...ताकि अस्पताल में भी खुद को सुरक्षित महसूस करें बच्चे

दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अस्पतालों में बच्चों के अनुकूल कमरों (चाइल्ड फ्रेंडली रूम) की सिफारिश की है।

By Edited By: Publish:Sun, 26 Jul 2020 10:38 PM (IST) Updated:Sun, 26 Jul 2020 11:05 PM (IST)
...ताकि अस्पताल में भी खुद को सुरक्षित महसूस करें बच्चे
...ताकि अस्पताल में भी खुद को सुरक्षित महसूस करें बच्चे

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अपराध के शिकार नाबालिग बच्चे अक्सर अस्पताल जाकर डॉक्टर और इलाज की प्रक्रिया को देखकर डर जाते हैं। वो वहा अच्छे से इलाज कराएं, डरें नहीं और सुरक्षित महसूस करें, इसके लिए दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अस्पतालों में बच्चों के अनुकूल कमरों (चाइल्ड फ्रेंडली रूम) की सिफारिश की है।

आयोग ने एम्स के डॉक्टरों की मदद से सिफारिशें तैयार कर स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय को भेजी हैं। आयोग के मुताबिक, जो सिफारिशे भेजी गई है उसमें प्रमुखता से इस बात को रखा गया है कि अपराध के शिकार बच्चों को दिल्ली सकार के सभी अस्पतालों में अनुकूल वातावरण मिले और उनके अनुकूल कमरे तैयार किए जाएं।

आयोग की पूर्व सदस्य रीता सिंह के मुताबिक, आयोग इसके लिए पिछले कई समय से तैयारी कर रहा था। उन्होंने बताया कि पहले आयोग पूरे अस्पताल को चाइल्ड फ्रेंडली बनाने पर विचार कर रहा था। लेकिन, जमीनी स्तर पर इसकी कम संभावना को देखते हुए अस्पताल के कुछ कमरों या हिस्सों को चाइल्ड फ्रेंडली बनाने की योजना बनाई गई।

उन्होंने बताया कि जो सिफारिेशें भेजी गई है उनमें बच्चों की जरूरतों के कई पहलुओं का ध्यान रखा गया है। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे को इस सुविधा का लाभ मिल सकता है। अस्पतालों में मौजूद हेल्प डेस्क भी हो बच्चों के अनुकूल सिफारिेशों में लिखा है कि हर अस्पताल में एक ऐसी हेल्प डेस्क भी मौजूद हो जिसमें बच्चे व अभिभावक को ज्यादा परेशानी का सामना करना न पड़े। बहुत ही आराम से बच्चों के इलाज से जुड़ी रिपोर्ट व अन्य चीजें उनके अभिभावकों या केयरटेकर को मिल सके।

सिफारिश में सुझाए बिंदु

कमरा ऐसी जगह बने जहा पर्याप्त शुद्ध हवा, पानी, वाशरूम व रेस्टरूम की सुविधा हो। जिसमें सभी आरामदायक सुविधाओं के साथ कम से कम तीन बेड, साइड मेज और तीन कुर्सी हो।

- कमरे के आसपास ऐसे पोस्टर लगे हो या पेंटिंग बनी हो जो बच्चों को रचनात्मक तरीके से उनके मौलिक अधिकारों के बारे में जागरूक करें।

- कमरे की थीम दीपावली, बाल अधिकार, जंगल या सफारी पार्क, समुद्र, अंतरिक्ष या खगोलीय दुनिया, स्वास्थ्य गतिविधिया, प्रकृति आदि पर आधारित हो।

- प्रतीक्षालय में किताबें, अखबार व मैगजीन हो।

- कला के शौकीन बच्चों के लिए एक अलग कोना निर्धारित हो जहा हर तरह के रंग, पेंसिल, रबड़, पेपर आदि उपलब्ध हो।

- खुशबूदार पौधे लगे हो जिनसे वातावरण सुंगधित हो उठे।

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