आवास विकास के अधिकारियों की कारस्तानी, ई आक्शन में भी कर डाला खेल, लखनऊ पहुंची शिकायत

अब आनलाइन ई आक्शन में भी परिषद के अधिकारी खेल कर रहे हैं। इस बात की शिकायत मुख्यालय लखनऊ तक पहुंच गई है। वसुंधरा सेक्टर-16 स्थित परिषद के कार्यालय में भी इस मामले में पीड़ित ने लिखित शिकायत दी है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 04:43 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 04:43 PM (IST)
आवास विकास के अधिकारियों की कारस्तानी, ई आक्शन में भी कर डाला खेल, लखनऊ पहुंची शिकायत
वसुंधरा सेक्टर-16 स्थित परिषद के कार्यालय में भी इस मामले में पीड़ित ने लिखित शिकायत दी है।

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के खेल निराले हैं। अभी तक आवास विकास परिषद की आवासीय कालोनी के सेक्टरों में अवैध निर्माणों की ही शिकायतें लखनऊ तक पहुंचा करती थीं मगर अब आनलाइन ई अाक्शन में भी परिषद के अधिकारी खेल कर रहे हैं। इस बात की शिकायत मुख्यालय लखनऊ तक पहुंच गई है। वसुंधरा सेक्टर-16 स्थित परिषद के कार्यालय में भी इस मामले में पीड़ित ने लिखित शिकायत दी है।

जानकारी के अनुसार परिषद की ओर से शुक्रवार को वसुंधरा सेक्टर-11 में प्लाट संख्या-सीपी-5 का ई आक्शन किया जाना था। इसके लिए सभी चीजें पहले से निर्धारित थीं। इस ई आक्शन में सेफ स्पीड कैरियर प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर महेश गुप्ता ने भी हिस्सा लिया। महेश गुप्ता ने बताया कि ये नीलामी सुबह 10 बजे से शुरू हुई और शाम के 5 बजे तक चली। इस तरह के ई आक्शन के भी नियम पहले से तय है। इस नीलामी के नियम है कि इसमें शुरू से ही हिस्सा लेना होगा, नियमत: यदि कोई संस्था या व्यक्ति नीलामी के पहले चरण में हिस्सा नहीं लेता तो वो बाकी के चरणों में भी वो बोली नहीं लगा सकता है। महेश गुप्ता का कहना है कि वो नीलामी से सुबह पहले चरण से शाम को 5 बजे तक के चरण में शामिल रहे। हर चरण में उन्होंने प्लाट के लिए बढ़कर बोली भी लगाई। इसके सारे सबूत उनके पास मौजूद हैं।

नियमत: 5 बजे बोली खत्म हो जानी चाहिए थी और जिसकी बोली अधिक थी उनको प्लाट मिल जाना चाहिए था। शाम को 5 बजे बोली बंद भी हो गई मगर अधिकारियों की सांठगांठ के चलते 5 बजकर 3 मिनट और 21 सेकंड पर एक इस प्लाट के लिए एक नई बोली लगा दी गई। परिषद के अधिकारियों ने इस पहली और समय खत्म होने के बाद लगाई गई बोली को उचित मान लिया और प्लाट एलाट कर दिया। जबकि नियमत: ये संस्था या व्यक्ति इस बोली में हिस्सा लेने के लिए किसी भी तरह से योग्य ही नहीं थे।

परिषद के अधिकारियों ने मिलीभगत करके प्लाट का आवंटन कर दिया जोकि पूरी तरह से परिषद के नियमों के ही विपरीत है। महेश गुप्ता ने इस बारे में सहायक आयुक्त, आवास विकास परिषद को लेटर लिखकर पूरे मामले की विजिलेंस से जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि वो शुरू से बोली में शामिल थे अचानक से समय खत्म होने के बाद कोई बोली में शामिल हुआ और उसे परिषद ने प्लाट का आवंटन कर दिया ये पूरी तरह से गलत है।

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