पढ़िए- दिल्ली में यमुना नदी को बचाने के लिए क्या होगा फिल्मी सितारों का रोल

स्थिति यह है कि यमुना में पानी में कोई नहा ले तो त्वचा रोग हो जाएगा और कहीं पानी पी ले तो उसका बीमार होना तय। नदी के हालात लगातार खराब हो रहे हैं। इस बीच ताजा अध्ययन सामने आया है।

By JP YadavEdited By: Publish:Tue, 05 Feb 2019 06:19 PM (IST) Updated:Tue, 05 Feb 2019 06:29 PM (IST)
पढ़िए- दिल्ली में यमुना नदी को बचाने के लिए क्या होगा फिल्मी सितारों का रोल
पढ़िए- दिल्ली में यमुना नदी को बचाने के लिए क्या होगा फिल्मी सितारों का रोल

नई दिल्ली, जेएनएन। कभी हमेशा बहने वाली यमुना की दिल्ली में हालत किसी से छिपी नहीं है। एक समय था जब लोग न केवल इसके पानी से नहाते थे, बल्कि इसमें इसका पानी भी पीते थे। वहीं, वर्तमान में स्थिति यह है कि यमुना में पानी में कोई नहा ले तो त्वचा रोग हो जाएगा और कहीं पानी पी ले तो उसका बीमार होना तय। पिछले पांच दशक से हालात लगातार खराब हो रहे हैं। इस बीच ताजा अध्ययन सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि यमुना को बचाने के लिए दिल्ली-एनसीआर में गुजरात की सूरत की तर्ज पर मूर्ति विसर्जन के लिए योजना बनाई जाए। दरअसल, यमुना नदी के हालात पर अध्ययन के लिए बनाए गए पैनल ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) को अपनी रिपोर्ट में कई सुझाव और सलाह दी है।  यमुना की सफाई को लेकर जुलाई में गठित किए गए पैनल में दिल्ली की चीफ सेक्रेट्री रही शैलजा चंद्रा और बीएस सजावन शामिल हैं। 

मूर्ति विसर्जन के लिए बने योजना

अध्ययन में यह पाया गया है कि मूर्ति विसर्जन के चलते यमुना की हालत बद से बदतर हो रही है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की रोक के बाजवूद मूर्ति विसर्जन का सिलासिला थम नहीं रहा है। न तो लोग जागरूक हो रहे हैं और न ही पुलिस प्रशासन और सरकार ही इस आदेश को सख्ती से लागू करवा पाई है। ऐसे में पैनल ने एनजीटी को दी गई रिपोर्ट में कहा है कि यमुना में मूर्ति के लिए गुजरात के सूरत शहर जैसी योजना बनाई जाए। बता दें कि पैनल ने सूरत के पुलिस कमिश्नर से मूर्ति विसर्जन के लिए बनाई योजना की रिपोर्ट मंगवाई थी। इसमें कहा गया है कि 60 हजार से अधिक मूर्तियां विसर्जित तो की गईं, लेकिन इनमें से कोई भी नदीं में विसर्जित नहीं की गई। इन्हें तालाबों में विसर्जित करने दिया गया। 

फिल्म सितारों से करवाने होगी अपील

पैनल ने यह भी माना है कि फिल्मी सितारों का लोगों पर खासा असर रहता है, लोगों उनकी कही बातों और सलाह पर तवज्जो देते हैं। ऐसे में पैनल ने अपनी रिपोर्ट में सालह दी है कि यमुना को बचाने के लिए फिल्म और टेलीविजन अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की सहायता लेनी होगी। रिपोर्ट में यह माना गया है कि फिल्मी कलाकार जब लोगों को सलाह देंगे तो वे जरूर मानेंगे। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने भी पाया है कि पेंट की गई मूर्तियों और धातु से बने आभूषणों को जब यमुना में प्रवाहित किया जाता है तो इससे यमुना के पानी में क्रोमियम की मात्रा 11 गुना, लौह तत्वों की मात्रा 71 गुना तक गुना बढ़ जाती है। बता दें कि पानी में क्रोमियम की मात्रा .05 और आयरन की मात्रा .3 मिली ग्राम प्रति लीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। 

बता दें कि नवरात्रि के दौरान और दशमी के दिन दिल्ली में यमुना के करीब सात घाटों पर मां दुर्गा की सैकड़ों प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया था। मूर्ति विसर्जन के बाद से यमुना का बुरा हाल देखने को मिल रहा था। यमुना के घाटों पर गंदगी सभी सरकारी प्रयासों को मुंह चिढ़ा रही थी। हालांकि इस दौरान प्रशासन की कोशिश रही कि पहले प्रदूषित यमुना में ऐसे अवशिष्ट प्रवाहित न किए जाएं, जो नदी में न घुलने पर और ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। बावजूद इसके लोगों ने जमकर मूर्ति विसर्जन किया। 

प्रतिमाओं केे विसर्जन के बाद यमुना के घाटों पर स्थिति बदहाल हो जाती है। कहीं लकड़ी की टुकड़े, बांस की बल्लियां, मिट्टी के टूटे हुए बर्तन, पानी में भीगे रंग-बिरंगे कागज, प्लास्टिक की थैलियां, मां की प्रतिमाओं पर चढ़ाई गईं लाल और हरे रंग की चुन्नियों और शीशे का कवर चढ़े चित्र यमुना के प्रदूषित जल में पड़े होते हैं। मूर्ति विसर्जन सम्पन्न होने के बाद हालात खतरनाक इसलिए हो जाते हैं, क्योंकि प्रतिमाओं के साथ प्लास्टिक एवं अन्य खतरनाक अघुलनशील कचरा और विषैली सामग्री यमुना में तैर रही होती हैं।

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