टन (अब लेफ्टिनेंट कर्नल हैं) अनिल जाखड़ सेक्टर-23 स्थित अपने घर पर थे। उनके पिता (रिटा.) मेजर ईश्वर सिंह जाखड़ बताते हैं कि जैसे ही अनिल को सूचना मिली, उसने हम सभी से कहा कि देश के लिए बड़ा काम करने का समय आ गया है। मैं जा रहा हूं। आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देकर ही लौटूंगा। अनिल के परिजनों ने गर्मजोशी के साथ उन्हें विदा किया था। किसी के चेहरे पर इस बात की शिकन नहीं थी कि मुंबई में सामना खूंखार आतंकियों से होना है। सभी के मुंह से एक साथ निकला था, मुंहतोड़ जवाब देकर ही आना।

मनोबल गिरने नहीं दिया

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के शहीद होने के बाद जब कैप्टन अनिल जाखड़ कमान संभाली, तो पल भर के लिए भी कमांडो टीम का हौसला कम नहीं होने दिया। यहां तक कि एके-47 लेकर सबसे पहले कैप्टन अनिल जाखड़ ही निकले।

नाज है कि बेटे ने किया ऑपरेशन का नेतृत्व

मेजर ईश्वर सिंह जाखड़ कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे पर नाज है। वह चाहेंगे कि जब भी देश के ऊपर संकट आए, उनके बेटे को नेतृत्व करने का अवसर प्राप्त हो। 

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