बढ़ी शशि थरूर की मुश्किल, सुनंदा पुष्कर मामला नेताओं के केस सुन रहे जज की कोर्ट में ट्रांसफर

कानून के जानकारों की मानें तो आरोपी शशि थरूर अगर दोषी साबित हुए, तो उन्हें अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है।

By JP YadavEdited By: Publish:Thu, 24 May 2018 04:09 PM (IST) Updated:Thu, 24 May 2018 04:48 PM (IST)
बढ़ी शशि थरूर की मुश्किल, सुनंदा पुष्कर मामला नेताओं के केस सुन रहे जज की कोर्ट में ट्रांसफर
बढ़ी शशि थरूर की मुश्किल, सुनंदा पुष्कर मामला नेताओं के केस सुन रहे जज की कोर्ट में ट्रांसफर

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली की एक ट्रायल कोर्ट गुरुवार को सुनंदा पुष्कर मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट की जांच करने वाली थी, लेकिन इस बीच सुनंदा पुष्कर मर्डर केस में जज धर्मेंद्र कुमार ने राजनेताओं के केस सुन रहे जज समर विशाल के पास मामला भेज दिया है। अब इसकी अगली सुनवाई 28 मई को होगी। 

यहां पर बता दें कि दिल्ली पुलिस ने पिछले सप्ताह पेश चार्जशीट में सुनंदा मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर के ऊपर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सुनंदा पुष्कर को खुदकुशी करने के लिए उकसाया था।

पूर्व की जानकारी के मुताबिक, मेट्रोपॉलिटन कोर्ट के मजिस्ट्रेट धर्मेंद्र सिंह इस चार्जशीट का संज्ञान लेंगे और बाद में ट्रायल के लिए स्पेशल सीबीआइ जज की सेशन कोर्ट को भेजेंगे।

यह भी जानकारी सामने आई है कि दिल्ली पुलिस शशि थरूर को समन किए जाने की बात कोर्ट के सामने रख सकती है। वहीं, पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ने भी कहा है कि शशि थरूर को केवल कोर्ट द्वारा समन किया जा सकता है।

शशि थरूर पर दिल्ली पुलिस के आरोप

पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में दिल्ली पुलिस की एसआइटी (विशेष जांच दल) ने सवा चार साल बाद सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दायर की है। एसआइटी ने आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा के तहत चार्जशीट दायर की है। करीब 3000 पेज की चार्जशीट में एसआइटी ने शशि थरूर को मुख्य संदिग्ध आरोपित माना है। उन्हें कॉलम नंबर 11 में रखा गया है। इस कॉलम में आरोपित को रखने पर बिना गिरफ्तारी के चार्जशीट दायर की जा सकती है।इसमें आईपीसी की धारा 306 और 498A के तहत शशि थरूर को आरोपी बनाया गया है। कानून के जानकारों की मानें तो आरोपी शशि थरूर अगर दोषी साबित हुए, तो उन्हें अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है।

यह कहता है कानून

आईपीसी की धारा 498A के तहत महिला के साथ पति द्वारा क्रूरता से पेश आना और धारा 306 के तहत खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला बनता है। कानून के जानकारों के मुताबिक, अगर आरोपी का दोष साबित होता है, तो धारा 306 के तहत अधिकतम 10 और 498 ए के तहत अधिकतम 3 साल तक की जेल हो सकती है।

बता दें कि पहले सुनंदा की मौत मामले में अज्ञात के खिलाफ हत्या की धारा में केस दर्ज किया गया था, लेकिन जांच में एसआइटी को हत्या के सुबूत नहीं मिले। एसआइटी को जो सुबूत मिले हैं, उसके अनुसार सुनंदा को काफी प्रताड़ित किया जाता था और उनकी पिटाई की जाती थी।

सआइटी का मानना है कि थरूर की प्रताड़ना से तंग आकर सुनंदा ने खुदकशी की थी। पटियाला हाउस कोर्ट चार्जशीट पर 24 मई को संज्ञान लेगा। उसी दिन कोर्ट शशि थरूर को समन जारी कर सकता है। एसआइटी के मुताबिक, आइपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) चार्जशीट में इसलिए शामिल की गई है, क्योंकि सुनंदा के शरीर पर चोट के 12 निशान मिले थे। इससे साफ पता चलता है कि थरूर ने सुनंदा के साथ मारपीट की थी। वहीं, धारा 498 ए इसलिए लगाई गई है, क्योंकि थरूर व सुनंदा का वैवाहिक जीवन काफी तनावपूर्ण था।

बता दें कि 17 जनवरी 2014 को चाणक्यपुरी स्थित पाच सितारा होटल लीला पैलेस के सुइट नंबर 345 में संदिग्ध परिस्थितियों में सुनंदा की मौत हो गई थी। इससे एक दिन पहले उनके और पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार के बीच ट्विटर पर कथित बहस हुई थी।

यह बहस शशि थरूर के साथ मेहर की बढ़ती नजदीकियों को लेकर हुई थी। 29 सितंबर 2014 को एम्स के मेडिकल बोर्ड ने सुनंदा के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिल्ली पुलिस को सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि उनकी मौत जहर से हुई है। बोर्ड ने कहा था कि कई ऐसे रसायन हैं जो पेट में जाने या खून में मिलने के बाद जहर बन जाते हैं।

chat bot
आपका साथी