दिल्ली-एनसीआर में सोसायटियों में जरूरी सेवा में बाधक बन रही आरडब्ल्यूए
कई सोसायटियों में बंधक से बने लोगों की पीड़ा को देखते हुए दैनिक जागरण ने दिल्ली-एनसीआर के करीब 2000 आरडब्ल्यूए का सर्वे किया तो चौंकाने वाली जानकारी मिली।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। लॉकडाउन-4 के दौरान उद्योग-व्यवसाय के साथ ही जनजीवन को पटरी पर लाने की केंद्र से लेकर राज्य सरकारों की तमाम कोशिश के बाद भी दिल्ली-एनसीआर में कुछ लोगों की हठधर्मिता के कारण स्थिति सामान्य नहीं हो पा रही है। इनमें सबसे अहम हैं कुछ सोसायटियों में बैठे अड़ियल लोग, जिनके कारण कई जगहों पर बिजली, पानी, दूध, अखबार और घरेलू सहायिका जैसी जरूरी सेवा देने वालों के भी प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया है। कई जगहों पर तो नजदीकी रिश्तेदारों और पारिवारिक मित्रों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है।
कई सोसायटियों में बंधक से बने लोगों की पीड़ा को देखते हुए दैनिक जागरण ने दिल्ली-एनसीआर के करीब 2000 आरडब्ल्यूए का सर्वे किया तो चौंकाने वाली जानकारी मिली। उन्होंने कोरोना से बचाव को लेकर अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग उपाय किए हैं। लगभग 50 फीसद सोसायटियों ने अपने निवासियों को छूट की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि अभी उसकी गति काफी धीमी है। शेष में आज भी बहुत सख्ती है। हास्यास्पद स्थिति यह है कि उनकी रोक का कोई ठोस तार्किक आधार नहीं है।
उन्होंने सोसायटियों में बाहरी लोगों का प्रवेश बंद कर रखा है ,लेकिन दूध, ब्रेड, आटा, चीनी, दाल, चावल, सब्जी जैसी सामग्री को बाहर से लाने की छूट दे रखी है। जाहिर है कि आसपास की दुकानों में उनके कोरोना से सुरक्षित होने का कोई ठोस आधार नहीं होता है। हद तो यह है कि चीनी, ब्रेड, आटा जैसी सामग्री को बाद में भी सैनिटाइज करना संभव नहीं होता है। यह सब कुछ भरोसे पर ही चलता है, दूसरी ओर पूरी तरह से सैनिटाइज करके भेजे जाने वाले अखबार और उसे सुरक्षित तरीके से ले जाने वाले कर्मयोगियों समेत अन्य जरूरी सामानों की आपूर्ति करने वालों के प्रवेश में अड़ंगा लगाया जाता है।
ग्रेटर नोएडा, साहिबाबाद और राजनगर एक्सटेंशन समेत कुछ सोसायटियों के आरडब्ल्यूए ने तो सुरक्षा मानक के नाम पर अपने ही निवासियों को 24 घंटे से ज्यादा बाहर रहने, रिश्तेदारों को बुलाने या दिल्ली में काम करने के बाद लौटने पर प्रवेश रोकने से लेकर बिजली-पानी का कनेक्शन काटने तक का फरमान जारी कर दिया था। प्रशासन के हस्तक्षेप पर उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा था।
धड़ल्ले से बाहर जाते हैं लोग
सरकारी दफ्तरों के साथ उद्योग और व्यवसाय खुलने के बाद उसे चलाने की जद्दोजहद में रोज ठीकठाक संख्या में सोसायटियों में रहने वाले लोग बाहर निकलने लगे हैं। वे बाहर जाकर किस माहौल और स्थिति में काम करते हैं, इसकी जानकारी उस व्यक्ति को भी नहीं होती है। यही कारण है कि नोएडा और साहिबाबाद सहित दिल्ली में भी मिलने वाले कोरोना संक्रमितों में सोसायटियों में रहने वालों की संख्या खासी थी। उस अनुपात में यदि देखें तो जिन्हें असुरक्षित कहकर प्रवेश नहीं दिया जा रहा, उनमें संक्रमित बहुत कम हैं।
सुरक्षित कर्मयोगियों के प्रवेश पर रोक
प्रधानमंत्री से लेकर डॉक्टरों तक ने कई बार घोषणा की है कि अखबार कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित है। केंद्र और राज्य सरकारों ने अखबार को जरूरी सेवा करार दिया है। विशेषज्ञों ने बताया है कि अखबार में उपयोग होने वाली स्याही किसी भी वायरस को खत्म करने में खुद सक्षम है। ऊपर से छपाई से लेकर वितरण तक उसे पूरी तरह से सैनिटाइज कर सुरक्षा आवरण को और मजबूत कर दिया जाता है। इसके बाद भी कई आरडब्ल्यूए पदाधिकारी अड़े हुए हैं, वे अखबार को गेट पर या अधिकतम लॉबी तक लाने की छूट देते हैं, लेकिन उसे पाठकों के दरवाजे तक पहुंचाने के लिए तैयार नहीं होते। इसी तरह का रवैया घरेलू सहायिका, कार साफ करने वाले, बिजली की मरम्मत और खाद्य सामग्री की आपूर्ति करने वाले अन्य गरीब लोगों के साथ भी रहता है। रोजगार के अभाव में उनकी हालत दयनीय होती जा रही है। रोज बड़ी संख्या में काम की आस में सोसायटियों के गेट पर खड़े होते हैं और प्रवेश नहीं मिलने पर निराश वापस लौट जाते हैं।
अशोक विहार के फेडरेशन ऑफ आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष डॉ. एचसी गुप्ता ने बताया कि जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति पर रोक गलत अशोक विहार के सभी चार फेजों में आरडब्ल्यूए की ओर से दिशानिर्देश जारी किए गए हैं और लोगों को हर माध्यम से समझाने का प्रयास किया जा रहा है, उन्हें मास्क लगाने और भीड़ न लगाने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन यह लोगों की स्वयं की जागरूकता और समझ है कि वह कितने सतर्क हो सकते हैं।
फरीदाबाद के जिला उपायुक्त यशपाल यादव का कहना है कि हां, यह ठीक है कि लॉकडाउन-4 में कई रियायतें मिली हैं। शारीरिक दूरी, मास्क और सैनिटाइज जैसे जरूरी उपाय अपनाते हुए सोसायटी में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पर रोक-टोक नहीं होनी चाहिए। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए यह सब उपाय किए जाने जरूरी हैं।
इंदिरापुरम के एओए एटीएस एडवांटेज के अध्यक्ष संजय जैन ने कहा कि सरकार खुद कह रही है कि लोगों को कोरोना संक्रमण के साथ बचाव करते हुए रहना है। सरकार सबकुछ सामान्य कर रही है। ऐसे में सोसायटी के लोगों के आने-जाने में प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं है।
फरीदाबाद के कंफेडरेशन ऑफ आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष एडवोकेट एनके गर्ग ने बताया कि जब लॉकडाउन-4 में आवागमन की छूट मिल गई है, उद्योग-कारोबार भी खुल गए हैं, सरकारी-गैर सरकारी कार्यालय भी पूरे स्टाफ के साथ खुलने लग गए हैं, तो उसी अनुसार सभी क्षेत्रों की आरडब्ल्यूए के प्रधान अपने नियमों में ढील दें। शारीरिक दूरी के नियमों की पालना, मास्क लगाना, हाथों को सैनिटाइज करने की प्रक्रिया के साथ कामकाज को सामान्य करने की जरूरत है।
काउंसिल ऑफ वेस्ट दिल्ली आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष अनिल देवलाल ने कहा कि आरडब्ल्यूए की ओर से जरूरी सेवाओं को लेकर अब छूट दी जा रही है। एहतियात के तौर पर जितनी सावधानी व सतर्कता बरती जानी जरूरी है, उसपर ध्यान दिया जा रहा है। अब कहीं भी जरूरी सेवाओं की सुविधा को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है। परिसर में प्रवेश के लिए केवल पूछताछ व थर्मल स्क्रीनिंग पर जोर दिया जा रहा है।
डॉक्टरों व डब्लयूएचओ की सलाह दरकिनार
डॉक्टरों से लेकर राज्य व केंद्र सरकार के साथ ही डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने साफ कर दिया है कि फिलहाल कोरोना को समाप्त करना संभव नहीं है। अब हमें इसी के साथ ही जीना है। जैसे-सर्दी, वायरल बुखार, डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां हैं, उसी तरह की स्थिति कोरोना की भी होनी है। उससे भागा या छुपा नहीं जा सकता है। बेहतर यही है कि जल्द से जल्द खुद को उसके अनुरूप ढाल लिया जाए। स्तरीय मास्क लगाना, शारीरिक दूरी का पालन और अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर ही हम इसका मुकाबला कर सकते हैं। इसमें जो जितनी देर करेगा, वह पिछड़कर अपना ही नुकसान करेगा।